वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जितने लगाव से हिमाचली टोपी और शाल पहनते हैं, उससे उनका हिमाचल के प्रति प्यार झलकता है। अपने जीवन का कुछ समय उन्होंने संगठन का कार्य करते हुए हिमाचल में बिताया है। बहुत से लोगों को तो वह कई बार पहले नाम से संबोधित कर आश्चर्यचकित कर देते हैं, हिमाचल के कोने-कोने से परिचित हैं। उनके छोटी काशी यानी मंडी में इस समारोह को संबोधित करने की एक और वजह भी है, जो राजनीतिक है। पिछले उपचुनावों में प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को सभी सीटों से हाथ धोना पड़ा, चाहे विधानसभा की तीन सीटें हों या लोकसभा की एक सीट, जो पहले भारतीय जनता पार्टी के पास थी। मंडी सबसे बड़ा लोकसभा चुनाव क्षेत्र है, जिसमें 17 विधानसभा चुनाव क्षेत्र हैं जो मंडी से शुरू होकर दूरदराज के क्षेत्र लाहुल-स्पीति, किन्नौर, पांगी तक फैला है। उपचुनावों में हुई हार का प्रदेश के कर्मठ और ईमानदार मुख्यमंत्री ने संज्ञान लिया और बहुत सारी योजनाओं की घोषणा भी कर दी और कर रहे हैं। जनता से संपर्क, उनकी शिकायतें सुनने का काम, कर्मचारियों के हित में कई योजनाओं की घोषणा भी कर दी। मतदाता बहुत ही समझदार होता है, आप उसका मन मतदान के दिन तक ठीक से नहीं पढ़ पाते।
प्रधानमंत्री का इस रैली या समारोह में आना इस बात की तरफ इशारा करता है कि वह उपचुनावों के नतीजों से खुश नहीं हैं। उन्हें ही जाकर जनता से बात करनी पड़ेगी। देश के वर्तमान राजनेताओं में से अगर जनता से कोई सीधा संपर्क स्थापित कर सकता है तो वह नरेंद्र मोदी हैं। भारतीय जनता पार्टी में श्री अमित शाह व श्री जगत प्रकाश नड्डा अच्छे वक्ता हैं। नड्डा क्योंकि छात्र नेता रहे हैं तो उनकी पकड़ हिमाचल में काफी है, ख़ासकर उस वर्ग से जो उस समय उनसे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में उनके संपर्क में आया। प्रधानमंत्री समारोह में आए, दूरदराज के क्षेत्रों से लाए गए लोगों को आने वाले चुनावों में पार्टी को सहयोग जारी रखने की बात कहेंगे। मंडी हल्का राजनीतिक दृष्टि से बहुत जागरूक है। यहां एक समय कांग्रेस के नेता एवं पूर्व संचार मंत्री पंडित सुखराम का वर्चस्व रहा है। उन्होंने यहां के स्थानीय लोगों के न केवल टेलीफोन ही लगवाए थे बल्कि उन्हें रोज़गार भी दिलवाए थे। लेकिन उनके बेटे अनिल शर्मा इस विरासत को ठीक से नहीं चला पाए। उन्हें यह तय करना मुश्किल लगता है कि कौनसी पार्टी में रहा जाए। पिछले चार साल में जो हिमाचल में विकास कार्य हुए हैं, उनका लेखा-जोखा या रिपोर्ट कार्ड तो जयराम ठाकुर इस समारोह में रखेंगे ही, आने वाले कुछ महीनों में किए जाने वाले कार्यों के बारे में भी जनता को बताएंगे। प्रधानमंत्री का मोह हिमाचल के लिए ख़ास है। उनके कई मित्र यहां हैं, लेकिन हिमाचल में हर पांच साल के बाद सरकार बदलती है। भारतीय जनता पार्टी की पूरी कोशिश रहेगी कि इस बार इस परिपाटी को बदल दिया जाए औ भाजपा की ही सरकार हिमाचल में बने।
यह काम असंभव तो नहीं, लेकिन कठिन जरूर है। हिमाचल भाजपा में कहीं-कहीं हल्की दरारें हैं, जो बाहर से नज़र नहीं आती। उन दरारों को भरना होगा, मिल-बैठ कर अपनों की नाराज़गी का समाधान किया जा सकता है। इधर कांग्रेस के शीर्ष नेता राजा वीरभद्र सिंह के न होने से कांग्रेस को काफी फर्क पडे़गा, लेकिन पार्टी सहानुभूति के वोट बटोरने की कोशिश करेगी। छोटी काशी में होने वाला यह समारोह प्रधानमंत्री और प्रदेश की जनता के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है। उनका प्रयास रहेगा कि अधिक से अधिक लोगों को अपनी ओर अपने संबोधन से जोड़ें। इन चुनावों में पहली बार वोट डालने वाले युवा बहुत कुछ तय कर सकते हैं। देश का युवा वर्ग प्रधानमंत्री के भाषणों तथा उनकी नीतियों से प्रभावित तो है, लेकिन कहीं न कहीं ज्यादा रोज़गार के अवसर न मिलने पर कुंठित भी है। प्रदेश में चुनाव से पहले होने वाला यह बड़ा समारोह है। कोरोना काल में होने वाली बड़ी सभा में लोगों को सावधानी से सभा में आना होगा। भले ही हिमाचल सरकार इसे राजनीतिक समारोह न कहे, लेकिन यह समारोह आने वाले चुनाव की नींव रखेगा। यहीं से आने वाले विधानसभा चुनावों की रणनीति की तैयारी होगी। जिस तरह मोदी जी ने काशी में विकास किया है, क्या वही विकास हिमाचल के दुर्गम क्षेत्रों में भी जारी रहेगा? हिमाचल की जनता को इस समारोह में, प्रधानमंत्री के छोटी काशी में संबोधन से बहुत उम्मीदें हैं।
रमेश पठानिया
स्वतंत्र लेखक