श्रीनगर के लाल चौक पर जन्माष्टमी की धूम क्या बदलते कश्मीर की गवाह है?

एक वक्त था जब श्रीनगर के लाल चौक पर लोग तिरंगा झंडा फहराने से पहले सौ बार सोचते थे

Update: 2021-09-01 05:48 GMT

पंकज कुमार.

एक वक्त था जब श्रीनगर (Srinagar) के लाल चौक (Lal Chowk) पर लोग तिरंगा झंडा फहराने से पहले सौ बार सोचते थे और एक वक्त आज है जब वहां लाल चौक पर जन्माष्टमी (Janmashtami) मनाई गई है. कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandits) ने लाल चौक पर राधा कृष्ण की झांकी भी निकाली. यह मौका कई सालों बाद आया था, जब कश्मीरी पंडितों ने जन्माष्टमी के अवसर पर झांकी निकाली. 90 के दशक में कट्टरपंथियों और आतंकवादियों का खौफ इतना रहता था कि कश्मीरी पंडित समुदाय के लोग चाह कर भी कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर झांकी नहीं निकाल सकते थे. लेकिन आज यह सब कुछ वहां वह कर पा रहे हैं. तो क्या इसका मतलब यह समझा जाए कि कश्मीर की फिज़ा बदल रही है.

कश्मीर में ना सिर्फ आतंकी गतिविधियां कम हुई हैं, बल्कि पत्थरबाजी पूरी तरह से बंद हो गयी है. घाटी में टूरिस्टों (Tourist) की लगातार बढ़ती आमदरफ्त बताती है वहां अब दूसरे राज्यों के लोग खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं और तसल्ली से जन्नत की वादियों की सैर करते हैं. ना सिर्फ टूरिज्म बल्कि विकास के भी कई काम हुए हैं. जम्मू कश्मीर (Jammu and Kashmir) से अनुच्छेद 370 खत्म हुए लगभग 2 साल हो गए हैं और इन 2 सालों में कश्मीर में 2 एम्स, 7 नए मेडिकल कॉलेज, 5 नए नर्सिंग कॉलेज, 2 कैंसर संस्थान, जम्मू-श्रीनगर में मेट्रो, आईटी पार्क सहित 7500 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ है. यहां तक कि भारत सरकार की ओर से पीएमडीपी स्कीम के तहत अब तक 80,000 करोड़ रुपए जारी भी हो गए हैं
इतना कैसे बदल गया जम्मू कश्मीर
जम्मू कश्मीर के इस बदलाव के पीछे दो सबसे महत्वपूर्ण कारण हैं, पहला जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 और आर्टिकल 35A का हटना और दूसरा उसे यूनियन टेरिटरी बना देना. इसकी वजह से हुआ यह कि जो विकास कार्य दशकों से अटके पड़े थे वह यूनियन टेरिटरी बनते ही तेजी से शुरू हो गए. धारा 370 और 35ए हटाने के बाद दूसरे राज्यों से वहां निवेश भी आने लगे. इससे भी जम्मू-कश्मीर के लोगों को खूब फायदा पहुंचा.
जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के अनुसार अब तक जम्मू कश्मीर को लगभग 20,000 करोड़ रुपए का निवेश मिल चुका है और उनका लक्ष्य है कि वह इस राशि को 50,000 करोड़ तक पहुंचा सकें. जम्मू कश्मीर के बदलने में सबसे ज्यादा जिस चीज का योगदान है वह है आतंकी घटनाओं का कम होना. गृह मंत्रालय के आंकड़ों के हिसाब से देखें तो घाटी में लगभग 88 फ़ीसदी पत्थरबाजी की घटनाओं में कमी आई है. हालांकि बीते 1 हफ्ते से कुछ आतंकी घटनाएं घाटी में जरूर घटी हैं लेकिन 2 साल पहले आतंकी घटनाओं के मामले में जो स्थिति कश्मीर की थी आज उससे बहुत बेहतर है.
पर्यटकों से तय होता है जम्मू कश्मीर का भविष्य
जम्मू कश्मीर और वहां के लोग पर्यटकों पर खासतौर से निर्भर होते हैं. क्योंकि वहां की ज्यादातर आबादी की आय का साधन पर्यटक ही हैं. धारा 370 हटने से पहले जहां पर्यटकों की संख्या बेहद कम हुआ करती थी, वह अब कई गुना ज्यादा बढ़ गई है. आपको याद होगा राज्यसभा में एक प्रश्न का जवाब देते हुए पर्यटन मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने बताया था कि जहां 2019 में कश्मीर में केवल 3700 पर्यटकों का ही आगमन हुआ था, वहीं 2020 में यह संख्या बढ़कर 19,000 के पार पहुंच गई थी और तो और पर्यटन विभाग के अनुसार 2021 में अब तक डेढ़ लाख से ज्यादा पर्यटक जम्मू कश्मीर घूमने आ चुके हैं.
आतंकी घटनाओं में भारी कमी
बीते 1 हफ्ते से कश्मीर के कुछ इलाकों में आतंकी घटनाओं की सक्रियता ने सरकार को जरूर चिंता में डाल दिया है. लेकिन धारा 370 हटाने के बाद के 2 सालों के आंकड़े को देखें तो मालूम चलेगा कि स्थिति पहले से काफी बेहतर हुई है. मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स के जारी आंकड़ों के अनुसार 2019 में जनवरी से जुलाई के दौरान घाटी में कुल 618 पत्थरबाजी के मामले दर्ज हुए थे. लेकिन 2020 में यह मामले घटकर 222 हुए और 2021 में अब तक (जुलाई तक) सिर्फ 76 मामले दर्ज किए गए हैं.
इस वक्त घाटी में आतंकियों को खत्म करने के लिए ऑपरेशन ऑल आउट चल रहा है. जिसके तहत अगस्त 2019 से जुलाई 2021 तक लगभग 90 आतंकी ढेर हुए हैं. यही नहीं अगर हम पिछले आंकड़ों से अब के आंकड़ों में तुलना करें तो नागरिकों और सुरक्षा कर्मियों की जान भी काफी हद तक बचाई गई है. अगस्त 2017 से जुलाई 2019 तक जहां कानून व्यवस्था से संबंधित 1394 घटनाओं में 27 नागरिक और 4 सुरक्षाकर्मी हताहत हुए थे, वहीं अगस्त 2019 से जुलाई 2021 तक कानून व्यवस्था से संबंधित 382 घटनाओं में एक भी नागरिक और एक भी सुरक्षाकर्मी हताहत नहीं हुए. हालांकि आतंकवादी मुठभेड़ों में जरूर अगस्त 2019 से जुलाई 2021 तक 76 पुलिसकर्मी और सुरक्षाकर्मी शहीद हुए हैं.
घाटी का युवा विकास की ओर जा रहा है
आतंकवाद एक सोच से जन्म लेता है और उसे खत्म करने के लिए भी पहले उस आतंकी सोच को खत्म करना होगा और इसे खत्म करने का सिर्फ एक ही रास्ता है शिक्षा और विकास. जम्मू कश्मीर में इस वक्त यह दोनों चीजें रफ्तार से आगे बढ़ रही हैं. जिसका फायदा भी दिख रहा है. क्योंकि जम्मू कश्मीर का युवा आतंक के रास्ते चलकर अपना और अपने परिवार का पूरा जीवन तबाह नहीं कर रहा, बल्कि पढ़ लिख कर और कुछ बेहतर कर अपना और देश का नाम रोशन कर रहा है.
मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स के जारी आंकड़ों को देखें तो जहां अगस्त 2017 से जुलाई 2019 के अंत तक 383 कश्मीरी युवा आतंकी बने थे. वहीं अगस्त 2019 से जुलाई 2021 के अंत तक 252 कश्मीरी लड़के आतंकी बने. और आतंक का रास्ता छोड़ने वाले युवाओं की रफ्तार तेजी से बढ़ रही है, आने वाले समय में यह 252 भी शून्य तक पहुंचने की उम्मीद है
बुलेट की आवाज धीमी क्यों पड़ने लगी है?
जम्मू कश्मीर में एक संविधान, एक झंडा, और एक बाजार मूर्त रूप ले चुका है. देश के सारे 890 केन्द्रीय कानून जम्मू और कश्मीर में लागू हो चुके हैं. पिछड़ों को आरक्षण से लेकर आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 फीसदी के आरक्षण का प्रावधान वहां की हकीकत बन चुका है. वहां के विधानसभा में अनुसूचित जनजाति के लोग संविधान के तय मापदंड के अनुसार सदस्य होंगे अब ये तय हो चुका है. ज़ाहिर है 8 लाख 75 हजार पहाड़ियों को रिजर्वेशन की श्रेणी में डालकर जो सालों से उपेक्षित महसूस कर रहे थे, वर्तमान सरकार ने वहां के लोगों में तरक्की की उम्मीद जगाई है.
ध्यान देने वाली बात यह है कि बाल्मीकि समाज से लेकर, गोरखा, सफाई कर्मचारी समेत पश्चिम पाकिस्तान से आए शरणार्थी आरक्षण की व्यवस्था का लाभ उठा सकेंगे वो वर्तमान सरकार ने सुनिश्चित कर दिया है. यही वजह है कि 24 अक्टूबर 2019 में हुए एतिहासिक ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल के चुनाव में 98.3 फीसदी मतदाताओं का हिस्सा लेना राज्य की बदलती तस्वीर की हकीकत दुनियां के सामने रख दिया है.
विकास कैसे बदल रहा है जम्मू कश्मीर की तस्वीर
बिजली, सड़क, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं को पूरा करने के लिए सरकार ने काबिल-ए-तारीफ काम किया है. पीएम डेवलपमेंट पैकेज के तहत 54 प्रोजेक्ट को पूरा किया जाना था, जिसमें जून 2018 तक महज 7 प्रोजेक्ट्स को ही पूरा किया जा सका. लेकिन जून 2021 तक 21 प्रोजेक्ट पूरा किया जा चुका है. वहीं 12 प्रोजेक्ट्स 2021-22 तक और बाकी के प्रोजेक्ट्स 2022-23 तक पूरे कर लिए जाएंगे. राज्य में उजाला स्कीम के तहत 100 फीसदी कवरेज तय समय से पहले दिया जा चुका है. राज्य में बिजली की पैदावार अगले तीन साल में दोगुनी और सात साल में तीन गुणा करने का लक्ष्य रखा गया है.
ज़ाहिर है सड़कों के मामले में सरकार तेज गति से काम कर रही है और लगभग 8000 किलोमीटर से ज्यादा लंबी सड़के अलग-अलग योजनाओं के तहत तैयार कर चुकी है. सरकार इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए ब्लॉक लेवल पर काम कर रही है जिससे सर्विस सेक्टर से लेकर मैनुफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा मिले और राज्य को साढ़े चार लाख लोगों को रोजगार से जोड़कर कश्मी को वापस विकास की पटरी पर लाया जा सके.
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