रूसी नेता की रहस्यमय मौत
ओडिशा के होटल में रूसी कारोबारी और राजनेता पावेल एंटोव और उनके मित्र व्लादिमीर बुडानोव की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत पर हड़कम्प मचा हुआ है लेकिन दोनों की मौत पर सवाल भी उठ रहे हैं। यह पिछले 6 महीनों में रूसी धनकुबेरों की हो रही संदिग्ध परिस्थितियों में मौतों के सिलसिले में नई मौतें हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि यह मौतें भारत में हुई हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के शुरू होने के बाद 3 जून को पहली बार किसी रूसी कारोबारी की मौत हुई थी
आदित्य नारायण चोपड़ा; ओडिशा के होटल में रूसी कारोबारी और राजनेता पावेल एंटोव और उनके मित्र व्लादिमीर बुडानोव की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत पर हड़कम्प मचा हुआ है लेकिन दोनों की मौत पर सवाल भी उठ रहे हैं। यह पिछले 6 महीनों में रूसी धनकुबेरों की हो रही संदिग्ध परिस्थितियों में मौतों के सिलसिले में नई मौतें हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि यह मौतें भारत में हुई हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के शुरू होने के बाद 3 जून को पहली बार किसी रूसी कारोबारी की मौत हुई थी, जिसे सामान्य माैत नहीं कहा जा सकता, लेकिन जांच में हत्या के कोई सबूत नहीं मिल पाए थे। तब से अब तक मौतों की संख्या 21 हो चुकी है। इनमें से कई व्यवसाइयों ने यूक्रेन पर रूसी हमले की कड़ी आलोचना की थी। मारे गए सभी व्यवसाइयों का संबंध या तो तेल और गैस कम्पनियों से था या फिर वे रूस की आंतरिक राजनीति में सक्रिय थे। पावेल एंटोव भी रूसी सांसद थे। वह अपना जन्मदिन का जश्न मनाने भारत आए हुए थे। उनकी छत से गिरने से मौत हुई। जबकि दो दिन पहले उनके मित्र होटल के कमरे में मृत मिले थे। यद्यपि रूसी दूतावास का कहना है कि दोनों की मौत से अभी तक कोई आपराधिक कड़ी नहीं जुड़ी है, लेकिन इन मौतों से संदेह काफी गहरा गया है। रूसी सांसद पावेल एंटोव रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के कट्टर आलोचक थे। अब घटना से यह एंगल जुड़ जाने के बाद संदेह और भी गहरा गया है। रूस ने जब यूक्रेन पर हमला किया तो एंटोव ने इसे पुतिन का आतंक बताया था। हालांकि पुलिस अधिकारी इस मौत को आत्महत्या का मामला बता रहे है। कहा जाता है कि एंटोव अपने दोस्त की मौत के बाद तनाव में थे।यूक्रेन पर हमला करके दुनिया को डराने वाले पुतिन के राजनीतिक इतिहास पर गौर करें तो उन्होंने पिछले दो दशकों में एक-एक करके अपने सभी विरोधियों को ठिकाने लगा दिया। जोसफ स्टालिन के बाद देश पर सबसे लम्बे समय तक रूस पर राज करने का रास्ता भी उन्होंने तलाश लिया है। विपक्ष को खत्म करने के लिए पुतिन ने हर वो तरीका अपनाया जो किसी समय में जर्मन के तानाशाह हिटलर ने अपनाया था। वर्ष 2018 में पुतिन चौथी बार इस पद पर चुने गए थे। उनका कार्यकाल 2024 तक है। पुतिन की छवि अपने विरोधियों को निपटाने वाले एक सख्त शासक की है। उन्हें 2014 में पड़ोसी देश यूक्रेन के हिस्से वाले क्रीमिया पर कब्जा करने से पूरी दुनिया रोक नहीं पाई थी। पश्चिमी देशों की पाबंदियों के बावजूद रूस कमजोर नहीं हुआ। पुतिन ने अपने हिम्मत विरोधियों को लगातार निपटाया है।पिछले राष्ट्रपति चुनाव के दौरान विपक्षी नेता एलेक्सी नवेलनी नवलनी ने पुतिन के करीबी दिमित्री मेदवेदेव की आकूत सम्पत्ति का खुलासा किया था, इसके चलते नवलनी रूसी युवाओं में खासे पसंद भी किए जा रहे थे, लेकिन एक पुराने मामले में दोषी ठहरा दिए गए और राष्ट्रपति पद के लिए उनकी उम्मीदवारी पर प्रतिबंध लगा दिया गया। आरोप है कि रूसी राजनीति से ठिकाने लगाने के लिए अगस्त 2019 में साइबेरिया से मास्को लौटते हुए नवलनी को विमान में चाय में मिलाकर खतरनाक जहर दिया गया। इसको पीते ही उनकी तबियत खराब होने लगी और वो अचानक बेहोश हो गए। इसके बाद उन्हें वहीं के एक स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया। 17 जनवरी, 2021 को जर्मनी से इलाज कराकर मास्को लौटे एलेक्सेई नवलनी को रूसी सरकार ने पैरोल नियमों का उल्लंघन करने के मामले में जेल में डाल दिया, वे तब से जेल में ही हैं। संपादकीय :अखिलेश और जयन्त के तेवरआज से छुट्टियां....चंदा : बुलंदियों से जेल तकजेलेंस्की की मोदी से अपीलनेपाल में प्रचंड प्रजातंत्र!श्रीकृष्ण जन्म भूमि : बड़ा फैसलाइससे पहले साल 2015 में पुतिन के कट्टर विरोधी और रूस के पूर्व उपप्रधानमंत्री बोरिस नेमत्सोव की भी मॉस्को में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बोरिस का मानना था कि क्रीमिया का विलय पुतिन का एकतरफा फैसला था, जो पुतिन ने निजी स्वार्थ में लिया, वो इसे लेकर कुछ खुलासा करने वाले थे, लेकिन उससे पहले ही उनकी हत्या कर दी गई। रूस में विपक्ष नाममात्र का ही है, तो मीडिया पर पुतिन की जबरदस्त पकड़ है। कहते हैं कि रूस में वही खबरें दिखाई जाती हैं, जो पुतिन के फैसलों का समर्थन करती हैं और उनके पक्ष में प्रोपेगैंडा चलाती हैं।जहां तक पावेल एंटोव का सवाल है पुतिन की आलोचना करने पर वह अपने ही देश में घिर गए थे और बढ़ते राजनीतिक दबाव के बीच उन्होंने अपना बयान वापिस लेते हुए माफी भी मांगी थी। उन्हें यह कहना पड़ा था कि वे हमेशा से ही पुतिन का समर्थन करते हैं और देश के सैन्य लक्ष्यों के साथ खड़े हैं। 2019 में फोर्ब्स रूस ने एंटोव को सबसे धनी सांसद घोषित किया था और उनकी वार्षिक आय 130 मिलियन पाउंड बताई गई थी। एंटोव कम्पनियों के व्लादिमीर मानक समूह के संस्थापक थे जो कुछ वर्षों में बहुत बड़ा उद्योग समूह बन गया था। पुलिस अब सभी कोणों से जांच कर रही है कि क्या उनकी मौत आत्महत्या थी या वह गलती से छत से गिर गए थे। वैसे पुतिन विरोधियों की मौत के कारणों का सच हमेशा दफन ही रहता है, लेकिन भारत में हुई रूसी व्यापारियों की मौत का सच तो तलाश किया ही जाना चाहिए।