प्राकृतिक खेती ही विकल्प

वैज्ञानिकों का साफ मानना है कि दुनियाभर में बढ़ते पर्यावरण संकट को कम करने में जैविक या प्राकृतिक खेती एक उपचारक की भूमिका निभा सकती है। गौरतलब है कि भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में प्राकृतिक खेती बड़े पैमाने पर अपनाई जा रही है।

Update: 2022-06-10 06:17 GMT

अखिलेश आर्येंदु: वैज्ञानिकों का साफ मानना है कि दुनियाभर में बढ़ते पर्यावरण संकट को कम करने में जैविक या प्राकृतिक खेती एक उपचारक की भूमिका निभा सकती है। गौरतलब है कि भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में प्राकृतिक खेती बड़े पैमाने पर अपनाई जा रही है। धीरे-धीरे दक्षिण, मध्य भारत और उत्तर भारत में भी यह किसानों में लोकप्रिय हो रही है।

केंद्र सरकार भी इसे बढ़ावा देने में लगी है। लेकिन जिस गति से इसे बढ़ना चाहिए, उस गति से इसे बढ़ाने में कामयाबी मिल नहीं रही है। इसके लिए और भी ठोस प्रयास करने की जरूरत है। कुछ सालों से केंद्र सरकार ने नीम परत वाली यूरिया को बढ़ावा देने के लिए तमाम कवायदें शुरू की हैं। इसकी खूबी को लेकर केंद्र सरकार प्रचार भी खूब करती रही है। पर नीम यूरिया से क्या खाद्यान्नों में बढ़ रहे जहरीले तत्त्वों में कमी आई है?

गौरतलब है भारत में रासायनिक खाद कारखानों में नीम की परत वाली यूरिया बनाई जा रही है, लेकिन फिर भी रासायनिक खादों के इस्तेमाल में कोई खास कमी नहीं आई है, बल्कि रासायनिक खादें पहले से ज्यादा महंगी हुई हैं।

पिछले कुछ सालों में खेती की लागत भी बढ़ी है। ऐसे में प्रगतिशील किसानों ने प्राकृतिक खेती का विकल्प अपनाना शुरू कर दिया है। अब किसानों ने प्राकृतिक या जैविक खेती को एक सशक्त विकल्प के रूप में अपना लिया है।


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