कृषि कानूनों को लेकर मोदी सरकार ने राष्ट्रपति के माध्यम से की प्रतिबद्धता व्यक्त, कानून नहीं होगा वापस
राष्ट्रपति के अभिभाषण में कृषि सुधारों से जुड़े कानूनों को जरूरी बताए जाने से एक बार फिर यह स्पष्ट हुआ
राष्ट्रपति के अभिभाषण में कृषि सुधारों से जुड़े कानूनों को जरूरी बताए जाने से एक बार फिर यह स्पष्ट हुआ कि सरकार इन कानूनों को लेकर अपने कदम पीछे खींचने वाली नहीं। यह पहली बार नहीं है, जब इन कानूनों को लेकर सरकार ने राष्ट्रपति के माध्यम से अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की हो। इसके पहले गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संदेश में भी राष्ट्रपति ने इन कानूनों की उपयोगिता रेखांकित की थी। यह भी उल्लेखनीय है कि सरकार एक ओर जहां इन कानूनों को वापस लेने को तैयार नहीं, वहीं वह उनके अमल को डेढ़ साल तक स्थगित करने की पेशकश कर चुकी है। उसने नरमी का परिचय देते हुए यह पेशकश किसान संगठनों को संतुष्ट करने के लिए की थी, लेकिन वे इसी पर अड़े रहे कि उन्हें इन कानूनों की वापसी से कम और कुछ स्वीकार नहीं। इसके पहले सरकार इन कानूनों के सभी बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा करने और उसके कुछ प्रविधानों को बदलने को भी तैयार थी, लेकिन किसान नेताओं को यह भी मंजूर नहीं हुआ। उन्होंने इसकी भी अनदेखी की कि सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगाते हुए उनकी समीक्षा के लिए एक समिति गठित कर दी है। किसान नेताओं को यह अप्रत्याशित पहल भी रास नहीं आई।