Written by जनसत्ता: प्रधानमंत्री की फ्रांस यात्रा से पहले रक्षा मंत्रालय ने नौसेना के लिए छब्बीस रफाल लड़ाकू विमान और तीन स्कार्पीन श्रेणी की पनडुब्बियां खरीदने को मंजूरी दे दी है। कयास है कि प्रधानमंत्री इसके सौदों को लेकर फ्रांस से बातचीत करेंगे और सौदे की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सकेगा। इस खरीद में करीब नब्बे हजार करोड़ रुपए खर्च का अनुमान है।
इससे पहले वायुसेना के लिए छत्तीस रफाल लड़ाकू विमान खरीदे जा चुके हैं। इस तरह भारतीय सेना की सामरिक शक्ति और बढ़ने की उम्मीद जगी है। हालांकि पिछली रफाल खरीद में अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगे थे, जिनसे अभी तक सरकार का पीछा छूटा नहीं है। बेशक सर्वोच्च न्यायालय उसमें सरकार को पाक-साफ करार दे चुका है।
इसलिए स्वाभाविक ही नए सौदों पर भी लोगों की नजर बनी रहेगी। मगर रक्षा सौदों की खरीद संबंधी सेना के विशेषज्ञों की परिषद ने रफाल को भारतीय सेना के लिए उपयुक्त माना है। इस सौदे की दौड़ में अमेरिकी कंपनी बोईंग का लड़ाकू विमान भी था, पर विशेषज्ञों ने उसे तकनीकी रूप से ठीक नहीं पाया। इनमें से बाईस रफाल नौसेना को मिलेंगे। पिछले चार सालों से आइएनएस विक्रांत पर तैनात करने के लिए नए लड़ाकू विमानों की मांग की जा रही थी। अभी तक रूसी विमान मिग उस पर तैनात हैं, पर वे पुराने हो चले हैं।
रफाल की बनावट समुद्री इलाकों को ध्यान में रख कर तैयार की गई है। वे आइएनएस विक्रांत की जरूरतों के हिसाब से मुफीद बैठते हैं। अमेरिका लड़ाकू विमानों की तुलना में इनका प्रदर्शन भी बेहतर माना जा रहा है। इसलिए रफाल का चुनाव किया गया। इसके पक्ष में सेना का एक तर्क यह भी है कि चूंकि वायुसेना पहले ही रफाल के रखरखाव का आधारभूत ढांचा तैयार कर चुका है, इसलिए इनके रखरखाव पर अलग से खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इस तरह काफी पैसा बचेगा।
आइएनएस विक्रांत की जरूरतों के मुताबिक स्वदेशी लड़ाकू विमान तैयार होने में अभी काफी वक्त लगेगा, इसलिए तत्काल रफाल की खरीद जरूरी थी। दरअसल, वायुसेना में ज्यादातर लड़ाकू विमान अब पुराने हो चुके हैं और उन्हें धीरे-धीरे सेवा से बाहर किया जा रहा है। वायुसेना लंबे समय से नए विमानों के बेड़े की मांग कर रही थी। इसी के मद्देनजर पिछली सरकार के समय ही रफाल की खरीद का निर्णय लिया जा चुका था। अब उनकी खेप आनी शुरू हुई है।
अब दुनिया में सामरिक शक्ति का आकलन इससे किया जाता है कि किसी देश की हवाई ताकत कितनी है। भारत की भौगोलिक बनावट कुछ ऐसी है कि यहां थल, जल और वायु तीनों क्षेत्रों में अपनी ताकत मजबूत बनाए रखने की जरूरत पड़ती है। समुद्री क्षेत्र में पिछले कई सालों से पाकिस्तान और चीन से गंभीर चुनौतियां मिलती रही हैं।
ऐसे में जब आइएनएस विक्रांत को समुद्र में उतारा गया, तो इन चुनौतियों से पार पाने की ताकत काफी बढ़ गई। अब उस पर अत्याधुनिक साजो-सामान से लैस रफाल विमान तैनात होंगे, तो भारत की सामरिक शक्ति और बढ़ जाएगी। चीन और पाकिस्तान तब आंख दिखाने से पहले कई बार सोचेंगे। अत्याधुनिक साजो-सामान से लैस होने से सेना का मनोबल भी बढ़ता है।
चुनौतियों से पार पाने को लेकर उसमें उत्साह बना रहता है। नौसेना को तीन अत्याधुनिक पनडुब्बियां मिलने से निस्संदेह उसका मनोबल बढ़ेगा। मगर जैसा कि प्राय: रक्षा सौदों में अनियमितताओं के आरोप उभर आते हैं, उम्मीद की जाती है कि सरकार इस बार ऐसी स्थिति से बचने का प्रयास करेगी।