बाधित कार्यवाही
संसद के मानसून सत्र की शुरुआत के ठीक पहले पेगासस को लेकर हुए खुलासे से यह तो तय था
संसद के मानसून सत्र की शुरुआत के ठीक पहले पेगासस को लेकर हुए खुलासे से यह तो तय था कि विपक्ष को सरकार के खिलाफ एक मजबूत मुद्दा मिल गया है, और वह संसद में सरकार को पूरी तैयारी के साथ घेरने की कोशिश करेगा। लेकिन जिस तरह से पिछले सात दिनों से दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित हो रही है, वह आने वाले दिनों में बेहतर संसदीय बहस को लेकर बहुत उम्मीद नहीं बंधाती। ऐसे में, लोकसभा अध्यक्ष की नाखुशी समझी जा सकती है। कल उन्होंने सांसदों को नारेबाजी की प्रतिस्पद्र्धा से बचने और सदन में जनता के मुद्दे उठाने को कहा। यह संसद का बुनियादी कार्य-व्यापार है। मगर नारेबाजी ऐसी सभी अपेक्षाओं पर हावी रही और सदन सुचारू रूप से काम न कर सके। इस संसद सत्र का महत्व इसलिए अधिक है कि देश महामारी से अब भी जूझ रहा है। दूसरी लहर की भयावहता और तीसरी की आशंका के बीच देशवासी इस सत्र से एक सामूहिक आश्वस्ति चाहते हैं कि उन्हें अब त्रासद अनुभवों से नहीं गुजरना होगा, पर ऐसा लगता है कि दोनों पक्षों की निगाह में इसकी कोई अहमियत ही नहीं है।