यह किताब कई सवालों के जवाब तलाशते हुए आगे बढ़ती है। मसलन बेजोस ने अपने कारोबारी साम्राज्य की आधारशिला रखने के लिए किताबों के व्यापार को ही क्यों चुना? कैलिफोर्निया, न्यूयॉर्क या टैक्सस जैसे स्थापित व्यापारिक केंद्रों के तुलना में सिएटल से ही क्यों शुरुआत की? जैसे सफलता की हर कहानी किसी परीकथा जैसी होती है, उसी तर्ज पर अमेजन की कहानी भी कुछ वैसी ही प्रतीत होती है। जैसे कि बेजोस ने अमेजन का आगाज तब किया, जब वह वाल स्ट्रीट से लगभग विदाई लेने का मन बना चुके थे।
असल में यह किताब यही बताती है कि साधारण को असाधारण में कैसे रूपांतरित किया जा सकता है। एक छोटे गैराज से बुक स्टोर शुरू करने वाली कंपनीकैसे अपने कदम बढ़ाकर परिधान, इलेक्ट्रॉनिक्स और खिलौनों से लेकर वे सब चीजें बेचने लगी, जिन्हें खरीदने या उनके उपभोग के लिए हमें घर से बाहर जाने की जरूरत ही नहीं रह गई। अपने ईबुक, म्यूजिक और वीडियो स्ट्रीमिंग सेवा से उसने मनोरंजन उद्योग का व्याकरण ही बदल दिया। जिस कंपनी को पिछली सदी के आखिरी दशक के डाट काम बूम के दौरान समाप्तप्राय मान लिया गया था, वह कैसे न केवल उस मंदी के थपेड़ों से बची, बल्कि नवाचार से अपने लिए नए क्षितिज का निर्माण किया। यह सब आसान नहीं था। इसका अंदाजा सिर्फ एक वाकये से लगाया जा सकता है। शुरुआत में जब अमेजन सिर्फ किताबें बेचती थी, तब वितरकों ने उन्हें दोटूक कह दिया था कि वे दस से कम किताबों के ऑर्डर की आपूर्ति नहीं करेंगे। बेजोस ने इसका तोड़ इस प्रकार निकाला कि वह एक अपेक्षित किताब के साथ नौ प्रतियां उस दुर्लभ किताब की ऑर्डर किया करते, जिसका वितरकों के भंडार में होना असंभव हुआ करता था।
लेखक बेजोस के कुछ विशिष्ट गुणों से परिचित कराते हैं। जैसे उनका कारोबारी दर्शन ही यही है कि प्रतिस्पर्धियों के बजाय अपने ग्र्राहकों पर ध्यान देना कहीं अधिक फायदेमंद होता है। इसीलिए प्रेस रिलीज, उत्पाद विवरण और शेयरधारकों के पत्रों की जांच करते हुए बेजोस की लाल कलम तुरंत उठ जाती है और वह हर उस शब्द को काट देते हैं, जो ग्र्राहकों के लिए जटिलता का कारण बने। वह ग्र्राहकों के हर तबके में अपनी पैठ बनाना चाहते थे। उनकी जगह कोई और शख्स होता तो वह दुनिया के सबसे बड़े ऑनलाइन बुकस्टोर के मालिक होने की उपलब्धि से अभिभूत होकर ही संतुष्ट हो जाता, लेकिन बेजोस तो रिटेल में नई क्रांति करके एक नए चलन के प्रवर्तक बनना चाहते थे, जिसमें वह पूरी तरह सफल रहे। यह किताब यही बताती है कि यह कैसे संभव हुआ। लेखक ने कंपनी से जुड़े करीब 300 लोगों के साथ बातचीत कर अपने आख्यान को प्रामाणिकता प्रदान की है, जिनसे बेजोस के व्यक्तित्व, उनके मूल्यों और कंपनी के प्रति उनके नजरिये की झलक मिलती है। इसमें कई यादगार चित्र भी दिए गए हैं। अनुवाद और बेहतर हो सकता था। यह किताब बेजोस के सपनों, संघर्ष एवं पुरुषार्थ के साथ-साथ अमेजन की स्वर्णिम सफलता के सफर का भी समांतर मूल्यांकन करती है।