वैक्सीनेशन की नई रणनीति

भारत में कोरोना संक्रमितों की संख्या फिर उछाल मारने लगी है जो चिंता बढ़ा रही है

Update: 2021-03-01 08:55 GMT

भारत में कोरोना संक्रमितों की संख्या फिर उछाल मारने लगी है जो चिंता बढ़ा रही है। यद्यपि 16 फरवरी से शुरू हुए पहले चरण में काफी तेजी से टीके दिए गए और अब तक एक करोड़ से ऊपर डोज दिए जा चुके हैं, फिर भी स्वास्थ्य कर्मियों को टीके की दो डोज देने का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया। देश के महाराष्ट्र, केरल समेत 18 राज्यों में कोरोना के ब्रिटेन ​ब​ेरिएंट के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं, इसे देखते हुए यह जरूरी था कि सरकार टीकाकरण की नई रणनीति के साथ सामने आए। अब सरकार के सामने बड़ी चुनौती यह है कि कम से कम समय में अधिक से अधिक लोगों को वैक्सीन दिया जाए। इसमें कोई संदेह नहीं कि कोरोना पर अंकुश लगाने के लिए सीरम द्वारा तैयार भारतीय वैक्सीन दुनया भर में सबसे अधिक कारगर साबित हुई है। अमेरिका समेत कई देशों में कोरोना की दूसरी लहर अगर कुछ हद तक काबू दिख रही है तो उसके बड़े पैमाने पर टीकाकरण की महत्वपूर्ण भूमिका मानी जा रही है। केन्द्र सरकार ने टीकाकरण की रणनीति में सबसे बड़ा परिवर्तन यह किया है कि आज से शुरू हो रहे टीकाकरण के दूसरे चरण में निजि अस्पतालों को भी जोड़ दिया गया है। अब 60 वर्ष से ऊपर के सभी व्यक्ति तथा 45 साल से ऊपर के कोमॉर्विडिटी यानी एक से ज्यादा रोग वाले लोग टीका लगवा सकते हैं। निजि अस्पतालों में कोरोना वैक्सीन की कीमत 250 रुपए रखी गई है।


निजि अस्पतालों में कोरोना का टीका 150 रुपए में दिया जाएगा और इस पर सौ रुपए का सेवा शुल्क लगेगा। टीकाकरण में शामिल 45 से 59 वर्ष की आयु के लोगों को 20 गम्भीर बीमारियों के बारे में भी बताया गया है, इनमें हृदय की धमनी, कोरोवरी धमनी रोग, सीटी/एमआरआई स्ट्रोक, दस वर्ष से अधिक समय से शुगर, ब्लड प्रेशर, गुर्दे की बीमारी आदि शामिल हैं। देश में करीब दस करोड़ लोगों की उम्र 60 वर्ष से ज्यादा है। आंकड़ों पर नजर डालें तो देश में 8 करोड़ से ज्यादा शुगर (मधुमेह) और करीब 5 करोड़ लोग हृदय रोगों से ग्रस्त हैं। लगभग 13 करोड़ की आबादी इन दोनों बीमारियों से ग्रस्त हैं, हालांकि इन आंकड़ों में 45 साल के कम उम्र के लोग भी शामिल हैं। अन्य गम्भीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों को अगर छोड़ दिया जाए तो यह संख्या काफी बढ़ जाने का अनुमान है। भारत का वैक्सीनेशन अभियान दुनिया में सबसे बड़ा अभियान है और लोगों को जल्द से जल्द टीका देने के लिए निजि सैक्टर की भागीदारी की जरूरत समझी गई।

सरकार ने दस हजार सरकारी और 20 हजार निजि सैंटर बनाने की बात कही है। दो चैनलों से फायदा यह होगा कि जरूरतमंद लोग सरकारी अस्पतालों में लाइनों में खड़े होकर मुफ्त टीके लगवाएंगे और जो लोग पैसे चुकाने में सक्षम हैं वे पैसा खर्च करके इस सेवा का लाभ उठाएंगे और सरकारी अस्पतालों पर बोझ भी कम होगा। अब संक्रमण की आशंका के बीच जी रहे बुजुर्ग और बीमार लोग टीका लगवा कर न केवल खुद को सुरक्षित रख सकते हैं, बल्कि कोरोना के फैैलाव को रोकने का जरिया भी बन सकते हैं। बीते वर्ष तमाम मुश्किलों और त्रासदियों के बाद जब टीकाकरण अभियान की शुरूआत की गई तो कई जगह उत्सव जैसा माहौल था। अग्रिम योद्धाओं को कोविड वैक्सीन देना काफी संतोषजनक रहा और कोई बड़ा नकारात्मक पहलू सामने नहीं आया। दुनिया के चोटी के देशों में वैक्सीनेशन की शुरूआत हुई तो उनमें हमारा नाम शामिल होना हर भारतीय के लिए गर्व की बात है। दुनिया को 60 फीसदी वैक्सीन की आपूर्ति करने वाले भारत में अपनी वैक्सीन पर भरोसा किया ही जाना चाहिए। आज सभी देश कोरोना वैक्सीन को लेकर भारत की ओर देख रहे हैं, लेकिन भारत में अनेक लोग अभी भी शंकाएं व्यक्त कर रहे हैं। भारतीयों को समझ लेना चाहिए कि भारत की सीरम और बायोटेक कई वर्षों से वैक्सीन बना रही है। बायो​टेक ने अब तक 16 वैक्सीन बनाई हैं और दुनिया के 123 देशों को ​निर्यात किया है।

कुछ लोगों नेस टीकाकरण को बड़ा इवेंट बनाने पर भी सवाल खड़े किए थे, उसका कोई औचित्य ही नहीं था। टीकाकरण के​ लिए कोई दबाव नहीं बनाया जा रहा, साथ ही संक्रमण से बाचव के परम्परागत तरीके अपनाने की सलाह बार-बार दी जा रही है। महीनों की हताशा, भय के बाद टीकाकरण अभियान शुरू होना ही काफी सुखद है। सवा अरब से अधिक आबादी वाले देश में टीकाकरण अपने आप में बहुत बड़ा टास्क है। टीकाकरण अभियान चलाने का भारत को अच्छा खासा अनुभव है। पोलियो उन्मूलन अभियान की सफलता ही इस टीकाकरण अभियान का आधार है। निजि अस्पतालों की भागीदारी से हम टीकाकरण के लक्ष्य को पूरा कर लेंगे, इसकी उम्मीद ही सफलता की राह निर्धारित करती है।


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