OPINION: मेक इन इंडिया ही भारत को महाशक्ति बनाएगा

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि अगर मैं सत्ता में आया तो मैं निश्चित तौर पर पूंजीवाद को खत्म कर दूंगा

Update: 2022-02-08 08:57 GMT
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव में चर्चा के दौरान कांग्रेस पर पूंजीपतियों का उसी तरह विरोध करने का आरोप लगाया, जिस तरह कभी वामपंथी पार्टियां करती थी. अगर पीएम नरेंद्र मोदी के इस कथन का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें तो पूंजी और पूंजीपतियों एक स्वरूप में सभी काल और समय में महत्वपूर्ण रहे हैं और उनकी अपनी भूमिका होती है.
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि अगर मैं सत्ता में आया तो मैं निश्चित तौर पर पूंजीवाद को खत्म कर दूंगा, लेकिन मैं पूंजी को खत्म नहीं करूंगा. और यह तभी संभव है जब मैं पूंजीपतियों को खत्म न करूं. मैं मानता हूं कि पूंजी और श्रम का सामंजस्य संभव है. कुछ मामलों में मैंने इसे सफलतापूर्वक देखा भी है और जो एक मामले में सच है वह सभी मामलों में सच साबित हो सकता है.
मैं पूंजी को बुराई के तौर पर नहीं देखता और न ही मैं मशीनी व्यवस्था को बुराई मानता हूं. वहीं पर स्वामी विवेकानंद ने एक बार पश्चिमी देशों से अपील की थी कि वे अपने धर्म का भारत में प्रचार प्रसार ना करें. भारत धर्म और संस्कृति के मामले में किसी भी देश से कम नहीं है और कई मायने में भारत विश्व गुरु के तौर पर है. अगर पश्चिम भारत को कुछ देना चाहता है तो वह अपनी पूंजी और टेक्नोलॉजी दे, ताकि इससे भारत में आधुनिक काल में हो रहे विकास की बयार लाई जा सके.
इन दोनों महापुरुषों के कथन से यह स्पष्ट है कि पूंजी और पूजीपतियों की जरूरत देश और दुनिया में हमेशा रही है. भारत में स्वतंत्रता बाद वामपंथ के उदय और विकास के बाद हमने पूंजी और पूंजीपतियों के विरोध और कई मायनों में देश से पलायन को देखा है. जानकार 90 के दशक के शुरुआत में आई देश में आर्थिक संकट को कई मायनों में इसका परिणाम भी मांगते हैं और इसका समाधान देश की अर्थव्यवस्था में खुलापन और पूंजी के आगमन के तौर पर देखा गया है.
देश में आर्थिक उदारीकरण के लिए जिस तरह से हमने "राव मनमोहन मॉडल" को देखा और उसके बाद वाजपेयी सरकार के दौरान उदारीकरण के दूसरे चरण को लाया गया, उसी के परिणाम हमें आज देश में आधुनिक समृद्धि देख सकते हैं. और इसी का परिणाम है कि पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आज देश 5 ट्रिलियन इकॉनमी बनने का सपना देख रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि देश की अर्थव्यवस्था को वे आने वाले दिनों में 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाना चाहते हैं.
इसके लिए पूंजी और पूंजीपतियों दोनों की देश को जरूरत है. लेकिन हालिया दिनों में जिस तरह से कांग्रेस पार्टी और खास तौर से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा देश के बड़ी पूंजीपतियों पर सीधा निशाना लगाया जा रहा है, वह एक मायने में कहीं ना कहीं 90 के दशक के पहले वामपंथियों द्वारा लाई गई स्थिति को दर्शा रहा है.
कोई भी बड़ा पूंजीपति बड़ा दीर्घकालीन निवेश उसी शर्त पर करता है, जब उसे देश में स्थिरता और एक मायने में सरकार और राजनीतिज्ञों का उनकी पूंजी के ना डूबने का आश्वासन मिले. ऐसे में अगर एक पार्टी द्वारा देश की बड़ी पूंजीपतियों को लेकर के लगातार आरोप और सवाल खड़े किए जाने पर अविश्वास का माहौल पैदा हो सकता है और कहीं ना कहीं पूंजी के पलायन की स्थिति भी पैदा हो सकती है. जानकारों का मानना है कि कुछ बड़ी पूंजीपतियों के खिलाफ लगातार बयान अन्य देश और दुनिया के पूंजीपतियों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है.
जानकारों का यह भी मानना है कि रोजगार सृजन में बड़ी पूंजी, पूंजीपतियों और दीर्घकालिक निवेश की महत्वपूर्ण भूमिका है और अगर ऐसे में मुख्य विपक्षी पार्टी द्वारा देश के बड़े पूंजीपतियों पर लगातार प्रत्यक्ष निशाना साधा जा रहा है तो यह देश में रोजगार को लेकर के संकट और समस्या दोनों खड़ी कर सकती है.
इसके साथ ही साथ, देश और दुनिया में जिस तरह से शोध और तकनीक का प्रचलन बढ़ रहा है और इसी पर वैश्विक अर्थव्यवस्था आधारित होती जा रही है. ऐसे में अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए पूंजी और पूंजीपतियों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि शोध और टेक्नोलॉजी को लेकर के दुनियाभर में पूंजीपति काफी निवेश कर रहे हैं. सरकार की इस संदर्भ में भूमिका मॉनिटरिंग की हो जाती है ना कि निवेशक की. जानकारों का मानना है कि अगर कांग्रेस पार्टी इसी तरह से देश के बड़े पूंजीपतियों पर प्रत्यक्ष तौर पर निशाना साधेगी तो इससे देश और दुनिया दोनों के पूंजीपति प्रतिकूल तौर पर प्रभावित होंगे और फिर से 90 के दशक के पहले की स्थिति आ सकती है. यह कहने की जरूरत नहीं है कि 90 के शुरुआती दशक में किस तरह से देश में पूंजी का संकट हुआ था और इसका कारण देश की बंद अर्थव्यवस्था और पूंजी का पलायन था.
चीन की अर्थव्यवस्था जो काफी हद तक सरकार द्वारा नियंत्रित है वहां पर भी पूंजी और पूंजीपतियों की काफी महत्वपूर्ण भूमिका है. चीन की सरकार भी निवेश के लिए बेहतर सकारात्मक माहौल और कानून में लगातार बदलाव करती है.


(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए जनता से रिश्ता किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)

विनीत कुमार विशेष संवाददाता
देश के प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान आईआईएमसी दिल्ली से पत्रकारिता की पढ़ाई करने के बाद 2008 से नेटवर्क 18 से जुड़ गए. इस समय न्यूज 18 में विशेष संवाददाता हैं.
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