निवेशकों का बाइडेन पर भरोसा

पिछले कुछ दिनों में दुनिया भर के शेयर बाजारों ने बड़ी तेजी से नए रिकार्ड स्तरों को हासिल किया है।

Update: 2021-01-23 11:04 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पिछले कुछ दिनों में दुनिया भर के शेयर बाजारों ने बड़ी तेजी से नए रिकार्ड स्तरों को हासिल किया है। बाजारों में इस लगातार मजबूती के पीछे अनेक कारकों का योगदान रहा। 20 जनवरी को अमेरिका में जो बाइडेन ने आधिकारिक तौर पर सत्ता सम्भाली तो अमेरिका के शेयर बाजार झूम उठे। इसका अर्थ यही है कि हर जगह निवेशकों ने जो बाइडेन का स्वागत किया है। शेयर बाजार बाइडेन की बहार से ही गुलजार हुए हैं। शपथ ग्रहण समारोह के दिन ही अमेरिकी मार्केट के सभी प्रमुख इंडक्सों ने अच्छी तेजी दर्ज की। जहां डाउ जोंस इंडस्ट्रियल एवरेज 0.83 फीसदी उछाल के बाद 3,188.38 पर बंद हुआ वहीं नैसडैक 100 करीब 300 अंक या 2.31 फीसदी चढ़ा। इसी तरह एसएंडपी 500 और नैसडैक 100 उछाल के साथ अपने नए उच्चतम शिखर पर पहुंचा। 4 नवम्बर, 2020 को जो बाइडेन की जीत के संकेत मिलने से अब तक सेंसेक्स करीब 23.5 फीसदी चढ़ चुका है। अमेरिकी शेयर बाजारों में उछाल इस बात का संकेत है कि निवेशकों का भरोसा जो बाइडेन में है और उन्हें उम्मीद है कि न केवल अमेरिका की आर्थिक नीतियों में बदलाव होगा, ​बल्कि इन आर्थिक नीतियों का बहुत बड़ा प्रभाव वैश्विक स्तर पर होगा। गुरुवार को भी एशिया का हर बाजार बीते दिन के स्तर के ऊपर व्यापार कर रहा था।


भारतीय शेयर बाजार ने सेंसेक्स पहली बार 50 हजार के रिकार्ड स्तर को पार कर गया। यह स्तर छूने के बाद भारतीय बाजार के ​लिए यह मौका और भी स्वर्णिम हो गया। इस वर्ष के पहले तीन हफ्तों में बाजार ने करीब 5 फीसदी की छलांग लगाई है। शेयर बाजार काफी संवेदनशील होता है और हर घरेलू और दुनिया भर की खबरों से काफी प्रभावित होता है। भारत में कोरोना वैक्सीन के कारगर होने से अर्थव्यवस्था में तेजी की उम्मीद से भी निवेेशकों का बाजार पर भरोसा बढ़ा है। विदेशी संस्थागत निवेशकों के बड़े निवेश से बाजार में बहार बनी हुई है। यही कारण रहा कि वर्ष के पहले 20 दिनों में ऐसे निवेशकों द्वारा नेट आधार पर 14 हजार करोड़ से भी ज्यादा धन मार्केट में डाला गया। तीसरी तिमाही यानी दिसम्बर के नतीजों से भी हाल में बाजार को दम मिला है। जो बाइडेन के हाथ में अब कमान होने से बड़े स्टिमुलस पैकेज को भी उम्मीद बंधी है। जैसे ही कोरोना की वैक्सीन बनाने वाले सीरम इंस्टीट्यूट में आग लगने की खबर आई, भारतीय स्टाक एक्सचेंज में हड़बड़ी में बिकवाली बढ़ गई और सेंसक्स 785 अंक गिरकर बंद हुआ। बाद में स्थिति स्पष्ट हो गई कि कोरोना वैक्सीन यूनिट में आग नहीं लगी, बल्कि इंस्टीच्यूट की एक निर्माणाधीन यूनिट में आग लगी है, जिसमें 5 लोगों की मौत हो गई है। निवेशकों में घबराहट इसलिए फैली क्योंकि उन्हें लगा कि कोरोना वैक्सीन ही कहीं नष्ट न हो गई हो। अनेक निवेशक इस अग्निकांड में षड्यंत्र पहलु की खोज करने लगे।

भारत में नरेन्द्र मोदी सरकार बजट पेश करने की तैयारी में है। निवेशकों को उम्मीद है कि बजट में लोगों की जेब में कुछ पैसा डाला जाएगा। बचत की कवायद फिर शुरू होगी तभी वह शेयर बाजार में निवेश करने की ओर फिर आकर्षित होगा। कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार कटौती से भी उम्मीद बंधी है कि स्थितियां सामान्य हो जाएंगी। जैसे-जैसे समय बीतेगा सभी प्रभावित उद्योग धंधों की दिनचर्या सामान्य हो जाएगी।

समस्या यह है कि कुछ लोग कोरोना वैक्सीन को लेकर भ्रम की स्थिति में हैं क्योंकि बहुत ही सुनियोजित तरीके से भ्रम का वातावरण सृजित करने की कोशिशें की जा रही हैं। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय बार-बार यह कह रहा है कि कोरोना वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है। यदि 600 लोगाें को साइड इफैक्ट हुआ भी है तो यह एक सामान्य बात है। ऐसे साइड इफैक्ट तो हर वैक्सीन से होते हैं। भारतीयों का भरोसा देश के वैज्ञानिकाें पर है। भारत के बाजार में उछाल घरेलू निवेशकों से ही सम्भव हुआ है। अकेले ​विदेशी निवेशकों के चलते ही बाजार रिकार्ड स्तर को छू नहीं सकता। अमेरिका में सत्ता परिवर्तन से भारत जैसे एमोजिंग बाजारों को बड़ा फायदा मिलने की उम्मीद है। डेमोक्रेट्स के शासन में आने से भी नीतिगत स्तर पर ज्यादा स्पष्टता है। अमेरिका के नए रक्षामंत्री ने चीन और पाकिस्तान के प्रति जो सख्त रवैया अपनाया है उससे भी बड़ा सकारात्मक संदेश गया है। लिक्विडिटी बढ़ने से शेयर बाजार को समर्थन मिला है, लेकिन एक भी बुरी खबर बाजार को कमजोर कर सकती है। कई विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय बाजार की चाल अर्थव्यवस्था से मेल नहीं खा रही है। ऐसे में कभी भी बड़ी गिरावट आ सकती है। इसलिए निवेशकों को सावधान रहने की जरूरत है।


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