Neuralink: न्यूरालिंक बदल देगा आप की दुनिया, मानवीय परीक्षण की तैयारी
लेकिन पारकिंसन्स जैसी बीमारी के इलाज में इसके इस्तेमाल के जरिये काफी मदद मिलने की संभावना है।
तकनीकी विकास के साथ-साथ नए-नए आविष्कारों ने मानव जीवन को सरल बनाने में ऐसे बदलाव किए हैं, जिनकी कुछ वर्ष पहले तक कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। सिक्के जैसी एक डिवाइस न्यूरालिंक इम्प्लांट को अपने मस्तिष्क से जोड़कर आप वह सब कुछ कर सकते हैं, जो अब तक कंप्यूटर, लैपटॉप और एंड्रॉयड फोन पर लिखकर या बोलकर करते रहे हैं। यह एलन मस्क की कंपनी ने किया है। उन्होंने कहा कि यह डिवाइस चुटकियों में दिमाग का हिस्सा बन जाएगी। मस्क ने पहले दावा किया था कि छह माह में इसका मानवीय परीक्षण शुरू हो जाएगा और सर्वप्रथम दृष्टिबाधितों व पैरालिसिस मरीजों की मदद की जाएगी। अब उन्होंने कहा, यह इम्प्लांट पूरी तरह तैयार है। मंजूरी मिलने के बाद एक डेमो इम्प्लांट वह खुद लगवाएंगे।
इस तरह की डिवाइस पर काम कर चुके पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय में पेरेलमैन स्कूल ऑफ मेडिसिन के न्यूरोसर्जन और न्यूरोसाइंटिस्ट डेनियल योशोर, ने कहा कि वह मस्क के दावे से ज्यादा हार्डवेयर से प्रभावित हैं। हालांकि, यह शरीर व मस्तिष्कीय क्षमताओं को बहाल करने या नाटकीय तौर पर बढ़ाने की क्षमता देने वाला नहीं लगता है। पर आगामी दशकों में टेक्नालॉजी के नए आविष्कार हमारे जीवन और संसार को बदल देंगे। दरअसल जब भी कोई नई तकनीक आती है, तो अपने साथ समाज के रहन-सहन और उद्योग धंधों के काम-काज के तरीके में भी बदलाव लाती है। तकनीक ही मानव विकास का आधार तैयार करती रहती है। इतिहास तकनीकी विकास के ऐसे उदाहरणों से भरा पड़ा है।
आज के इस तकनीकी युग में मानव जीवन को सरल बनाने वाली खोजों और अविष्कारों ने सबकुछ बदल दिया है। आज एंड्राइड या स्मार्टफोन के सामने 'ओके गूगल' के स्पीकर पर बोलने से ही फोन किसी भी कमांड को अमल करने के लिए क्रियाशील हो जाता है। लोगों को कॉल करने, वॉयस सर्च के सहारे गाने-वीडियो चालू करने से लेकर वॉयस टाइपिंग जैसे कई फीचर अब साधारण से एंड्राइड या स्मार्टफोन्स पर भी मिलने लगे हैं। आसान शब्दों में कहा जाए, तो स्मार्टफोन से जुड़ी हर सुविधा को कोई भी अपनी आवाज के जरिये इस्तेमाल कर सकता है। अब आप को बोलने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। स्पेसएक्स और टेक्सला जैसी कंपनियों के मालिक एलन मस्क ने कहा है कि आने वाले समय में लोगों को कंप्यूटर और स्मार्टफोन इस्तेमाल करने के लिए बोलने की भी जरूरत नही पड़ेगी। उनकी ह्यूमन कंप्यूटर इंटरफेस कंपनी न्यूरालिंक ऐसे प्लान पर लंबे समय से काम कर रही है, जिसके सहारे लोगों के दिमाग में एक न्यूरल चिप इम्प्लांट करने के बाद उनके सोचने भर से चीजों को करना शुरू किया जा सकेगा। अगर कोई शख्स लंबे समय से किसी बीमारी की वजह से बिस्तर पर है, तो वह इस न्यूरल चिप इम्प्लांट के सहारे अपनी मदद के लिए अटेंडेंट को सीधे कॉल कर सकता है या अगर संभव हुआ, तो ऐसे लोग अब नौकरी भी कर सकते हैं।
एलन मस्क ने इसी साल दावा किया था कि उनकी न्यूरालिंक इस न्यूरल चिप की मदद से लोगों को उनकी यादों को संभाल कर रखने यानी स्मार्टफोन की तरह ही बैकअप मेमोरी बनाने का मौका देगी। इस चिप के जरिये लोगों की याददाश्त को बढ़ाया जा सकता है, ब्रेन स्ट्रोक या किसी न्यूरोलॉजिकल बीमारी से ग्रस्त मरीजों के दिमाग को आपात स्थिति में कंट्रोल भी किया जा सकता है। भविष्य में ये न्यूरल चिप दुनिया भर के लाखों लोगों के लिए वरदान साबित हो सकती है। एलन मस्क ऑटो पायलट वाली कार के जरिये काफी चीजों को संभव कर चुके हैं, तो उनसे उम्मीद काफी बढ़ जाती है। एलन मस्क इंसानी दिमाग में कंप्यूटर इंटरफेस को प्लांट कर इंसानों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बीच संबंध स्थापित करने की चाहत रखते हैं। वैसे, यह हाई-टेक तरीका सुनने में थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन पारकिंसन्स जैसी बीमारी के इलाज में इसके इस्तेमाल के जरिये काफी मदद मिलने की संभावना है।
सोर्स: अमर उजाला