वेश्याओं के साथ अमानवीय व्यवहार
देश के राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने वेश्याओं को अन्य नागरिकों के सामान सरकारी सुविधाएं देने के लिए राज्य सरकारों को एडवायजरी जारी की है।
देश में कई बार वेश्याओं को समाज की मुख्य धारा में लाने के लिए उन्हें घर वापिस भेजा गया लेकिन साजिशकर्ता उन्हें इस धंधे से मुक्त नहीं होने दे रहे। वेश्याओं को असंगठित मजदूरों का दर्जा देने का सुझाव घातक होने के साथ-साथ वेश्याओं को इस धंधे से छुटकारा दिलवाने की उम्मीदों पर भी पानी फेर सकता है। सबसे आवश्यक है कि इस धंधे की दलदल में फंसी महिलाओं को समाज की मुख्य धारा में लाया जाए। वेश्यावृत्ति से मुक्ति ही हमारा संकल्प व उद्देश्य होना चाहिए। देश की 80 करोड़ जनसंख्या को सस्ता अनाज सहित पेंशन की सुविधाएं मिल रही हैं। देश की अर्थव्यवस्था विश्व में अग्रणी अर्थव्यवस्था बन चुकी है। महाराष्ट्र सरकार ने कोरोना काल में वेश्याओं को राशन मुहैया करवाने का निर्णय लिया था, ऐसे प्रयास समस्या का समाधान निकालते हैं।
यदि सरकारें कोरोना काल के बाद भी इन महिलाओं को अनाज व अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाए तब इन महिलाओं को इस दलदल से मुक्ति मिल सकती है। महिलाओं को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए अनाज व अन्य सुविधाएं देना सरकार व समाज के लिए कोई बड़ी बात नहीं। डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने वेश्यावृत्ति के खिलाफ मुहिम चलाकर दो दर्जन के करीब लड़कियों को वेश्यावृत्ति से मुक्ति दिलाई एवं उनकी योग्य लड़कों के साथ शादी करवाई है। सरकारों की नीयत सही हो तो इस क्षेत्र में अन्य सुधारक व प्रभावशाली कदम उठाए जा सकते हैं। वेश्यावृत्ति समाज पर कलंक है, जिसे मजदूरी कहना बुराई को वास्तविक बनाना है।