Opinion : आखिर क्या महत्व है उत्तराखंड में बनने वाले सैन्य धाम का?

उत्तराखंड में बनने वाले सैन्य धाम

Update: 2021-12-16 16:26 GMT
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में जब राजनाथ सिंह ने सैन्य धाम बनाने के फैसले पर राज्य सरकार की खूब पीठ थपथपायी. साफ था कि जिस राज्य में भक्तों के लिए चार धाम हैं, वहां की वादियों में वीरों के शौर्य, साहस और पराक्रम के किस्से भी हमेशा से सुने और सुनाए जाते रहे हैं. एक आंकड़े के मुताबिक, देश की सीमाओं की रक्षा करने वाली भारत की सेना का लगभग 17.5 फीसदी सदस्य उत्तराखंड से आता है. इसलिए पीएम मोदी ने देहरादून के परेड ग्राउंड से उत्तराखंड के पांचवें धाम बनाने की कल्पना रखी थी. इसलिए सरकार ने गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम के साथ-साथ सैन्य धाम बनाने का ऐलान भी किया था. इस ऐलान से संदेश साफ था कि ये उत्तराखंड की सैन्य परंपरा का प्रतीक बनेगा.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दिसंबर 15 को महीने भर चली शहीद सम्मान यात्रा का समापन किया. महीने भर पहले पिथौरागढ़ से राजनाथ सिंह ने इस यात्रा की शुरुआत की थी. इस यात्रा का लक्ष्य एक ही था कि राज्य के अमर बलिदानियों का आशीर्वाद इस सैन्य धाम को प्राप्त हो. इसके लिए राज्य के 1734 शहीदों के घरों की मिट्टी को सैन्यधाम के निर्माण के लिए लाने और निर्माण में लगाए जाने के लिए यात्रा का आयोजन किया गया था, ताकि उत्तराखंड की जनता के मानस पर भी इन अमर बलिदानियों की शौर्य गाथा कायम रहे. कलशों में भर का मिट्टी लाई गई और साथ ही शहीदों के परिजनों को ताम्रपत्र और शॉल दे कर सम्मानित भी किया गया.
उत्तराखंड की बीजेपी सरकार देहरादून के गुनियालगांव के लगभग 50 बीधे जमीने पर सैन्य धाम का निर्माण करने जा रही है. धाम का अर्थ मंदिर और तीर्थस्थल से है तो सेना में पूजनीय बाबा जसवंत सिंह, और बाबा हरभजन सिंह के मंदिर इस धाम में बनेंगे. इस धाम में एक भव्य शौर्य स्तूप, लाइट और साउंड शो, वीर गाथाओं के प्रसारण के लिए थियेटर, संग्रहालय, सेना के तीनों अंगों के प्रतीक लड़ाकू विमान, टैंक और सैन्य पोत यहां लगाएं जाएंगे.
राजनाथ सिंह ने इस मौके पर कहा कि विकास की पहली शर्त होती है सुरक्षा और दूसरी कनेक्टिविटी. वैसे तो सुरक्षा की दृष्टि से उत्तराखंड हमेशा से एक शांतिप्रिय राज्य रहा है लेकिन यहां कि सबसे बड़ी चुनौती यहां कि कनेक्टिविटी ही रही है. अब तक की सरकारों ने रोड, रेल, एयर कनेक्टिविटी के लिए कम ही काम किया था. लेकिन हमारा मानना है कि हर सीमावर्ती राज्य का एक अपना सामरिक महत्व भी होता है और वहां के निवासी देश के लिए स्ट्रैटेजिक असेट होते हैं. इसलिए जब सीमाई राज्यों का विकास होता है तो देश का सुरक्षा चक्र भी मजबूत होता है.
तय है कि उत्तराखंड की बीजेपी सरकार के इस कदम ने वीरों के बहाने न सिर्फ वहां के लोगों से तार जोड़ने का काम किया है, बल्कि यात्रा के बहाने लोगों से सीधा जुड़ने में भी मदद की है. भरोसा इस बात का है कि चुनावों के ऐलान के पहले महीने भर चली ये यात्रा नैय्या पार लगाने में खासी मदद करेगी.


(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए जनता से रिश्ता किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)
अमिताभ सिन्हा राजनीतिक संपादक, न्यूज 18 इंडिया.
ढाई दशक से अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय. देश के लब्ध प्रतिष्ठित टीवी चैनलों के अतिरिक्त अखबारों का भी लंबा अनुभव. छह वर्ष से नेटवर्क 18 में कार्यरत.
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