सिर्फ इतनी एग्रीकल्चर ग्रोथ कैसे डबल होगी किसानों की आय?

इकोनॉमिक सर्वे में अनुमान लगाया गया है कि 2021-22 में कृषि विकास (Agriculture Growth) दर 3.9 फीसदी रहेगी. इस आंकड़े पर सरकार इतरा रही है

Update: 2022-01-31 16:38 GMT

ओम प्रकाश इकोनॉमिक सर्वे में अनुमान लगाया गया है कि 2021-22 में कृषि विकास (Agriculture Growth) दर 3.9 फीसदी रहेगी. इस आंकड़े पर सरकार इतरा रही है क्योंकि यह 2020-21 के मुकाबले थोड़ी ज्यादा है. लेकिन क्या इस विकास दर से किसानों की आय (Farmers Income) डबल हो पाएगी? किसानों की इनकम डबल करना अब एक सियासी मुद्दा बन चुका है. क्योंकि एनडीए सरकार पिछले लगभग पांच साल से हर मंच पर इस नारे को भुनाती रही है. अब इस वादे को पूरा करने में सिर्फ दो महीने का ही वक्त बाकी रह गया है. किसानों की आय दोगुनी करने का आधार वर्ष 2015-16 को माना गया था. लेकिन, अब तक इनकम डबल नहीं हो पाई है. नीति आयोग (NITI Aayog) की रिपोर्ट बता रही है कि कृषि क्षेत्र की इस विकास दर से तो किसानों की आय डबल होने से रही.

नीति आयोग ने 2018 में स्ट्रेटजी फॉर न्यू इंडिया@75 नामक रिपोर्ट तैयार की थी. इसमें साफ-साफ लिखा गया है कि 3.31 प्रतिशत की वार्षिक कृषि वृद्धि पर किसानों की आय दोगुनी करने में देश को 22 साल (1993-1994 से 2015-2016 ) लग गए. इस हिसाब से 2015-16 से 2022-23 तक किसानों की इनकम डबल करने के लिए 10.4 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि दर की जरूरत होगी. जबकि पिछले छह साल की औसत कृषि विकास दर पांच फीसदी से भी कम ही है.
सरकार ने कब किया था वादा?
यह बात 28 फरवरी 2016 की है. जब पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश के बरेली की एक रैली में किसानों की आय को दोगुना करने का वादा किया था. उन्होंने कहा था कि 2022 में जब देश अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा होगा तब किसानों की इनकम दोगुनी हो चुकी होगी. कुछ ही दिन बाद 13 अप्रैल 2016 को आईएएस अधिकारी डॉ. अशोक दलवाई की अगुवाई में डबलिंग फार्मर्स इनकम (DFI) कमेटी का गठन कर दिया गया. दलवई कमेटी ने सितंबर 2018 में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी.
फिलहाल कितनी है किसानों की इनकम?
डीएफआई कमेटी ने 2015-16 के मूल्य पर कृषि परिवारों की राज्यवार औसत का ब्यौरा दिया था. इसके मुताबिक किसान परिवारों की औसत आय 8058.58 रुपये प्रतिमाह (सालाना-96703) रुपये थी. इस रिपोर्ट और सरकार के वादे के अनुसार अप्रैल 2022 तक किसान परिवारों की औसत मासिक आय 16 हजार रुपये से अधिक हो जानी चाहिए. देखना यह है कि सरकार इस लक्ष्य को हासिल कर पाती है या नहीं?
फिलहाल, एनएसएसओ (NSSO) ने जुलाई 2018 से जून 2019 तक किए गए सर्वे में किसानों की मासिक आय 10,218 रुपए बताई है. इसमें फसलों से होने वाली आय का योगदान सिर्फ 3,798 रुपए है. एनएसएसओ का ही एक आंकड़ा है, जिसमें बताया गया है कि जब 2012-13 में किसानों की आय (6426) रुपये थी तब उसमें फसलों से हुई कुल कमाई का योगदान 50 प्रतिशत था.
कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र की वृद्धि दर
वर्ष वृद्धि (%)
2016-17 6.8
2017-18 6.6
2018-19 2.6
2019-20 4.3
2020-21 3.6
2021-22 3.9
इनकम डबल करने की कोशिश जारी
केंद्र सरकार ने किसानों की आय डबल करने की कोशिश जारी रखी हुई है. सरकार ने एक लाख करोड़ रुपए के एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड की शुरुआत की है. इससे कोल्ड स्टोर बनाने, वेयरहाउस तैयार करने, ग्रेडिंग-पैकेजिंग यूनिट लगाने और मंडियों के सुधार का काम होगा. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों को सालाना 6000-6000 रुपये खेती के लिए दिए जा रहे हैं. इसके तहत अब तक 1.81 लाख करोड़ रुपये किसानों के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर किए जा चुके हैं.
उचित दाम मिलेगा तब आय बढ़ेगी
फसलों का उत्पादन हर साल बढ़ रहा है. न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद भी पहले से अधिक बढ़ाई जा रही है. किसानों को उम्मीद है कि केंद्र सरकार 2022-23 के आम बजट में किसानों की आय में वृद्धि को लेकर जरूर कोई अहम निर्णय लेगी. हालांकि, कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा का मानना है कि किसानों की आय तभी बढ़ेगी जब उनकी फसलों का उचित दाम मिलेगा. जिसके लिए फिलहाल किसान तरस रहे हैं.
शर्मा के मुताबिक, आर्गेनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (OECD) की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2000 से 2016-17 के बीच भारतीय किसानों को उनकी फसलों का उचित दाम न मिलने के कारण करीब 45 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. यह पैसा किसानों को मिलता तो शायद उनकी स्थिति शायद बेहतर होती.
क्या किसानों को मिलेगा एक्सपोर्ट में वृद्धि का फायदा?
साल 2019 में भारत कृषि उत्पादों का एक्सपोर्ट (Agri Export) करने वाले टॉप-10 देशों के क्लब में शामिल हो गया. वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (WTO) के मुताबिक इंडिया चावल, कॉटन, सोयाबीन और मीट एक्सपोर्ट में दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल हो चुका है. भारत ने 9वें स्थान पर है.
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार 2019-20 के मुकाबले 2020-21 में कृषि उत्पादों के एक्सपोर्ट में रिकॉर्ड 34.86 फीसदी की वृद्धि हुई है. साल 2020-21 में 2,10,093 करोड़ रुपये के कृषि उत्पादों का निर्यात हुआ था. जबकि 2019-20 में सिर्फ 1,55,782 करोड़ रुपए का निर्यात हुआ था. कृषि मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि एग्रीकल्चर प्रोडक्ट के एक्सपोर्ट में वृद्धि का फायदा किसानों को मिलेगा.
Tags:    

Similar News

-->