काशी विश्वनाथ कॉरिडोर उद्धघाटन : मंदिरों के उद्धार के स्वर्णिम काल की शुरुआत

मंदिरों के उद्धार के स्वर्णिम काल की शुरुआत

Update: 2021-12-13 05:28 GMT
पीएम नरेंद्र मोदी सोमवार 13 दिसंबर को वाराणसी में बहुप्रतिक्षित काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर का उद्घाटन कर रहे हैं. हिंदू धर्म स्थलों का हाल किसी से छुपा नहीं रहा है. कुछ खास मंदिरों को छोड़ दिया जाए तो देश के अधिकतर मंदिर चाहे काशी- अयोध्या-मथुरा हों या देश के किसी अन्य जगहों के मंदिर उनकी दुर्दशा देखकर मन दुखी हो जाता रहा है. यह बात अकसर कचोटती थी कि गुरुद्वारों और गिरिजाघरों में इतनी साफ सफाई और इतनी भव्यता कैसे होती है? हम क्या अपने मंदिरों को सजा संवार नहीं सकते सकते हैं?
दरअसल होता ये रहा है कि देश में मंदिर की बात करते ही किसी भी नेता या व्यक्ति को सांप्रदायिक करार दे दिया जाता रहा है. हालांकि गांधी जी ने खुद 1916 में अपने बनारस विजिट में बहुत पहले ही ये बात कही थी कि अगर हम अपने मंदिरों की देखभाल नहीं कर सकते तो हम स्वशासन की बात किस मुंह से और कैसे कर सकेंगे? गांधी बहुत महान शख्सियत थे उन्होंने सही मायने में हिंदू धर्म और भारत को समझा था. और वो जानते थे कि भारत का पुनर्जागरण तभी संभव है जब हिंदू धार्मिक स्थलों का पुनर्त्थान हो. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सही मायने में उन्हें आज सच्ची श्रद्धांजलि दे रहे हैं.
राष्ट्रपिता क्या चाहते थे
राष्ठ्रपिता की आत्मा को आज उनके मरने के 70 साल बाद शांति मिल रही होगी कि उनकी इच्छानुसार देश भर के मंदिरों का कल्य़ाण हो रहा है. पीएम मोदी ने अपने नेतृत्व में सोमनाथ मंदिर, अयोध्या-काशी के मंदिर ही नहीं बल्कि इन शहरों का भी सुधार हो रहा है. उत्तराखंड में चार धाम यात्रा मार्ग हो या मंदिर सबका उद्धार हो रहा है. यही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस अभियान की प्रेरणा ही रही है कि दूसरी पार्टियों वाले राज्यों जैसे छत्तीसगढ़ , उड़ीसा , तेलांगना आदि राज्यों ने भी हिंदू धर्म स्थलों को भव्य बनाने का कार्यक्रम शुरू किया है. भारत में मंदिरों के उद्धार का जब भी इतिहास लिखा जाएगा महाराजा विक्रमादित्य और अहिल्याबाई होल्कर के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम भी स्वर्णाक्षरों में शामिल होगा.
फ़रवरी 1916 में महात्मा गांधी काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के स्थापना सम्मेलन में गए. बीएचयू में अपने संबोधन से एक दिन पहले गांधी काशी विश्वनाथ मंदिर गए. मंदिर की गंदगी ने उन्हें बहुत निराश किया. मंदिर की दुर्दशा की तुलना उन्होंने भारतीय समाज से व्याप्त बुराइयों से की. बीएचयू के अपने संबोधन में उन्होंने कहा, 'इस महान मंदिर में कोई अजनबी आए, तो हिंदुओं के बारे में उसकी क्या सोच होगी और तब जो वह हमारी निंदा करेगा, क्या वह जायज नहीं होगी?, क्या इस मंदिर की हालत हमारे चरित्र को प्रतिबिंबित नहीं करती? एक हिंदू होने के नाते, मैं जो महसूस करता हूं वही कह रहा हूं. अगर हमारे मंदिरों की हालत आदर्श नहीं है, तो फिर अपने स्वशासन के मॉडल को हम कैसे गलतियों से बचा पाएंगे? जब अपनी खुशी से या बाध्य होकर अंग्रेज इस देश से चले जाएंगे, तो इसकी क्या गारंटी है कि हमारे मंदिर एकाएक पवित्रता, स्वच्छता और शांति के प्रतिरूप बन जाएंगे?'
इतना आसान नहीं था मंदिरों के लिए काम
महात्मा गांधी जो चाहते थे उसमें से बहुत कुछ ऐसा हुआ जो स्वतंत्र भारत में कभी नहीं हो सका. आजादी के तुरंत बाद गुजरात स्थित सोमनाथ मंदिर का पुनर्कल्याण भी बहुत मुश्किल काम था. देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु कतई नहीं चाहते थे कि सोमनाथ मंदिर हिंदुत्व के उभार का कारण बने. यहां तक कि सरदार वल्लभभाई पटेल के प्रयासों के चलते मंदिर का उत्थान तो हो गया पर राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद को उद्घाटन कार्यक्रम में जाने से प्रधानमंत्री नेहरु ने भरसक रोकने की कोशिश की पर सफल नहीं हुए. नेहरू के उत्तराधिकारियों ने भी उन्हीं के पदचिह्नों पर चलते हुए कुछ ऐसा माहौल बनाया कि महात्मा गांधी के मंदिरों के उद्धार का सपना , सपना ही रह गया. इंदिरा गांधी हों या राजीव गांधी मंदिरों में दर्शन करने जरूर जाते रहे पर उनके उद्धार के बारे में कभी नहीं सोचा. इंदिरा गांधी ने देश के कई हिस्सों में स्थित मंदिरों का दौरा किया. उनके बाद की पीढि़यों भी ऐसा ही कर रही हैं. पर मंदिरों के उद्धार को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उत्साह के चलते आज देश में स्थितियां बदल चुकी हैं.
एक वक्त ऐसा था मंदिर मुद्दे के चलते भारतीय जनता पार्टी दूसरी पार्टियों के लिए अछूत हो जाती थी. पर अब ऐसा नहीं है. आज स्थित बदल चुकी है. उत्तर प्रदेश की सभी पार्टियां अलग-अलग रूप में अपना अयोध्या कनेक्शन दिखा रही हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली वासियों को मुफ्त में ट्रेनें भर-भरकर अयोध्या भेज रहे हैं. पंजाब के कांग्रेसी सीएम ही नहीं दूसरे दल वाले भी मंदिरों की यात्राएं कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार कौशल्या माता मंदिर का निर्माण करा रही है. तेलंगाना की केसीआर सरकार कई सौ करोड़ खर्च कर भव्य यदाद्रि मंदिर बनवा रही है. उड़ीसा में कभी जगन्नाथ मंदिर में नहीं जाने वाले सीएम नवीन पटनायक अब मंदिर में दर्शन के लिए इवेंट मैनेज करते हैं. कई सौ करोड़ खर्च कर जगन्नाथ मंदिर को सुविधायुक्त बनाने की योजना पर काम शुरू हो चुका है.
अयोध्या-काशी का कल्याण
2019 में रामजन्मभूमि विवाद में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद आसान नहीं था कि एक साल के अंदर उसका शिलान्यास हो जाए और काम शुरू हो जाए. पर अब मंदिर बनकर तैयार होने वाला है. इसके साथ ही अयोध्या शहर का भी कल्याण हो रहा है. आस-पास के सभी मंदिरों के जीर्णोद्धार पर दिन रात काम हो रहा है. अयोध्या में दुनिया की सबसे ऊंची श्रीराम की प्रतिमा भी बन रही है. दिल्ली और काशी-अयोध्या-मथुरा को बुलेट ट्रेन से जोड़ने की योजना है. लखनऊ से अयोध्या के लिए अलग एक्सप्रेस वे, अयोध्या में एक इंटरनैशनल एयरपोर्ट भी बन रहा है.
संयम श्रीवास्तव.
काशी विश्वनाथ कॉरीडोर को बनाना भी आसान नहीं था. मंदरि के आस-पास से बहुत से लोगों को हटाना और उनका पुनर्वास कराना और मुकदमों से पार पाना बहुत ही जटिल कार्य था. तमाम विरोध और समर्थन को झेलते हुए फिलहाल काशी विश्वनाथ का कॉरिडोर का काम पूरा हुआ है.
उत्तराखंड में चारों धाम का पुनर्त्थान
पीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट में उत्तराखंड के चारों धाम भी शामिल रहा है. केदारनाथ धाम का जिस तरह का रेनोवेशन हुआ है वह पीएम के रुचि लेने के कारण ही संभव हो सका है. चारों धामों को जोड़ने के सड़क परियोजना पर काम चल रहा है जिसके जल्द पूरे होने के आसार हैं. इसके पूरा होने पर 12 महीने इन स्थानों पर पहुंचा जा सकेगा. ऋषिकेश और कर्ण प्रयाग को रेलवे मार्ग से भी जोड़ा जा रहा है. जो 2025 तक कंप्लीट होने की संभावना है.
कश्मीर के मंदिरों का उद्धार
कश्मीर में अनुच्छेद 370 की समाप्त करने के बाद लगातार बरबाद हो चुके हिंदू मंदिरों के पुनुरुद्धार करने का काम शुरू हो गया है. सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार कश्मीर में करीब 1842 हिंदू धर्म स्थल हैं. जिसमें 952 मंदिर हैं, पर 212 मंदिरों में पूजा पाठ हो रहा है. श्रीनगर स्थित रघुनाथ मंदिर का सबसे पहले कल्याण किया जा रहा है.
विदेशों में भी मंदिरों की योजनाएं
पीएम मोदी की योजना केवल देश के मंदिरों को ही पुनरुद्धार की नहीं हैं. विदेशों में भी जीर्ण शीर्ण हालत में पड़े पुराने मंदिरो के कल्याण की योजनाओं पर भी काम हो रहा है. इस दिशा में सबसे पहले बहरीन स्थित 200 साल पुराने श्रीनाथ जी के मंदिर के लिए 4.2 मिलियन डालर खर्च हो रहा है. इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी द्वारा अबू धाबी में भी यहां के पहले मंदिर का 2018 में आधारशिला रखी गई है.
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