जडेजा ने वक्त तो लिया लेकिन खुद को विश्व स्तर के ऑलराउंडर के रूप में स्थापित कर ही लिया

जडेजा ने आखिरी बार नवंबर 2021 में टीम इंडिया की सफेद जर्सी पहनी थी

Update: 2022-03-08 05:25 GMT
निखिल नारायण.
जडेजा ने आखिरी बार नवंबर 2021 में टीम इंडिया की सफेद जर्सी पहनी थी, लेकिन मोहाली में वापसी के दौरान उनमें कोई कमी नजर नहीं आई और उन्होंने भारतीय टेस्ट क्रिकेट (Indian Test Cricket) के इतिहास में सबसे बेहतर ऑलराउंड प्रदर्शन कर टीम को इनिंग्स के साथ जीत हासिल करवाई. रवींद्र जडेजा (Ravindra Jadeja) निचले क्रम के आक्रामक बल्लेबाज हैं और अपनी घातक गेंदबाजी के साथ भी वे भारतको मैच जिताते रहे हैं. उनके कारण मेजबान भारतीय टीम (Team India) ने श्रीलंका को एक पारी और 222 रन के बड़े अंतर से हराया और भारत ने अपने गढ़ में खेले गए पिछले 14 मैचों में आठवीं जीत हासिल कर ली. जडेजा ने सातवें नंबर पर उतर कर सिर्फ 228 गेंदों में नाबाद 175 रन बनाए और मैच में नौ विकेट लेकर भारत को दो मैचों की श्रृंखला में 1-0 की बढ़त दिला दी.
सितंबर, 2018 में द ओवल में इंग्लैंड के खिलाफ आखिरी टेस्ट की पहली पारी में 160/6 पर आने के बाद उन्होंने लगातार गिर रहे विकेटों के दबाव को झेला और 156 गेंदों में नाबाद 86 रन बनाए, जो भारत के 278 के कुल स्कोर में रनों के हिसाब से सबसे बड़ा योगदान रहा. टीम टेस्ट मैच हार गई मगर पारी में निचले क्रम पर आने वाले बल्लेबाज जडेजा के लिए यह एक बड़ा परिवर्तन रहा.
बल्लेबाजी में वापसी
ओवल, 2018 के बाद से जडेजा ने 22 मैचों (32 पारियों) में 48.91 के औसत से 1174 रन बनाए. यह रोहित शर्मा (55.06) के बाद किसी भारतीय खिलाड़ी का दूसरा सबसे बड़ा औसत रहा. निचले मध्य क्रम के बल्लेबाज जडेजा का उदय उस वक्त ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया जब बिग 3 के परफॉरमेंस में गिरावट आ गई. सितंबर 2018 के बाद से चेतेश्वर पुजारा का औसत 33.46, विराट कोहली का 40.61 और अजिंक्य रहाणे का 34.3 रहा, जबकि 2021 के बाद से इन सभी को मिला कर औसत सिर्फ 26.23 रन रहा. उनकी भारी विफलता के बावजूद भारत की बल्लेबाजी रोहित, ऋषभ पंत और जडेजा के कारण कमजोर नहीं पड़ी.
इस अवधि में जडेजा की बल्लेबाजी में दो चीजें प्रमुखता से सामने आईं – उनका लगातार बेहतर प्रदर्शन और जब टीम बुरी स्थिति में होती थी उस वक्त दबाव में भी उनके रन बनाने की क्षमता. करियर के दौरान राजकोट और मोहाली में दो शतक के अलावा इस बाएं हाथ के बल्लेबाज ने इसी दौरान 9 अर्धशतक भी मारे, जिसका मतलब यह हुआ कि उन्होंने 32 पारियों में 11 बार पचास से ज्यादा रन बनाए जो कि 2.91 का कंसिस्टेंसी रेशियो और किसी भी भारतीय बैट्समैन का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन अच्छा था. रोहित का कंसिस्टेंसी रेशियो 3.2 है, मयंक अग्रवाल का 3.4, पुजारा का 3.47, पंत का 3.75, कोहली का 3.77 और रहाणे का 4. जडेजा के बल्लेबाज के रूप में नाकाम होने का दर केवल 25 फीसदी है जो ये साबित करता है कि लोअर ऑर्डर में वो लगातार बेहतर प्रदर्शन करते रहे हैं.
जडेजा के लगभग 70% रन सातवें या उससे नीचे के क्रम पर बैटिंग करने के दौरान बने हैं, जो टेल-एंडर के रूप में उनकी बेहतर बल्लेबाजी को प्रदर्शित करती है. 2019 में एससीजी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तेजी से बनाए गए 81 रन, 2020 में ऐतिहासिक एमसीजी टेस्ट में रहाणे के साथ शतकीय साझेदारी, जिसने मैच और सीरीज का रुख पलट दिया, नॉटिंगटम में भारत के 145 पर 5 के वक्त 56 रन का योगदान और नर्थ साउंड में वेस्ट इंडीज के खिलाफ महत्वपूर्ण 58 रन (189 पर 6) से साफ है इस बाएं हाथ के बल्लेबाज ने उस विपदा की घड़ी में अच्छा प्रदर्शन किया जब भारत का टॉप ऑर्डर काफी कम रन बना कर धराशायी हो चुका था. दुनिया के किसी भी बल्लेबाज ने इस अवधि में निचले क्रम पर बैटिंग करते हुए टीम के कुल रन के अनुपात में इतना रन नहीं बनाया है जितना जडेजा ने बनाया है. छठे और सातवें क्रम पर उतर कर 500 रन बनाने वाले 17 बल्लेबाजों में जडेजा का बैटिंग औसत सबसे अधिक 58.42 इस अवधि में रहा. लिस्ट में दूसरे नंबर पर आने वाले क्विंटन डी कॉक 48.45 के साथ काफी पीछे हैं.
मोहाली में दूसरे दिन के खेल में जडेजा के नाबाद 175 रन बनाने के कारण एक बल्लेबाज के रूप में उनकी साख पहले से बेहतर हो गई है. जिस तरह से उन्होंने अपनी पारी को अंजाम दिया वो खास रही – वो पंत के पीछे रहे और ताबड़तोड़ 52 की दर से रन बनाए. अश्विन के साथ दूसरी शतकीय साझेदारी में उन्होंने अपनी स्कोरिंग रेट को बढ़ा कर 70 कर लिया और मोहम्मद शमी के साथ तीसरे शतक की साझेदारी में ताबड़तोड़ बैटिंग करते हुए 118 के स्ट्राइक रेट से सिर्फ 60 गेंद पर 71 रन बनाए. 228-गेंदों के परफॉरमेंस में उनका कंट्रोल परसेंटेज 91 फीसदी रहा.
अंत में जडेजा ने श्रीलंका को मैच से बाहर कर दिया और सुनिश्चित किया कि केवल दो ही परिणाम संभव हों. उन्होंने अपने बल्लेबाजी के क्रम में ऊपर आने को लेकर भी अपना दावा पुख्ता कर लिया है, जिसकी राय सीमित ऑवर के मैचों के कप्तान ने दी थी.
गेंदबाज जडेजा जिनका भारत में गेंदबाजी का औसत अश्विन से बेहतर है
अगर दूसरा दिन बल्लेबाज जडेजा का था तो तीसरा दिन गेंदबाज जडेजा का रहा. उन्होंने दूसरे दिन के अंतिम मिनटों में श्रीलंका के सर्वश्रेष्ठ टेस्ट बल्लेबाज दिमुथ करुणारत्ने को आउट कर दिया. गेंद ऑफ स्टंप पर काफी दूर टप्पा खाई और फिरकी खाकर बल्लेबाज को आउट कर गई. निरोशन डिकवेला को जडेजा की गेंद समझ नहीं आई. स्वीप करने के चक्कर में गेंद ने बल्ले का बाहरी किनारा लिया और स्क्वायर लेग पर श्रेयस अय्यर ने उन्हें लपक लिया. बाएं हाथ के बल्लेबाज जडेजा के जाल में फंस गए जिन्होंने स्वीप शॉट का अनुमान लगा कर पहले से ही लेग साइड में दो फिल्डर लगा रखे थे. श्रीलंका के बैट्समैन सुरंगा लकमल, विश्व फर्नांडो और लाहिरू कुमारा बगैर परेशानी के पैवेलियन लौटा दिये गए. श्रीलंका की टीम 161 रन पर 4 विकेट से 174 रन पर ऑल आउट हो गयी. यहां पर मुख्य विध्वंस करने वाले और कोई नहीं बल्कि जडेजा ही थे. जडेजा का बॉलिंग स्पेल 13 ओवर में 41 रन देकर 5 विकेट का रहा. 150 से अधिक रन बनाने वाले और 5 विकेट गिराने वाले 49 साल में वो पहले रिकॉर्ड होल्डर बन गए. कुल मिला कर ऐसी उप्लब्धि हासिल करने वाले वो तीसरे भारतीय ऑलराउंडर (वीनू मानकड और पौली उमरिगर) और विश्व स्तर पर छठे ऑलराउंडर खिलाड़ी बन गए.
रोहित ने श्रीलंका को फॉलो-ऑन दिया जो इससे पहले भारतीय कप्तानों की अपनाई गई प्रथा और दुनिया भर के चलन से अलग था. इसका मतलब यह भी था कि रविवार को आने वाले दर्शक उस शख्स को खेलते नहीं देखेंगे जो मोहाली में अपना सौवां टेस्ट खेल रहा था. दूसरी पारी में एक्स्ट्रा कवर में कैच देकर धनंजय डी सिल्वा जडेजा के पहले शिकार बने. 49 रन की मजबूत साझेदारी टूट गई और फिर तो विकेट गिरने का सिलसिला चल पड़ा. एंजेलो मैथ्यूज भी जडेजा के तेज फिरकी वाली गेंद के शिकार बने. लकमल भी पैवेलियन लौट गए. एक मैच में ऐसा दूसरी बार था जब जडेजा ने एक ही ओवर में दो विकेट लिए हों. उन्होंने श्रीलंका के एम्बुलडेनिया को आउट कर 29 ओवर में 9-87 के साथ गेंदबाजी को विराम दिया. भारत ने टेस्ट क्रिकेट में पारी और 222 रन से अपनी पांचवीं सबसे बड़ी जीत दर्ज की.
भारत ने श्रीलंका को एक ही दिन में एक तरह से दो बार आउट कर दिया. तीसरे दिन मेहमान टीम के 16 विकेट गिर गए जिनमें से जडेजा को आधे यानी 8 विकेट मिले और वो सबसे ज्यादा प्रभाव वाले ऑलराउंडर बन गए. किसी भारतीय खिलाड़ी के लिए ये केवल तीसरा मौका था जब किसी ने शतक भी जड़ा हो और आठ या उससे अधिक विकेट भी लिए हों. 150 या अधिक रन बना कर उसी मैच में 10 विकेट लेने वाले रिकॉर्ड से वो केवल एक विकेट से चूक गए.
जडेजा ने भारत में 35 टेस्ट में 54.7 के स्ट्राइक रेट से 171 विकेट लिए हैं जिसमें आठ अर्धशतक और 10 विकेट चटकाने का भी कीर्तिमान शामिल है. उनकी गेंदबाजी का औसत 20.41 के साथ उन 12 गेंदबाजों में सबसे अधिक है जिन्होंने भारत में 100 या उससे अधिक विकेट लिए हों. ये औसत अश्विन से भी अधिक है. देश में विजयी मैचों में जडेजा के गेंदबाजी का औसत 18.99 है जो अश्विन के 18.1 की तुलना में थोड़ा ही बेहतर है.
अश्विन ने भारत में जडेजा के साथ खेले गए 35 मैचों में 50.2 के स्ट्राइक रेट से 203 विकेट लिए हैं. बाएं हाथ के गेंदबाज जडेजा ने 54.7 गेंदों पर एक बैट्समैन को आउट कर 171 विकेट लिए हैं. हालांकि जडेजा का इन मुकाबलों में अश्विन की तुलना में बेहतर गेंदबाजी औसत (20.41 बनाम 21.97) रहा है जो इस बात का संकेत देता है कि वह इस फॉरमैट में बल्लेबाजों पर ज्यादा अंकुश लगा सकते हैं.
जडेजा की 2.23 की इकॉनमी रेट अश्विन के 2.62 की तुलना में कम है जो उनकी लाइन, लेंथ और एक्यूरेसी का प्रमाण है. दिसंबर 2012 में टेस्ट क्रिकेट में आगमन के बाद से किसी गेंदबाज की इकोनॉमी रेट जडेजा (2.42) से बेहतर नहीं रही है.
वह एक छोर से जो दबाव बनाते हैं वह अक्सर साथी गेंदबाजों को दूसरे छोर से विकेट लेने में मदद करता है. यह दिलचस्प है कि जहां अश्विन विपक्षी के लाइन-अप को तहस-नहस कर अब तक के सबसे महान गेंदबाज माने जाते हैं और सीरीज के रुख को पलटने वाला खेल दिखाते हैं, जडेजा को उस चश्मे से नहीं देखा जाता.
द ओवल, 2018 के बाद से जडेजा के बल्लेबाजी और गेंदबाजी का औसत डिफ्रेंशियल 21.77 है. इस समय सीमा में दुनिया भर में ये सबसे बड़ा डिफ्रेंशियल है. उनके बाद जेसन होल्डर (8.08) और बेन स्टोक्स (7.92) का नंबर आता है. कुल मिला कर टेस्ट करियर में उनकी बल्लेबाजी और गेंदबाजी का डिफ्रेंशियल 12.17 है जो कम से कम 2000 रन बनाने वाले और 100 विकेट लेने वाले 32 सबसे बड़े ऑलराउंडरों में पांचवें नंबर पर है. उनसे ऊपर में जिन चार लीजेंड के नाम हैं वो हैं गैरी सोबर्स (23.74 का डिफ्रेंशियल), जक्स कैलिस (22.71), इमरान खान (14.88) और कीथ मिलर (13.99). इसका मतलब यह भी है कि जडेजा का डिफ्रेंशियल कपिल देव, इयान बॉथम, रिचर्ड हैडली, शॉन पोलक, ट्रेवर गोडार्ड, टोनी ग्रेग, शाकिब अल हसन, क्रिस केर्न्स, एंड्रयू फ्लिंटॉफ और बेन स्टोक्स जैसे कुछ महान ऑलराउंडर से बेहतर है.
एक खिलाड़ी के प्रभाव को आंकने के लिए कई दूसरे मानदंड हैं लेकिन परंपरागत रूप से, कम से कम, जडेजा अब तक के सबसे महान खिलाड़ियों में से एक हैं.धीरे-धीरे जडेजा ने खुद को आम खिलाड़ी से एक विश्व स्तर के क्रिकेटर के रूप में स्थापित कर लिया है.
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