रोम में गूंजा मोदी मंत्र
इटली की राजधानी रोम में आयोजित किए गए जी-20 सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना महामारी से जंग को लेकर वन अर्थ-वन हैल्थ का मंत्र दिया।
आदित्य चोपड़ा: इटली की राजधानी रोम में आयोजित किए गए जी-20 सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना महामारी से जंग को लेकर वन अर्थ-वन हैल्थ का मंत्र दिया। प्रधानमंत्री ने जी-20 देशों को भारत के आर्थिक सुधार और सप्लाई चैन डायवर्सिफिकेशन में अपना भागीदारी बनाने के लिए आमंत्रित किया। प्रधानमंत्री ने कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में भारत के योगदान का उल्लेख किया। भारत ने इस दौरान 150 देशों को मैडिकल सप्लाई की है। 'वन अर्थ-वन हैल्थ' के दृष्टिकोण के पीछे महामारी के खिलाफ लड़ाई में सहयोगात्मक दृष्टिकोण ही है। इसका अर्थ यही है कि कोरोना महामारी की जंग सभी देश मिलकर लड़ेंगे तो जीत जाएंगे। प्रधानमंत्री ने जी-20 देश के नेताओं से वादा किया कि भारत अगले साल के अंत तक कोविड-19 वैक्सीन की 5 अरब डोज बनायेगा और यह डोज केवल भारतीयों के लिए नहीं होंगी बल्कि इन्हें पूरी दुनिया को दिया जाएगा। मोदी के स्वर में सभी देशों ने अपना स्वर मिलाया और दुनिया के गरीब देशों तक टीकें पहुंचाने की कोशिशों को दोगुना करने पर सहमति जताई। अमीर देशों में तो 70 प्रतिशत आबादी का वैक्सीनेशन हो चुका है जबकि गरीब देशों में सिर्फ 3 प्रतिशत आबादी का ही टीकाकरण हुआ है। यह अनैतिक भी है और भेदभावपूर्ण भी है।कोरोना वैक्सीन को लेकर गंभीर असंतुलन है। दवा कंपनियां पेटेंट कानूनों का सहारा ले रही हैं। कहीं अन्य प्रतिबंध आड़े आ रहे हैं। यह दुनिया के अमीर देशों की जिम्मेदारी है कि वे गरीबों को वैक्सीन मुहैया कराएं। यदि कोरोना वैक्सीन का उत्पादन नहीं बढ़ाया गया तो 2024 तक भी दुनिया महामारी से जूझती रहेगी। दुनिया मास्क पहनने की बाध्यता से, टेस्ट और भय से जूझती रहेगी। अभी तक भारतीय कोविड-19 वैक्सीन को डब्ल्यूएचओ ने इमरजैंसी अप्रूवल नहीं दी है। कोवैक्सीन लगाने वालों को अभी भी अमेरिका में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जा रही। प्रधानमंत्री मोदी ने जी-20 देशों से कोवैक्सीन के डब्ल्यूएचओ से अप्रूवल दिलाने में मदद मांगी। अगर अप्रूवल मिल जाती है तो भारत को 5 अरब वैक्सीन बनाने का टारगेट हासिल करने में आसानी होगी। प्रधानमंत्री ने कैथोलिक चर्च के प्रमुख पोप फ्रांसिस से मुलाकात की जो ऐतिहासिक रही। पोप फ्रांसिस ने कोरोना काल में भारत द्वारा दूसरे देशों की मदद करने पर सराहना की और भारत आने का निमंत्रण भी स्वीकार कर लिया। दोनों में जलवायु परिवर्तन का सामना करने और गरीबी मिटाने जैसे दुनिया को बेहतर बनाने वाले मुद्दों पर एक घंटे तक चर्चा हुई। समाज, राष्ट्र और सम्पूर्ण विश्व के कल्याण के भाव से जब हस्तियां आपस में मिली हैं तो शुभत्व का नव सूर्य आलोकित होता है। मोदी और पोप की मुलाकात से भारत का गौरव बढ़ा है। भारत वसुधेव कुटुम्बकम् की भावना में विश्वास करता है और सभी धर्मों का सम्मान करता है। यह मुलाकात शांति-सद्भाव और अंतर धार्मिक संवाद की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पोप से 20 साल बाद मुलाकात हुई है। इससे पहले अटल बिहारी वाजपेयी ने पोप से मुलाकात की थी। अब तक देश के पांच प्रधानमंत्री पोप से मिल चुके हैं। भारत भी दुनिया में शांति के लिए प्रयास कर रहा है जबकि पोप भी दुनिया में शांति का प्रयास कर रहे हैं।संपादकीय :14 राज्यों में उपचुनावबज गई स्कूल बैल लेकिन...सिनेमाघर होंगे गुलजार!रिजर्व बैंक के गवर्नर का 'वजन'कुफ्र टूटा खुदा-खुदा करके !धुआं-धुआं न हो उत्सवजहां तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रो के साथ मुलाकातों का सवाल है। जो तस्वीरें सामने आई हैं वह इस बात का प्रमाण है कि वैश्विक नेताओं की प्रधानमंत्री के साथ खास बाडिंग नजर आई। ग्लोबल लेबल पर मोदी का 'पर्सनल टच' साफ दिखाई दिया। मोदी और बाइडेन की गर्मजोशी अलग से ही दिखी। जर्मनी हो या जापान सब प्रधानमंत्री पर मेहरबान नजर आये। अब सोशल मीडिया पर इन मुलाकातों के वैश्विक प्रभाव पर चर्चा चल पड़ी है। नरेन्द्र मोदी वैश्विक नेता की छवि तो बहुत पहले ही बना चुके हैं। हमारे सफल टीकाकरण अभियान सेे पूरी दुनिया में भारत का कद काफी ऊंचा हुआ है। यह अभियान स्वतंत्र भारत के इतिहास में एक अभूतपूर्व प्रयास रहा। पूरी दुनिया में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में टीम इंडिया की ताकत दिखाई पड़ी। अब उम्मीद है कि डब्ल्यूएचओ कोवैक्सीन को जल्द अप्रूवल दे देगा और वैक्सीन उत्पादन में आ रही बाधायें दूर होंगी। इससे भारत गरीब देशों को वैक्सीन आसानी से पहुंचा सकेगा। प्रधानमंत्री की रोम यात्रा से भारत का सम्मान बढ़ा है।