वैक्सीन पर ब्रिटेन के 'नस्लवादी' रवैये से भारत में आक्रोश, लेकिन अभी इंग्लैंड न जाना बेहतर
मेरा मानना है कि जब तक यूके हमें रेड लिस्ट से बाहर नहीं कर देता, किसी भी भारतीय को यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) नहीं जाना चाहिए.
बिक्रम वोहरा। मेरा मानना है कि जब तक यूके हमें रेड लिस्ट से बाहर नहीं कर देता, किसी भी भारतीय को यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) नहीं जाना चाहिए. लेकिन, ब्रिटेन की नई कोविड ट्रैवेल पॉलिसी के लिए केवल छाती पीट-पीटकर उसके नस्लवादी रवैये को कोसने के बजाए, हमें कुछ बेहद जरूरी बातों को समझ लेना चाहिए. असल में, कोरोना महामारी के बाद से ब्रिटेन ने अपने यहां यात्रा के लिए विभिन्न देशों की तीन श्रेणियां तय की हैं. बीते कुछ महीने पहले दिखावे के लिए हमें Red लिस्ट से उठाकर Amber लिस्ट में डाला गया था. तीसरी श्रेणी Green लिस्ट की है. हम मान रहे थे कि जल्द ही हमें ग्रीन लिस्ट में डाल दिया जाएगा. और हम इंग्लैंड की सड़कों पर घूमते नजर आएंगे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसके ठीक उलट, हमें फिर से रेड लिस्ट में डाल दिया गया.
इसमें कोई दो राय नहीं कि यह जायज नहीं है. क्योंकि ब्रितानी और भारतीय लोगों को एक ही प्रकार की कोविशील्ड/एस्ट्राजेनेका वैक्सीन लग रही है. इसके बावजूद, वहां जाने पर हमें 10 दिन तक क्वॉरंटीन रहना होगा, जो कि ठीक बात नहीं लगती. जब यूरोप के नौ देशों ने भारतीय वैक्सीन को हरी झंडी दे दी है, तो फिर ब्रिटेन को क्या समस्या है?