मुफ्ती रुबिया सैयदा केस की परतें
बात बहुत पुरानी है। गिलगित के अमानुल्ला खान ने इंग्लैंड में मुहाज-ए-रायशुमारी अर्थात प्लैबिसाइट फ्रंट की स्थापना की थी। जाहिरा तौर पर यह फं्रट पूरे जम्मू-कश्मीर में जनमत संग्रह की मांग करता था। इसका कहना था कि जम्मू-कश्मीर स्वतंत्र देश है। लेकिन परोक्ष तौर पर इसको पाकिस्तान सरकार और इंग्लैंड सरकार की सहायता उपलब्ध थी। यह अपने उद्देश्य के लिए आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्तता था
बात बहुत पुरानी है। गिलगित के अमानुल्ला खान ने इंग्लैंड में मुहाज-ए-रायशुमारी अर्थात प्लैबिसाइट फ्रंट की स्थापना की थी। जाहिरा तौर पर यह फं्रट पूरे जम्मू-कश्मीर में जनमत संग्रह की मांग करता था। इसका कहना था कि जम्मू-कश्मीर स्वतंत्र देश है। लेकिन परोक्ष तौर पर इसको पाकिस्तान सरकार और इंग्लैंड सरकार की सहायता उपलब्ध थी। यह अपने उद्देश्य के लिए आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्तता था। इंग्लैंड में फ्रंट ने अनेक शहरों में अपनी शाखाएं स्थापित कर ली थीं। 1977 में इंग्लैंड में ही फ्रंट ने अपना नाम बदल कर जम्मू-कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) कर लिया। भारत के मक़बूल भट्ट को भी जेकेएलएफ का सह निर्माता माना जाता है। मक़बूल भट्ट कुपवाड़ा का रहने वाला था। उसने पाकिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों का प्रशिक्षण हासिल किया था। भारत में वह एक बैंक डकैती में पकड़ा गया और जेल में डाल दिया था। उसको छुड़वाने के लिए जेकेएलएफ ने लंदन में भारतीय दूतावास के अधिकारी रवींद्र म्हात्रे का अपहरण कर लिया और उनकी रिहाई के लिए मक़बूल भट्ट की रिहाई की मांग की। लेकिन बातचीत के दौरान ही म्हात्रे की हत्या कर दी गई। उसके कुछ दिन बाद ही मक़बूल भट्ट को फांसी की सजा दी गई और उसे फांसी पर लटका दिया गया। तब फ्रंट ने जम्मू-कश्मीर में भी अपनी गतिविधियां तेज करने का निर्णय किया। यासिन मलिक और उसके तीन साथी हामिद शेख, अशफाक वानी व जावेद अहमद मीर इसमें सक्रिय हुए। उन्होंने इस काम के लिए बाक़ायदा पाकिस्तान में जाकर आतंकी गतिविधियों व हथियार चलाने का प्रशिक्षण प्राप्त किया। तब से जेकेएलएफ जम्मू-कश्मीर में और पाकिस्तान द्वारा कब्जा किए गए तथाकथित आज़ाद कश्मीर में सक्रिय है और अनेक प्रकार की आतंकी गतिविधियों में संलग्न है। जाहिरा तौर पर जेकेएलएफ पूरी जम्मू-कश्मीर रियासत को आज़ाद देश के तौर पर स्थापित करने का पक्षधर है। भारत में इसका नेता मोटे तौर पर यासिन मलिक है। वैसे कहा यह भी जाता है कि जेकेएलएफ के शुरुआती दौर में उसकी मीटिंगों में फारूक अब्दुल्ला ने भी शिरकत की थी जो उन दिनों इंग्लैंड में ही रहते थे। सरकार पर दबाव बनाने के लिए जेकेएलएफ ने दिसंबर 1989 में श्रीनगर से मेडिकल कालेज की एक छात्रा मुफ़्ती रुबिया सैयदा का अपहरण कर लिया था। यह छात्रा मुफ़्ती मोहम्मद सैयद की बेटी थी जो उन दिनों भारत सरकार के गृहमंत्री थे। जेकेएलएफ ने मांग की कि रुबिया की रिहाई के बदले उसके पांच दुर्दान्त आतंकवादी श्रीनगर की जेल से छोड़े जाएं।
सोर्स- divyahimachal