5जी संचार तकनीक को आम जन तक पहुंचाने के लिए कितनी पुख्‍ता हमारी तैयारी

5जी संचार तकनीक

Update: 2022-02-17 17:28 GMT
संजय श्रीवास्तव । भारत संचार निगम लिमिटेड ने हाल ही में कहा है कि 5जी तकनीक का देश में इसी वर्ष से प्रयोग आरंभ किया जाएगा। सरकार के कुछ कदमों से इसकी शुरुआत के आसार भी बने हैं। इससे कल्पनाओं की उड़ान शुरू हो गई है। लेकिन क्या वाकई साल 2024 तक भारत पूरी तरह से 5जी तकनीक से लैस हो सकेगा?
बेशक यह संचार के क्षेत्र में एक क्रांति होगी। इसलिए देशवासियों की उम्मीदें बढ़ गई हैं। अभी इंटरनेट की अधिकतम गति एक जीबी प्रति सेकंड है, 5जी की 10 से 20 जीबी प्रति सेकंड होगी। एक फिल्म डाउनलोड करने में छह मिनट के बजाय 20 सेकंड लगेंगे। सुदूर क्षेत्रों में कई बार 4जी कवरेज नहीं मिलता पर तब वहां भी तीव्र वीडियो स्ट्रीमिंग, सर्फिंग का अलग अनुभव मिलेगा। पर यह तेजी क्यों जरूरी है? इसका जवाब मिल जाएगा यदि सुदूर और अलग-अलग जगह पर बैठेे शल्य चिकित्सकों के द्वारा की जाने वाली रोबोटिक सर्जरी की कल्पना करें। सेकंडों की देरी गंभीर परिणाम ला सकती है। तेज रफ्तार आटोमेटिक कारों के नियंत्रण में भी यही बात सच है।
घर, घरेलू उपकरण, तमाम चीजें इंटरनेटयुक्त हो आपस में जुड़कर आपसी संवाद कर सकेंगी, मशीनों और मनुष्यों के बीच संवाद के जिस जमाने की कल्पना हमने सुनी है, वह इस तेज रफ्तार इंटरनेट से ही संभव है।
इससे डिजिटल क्रांति को नया मुकाम मिलेगा। इंटरनेट आफ थिंग्स ही नहीं औद्योगिक आइओटी और रोबोटिक्स को भी अपेक्षित बढ़ावा मिलेगा। वर्चुअल रियलिटी, क्लाउड गेमिंग के लिए नए आयाम स्थापित होंगे। ई-गवर्नेंस का भी विस्तार होगा। 5जी के आने से सुदूर इलाकों में लगातार कनेक्टिविटी बनी रहेगी। वर्ष 2025 तक सभी गांवों तक फाइबर आप्टिक्स बिछाने का लक्ष्य पूरा हो जाना है। ऐसे में ई-मेडिसिन, टेली मेडिसिन बड़े शहरों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि गांवों तक भी पहुंचेगी। शिक्षा और कृषि क्षेत्र को जबरदस्त फायदा होगा। छात्रों को घर बैठे अच्छी और सस्ती शिक्षा मिलेगी। रफ्तार के चलते आनलाइन कंटेंट के क्षेत्र में भी बड़ी क्रांति आएगी। स्मार्ट सिटी के परिवहन और यातायात प्रबंधन जैसे काम तेज हो जाएंगे, साथ ही वह इसके जरिये स्वच्छ और सुरक्षित रहेगी। सेवा क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मानवीय हस्तक्षेप वाले हाइब्रिड वर्क कल्चर का विस्तार होगा। रोजगार सृजन के नए अवसर तो खुलेंगे ही, कामकाजियों को ढर्रेवाले काम से राहत मिलेगी।
एक सरकारी पैनल के अनुसार 5जी से 2035 तक देश में एक लाख करोड़ डालर की आर्थिक गतिविधि बढ़ेगी। विदेशी कंपनी एरिक्सन के मुताबिक 5जी के आने से दो साल के भीतर 27 अरब डालर से अधिक का राजस्व जुटेगा, क्योंकि यहां 2026 तक इसके 35 करोड़ से ज्यादा उपभोक्ता होंगे। सबब यह कि 5जी के आने के बाद देश में तमाम तरह के बदलाव आएंगे। कम से कम इसके संकेत मिलने लगेंगे जिसके आधार पर आसानी से यह महसूस किया जा सकता है कि वाकई में भारत बदल रहा है। भले देश में 2023 से 5जी की ओपन रेडियो एक्सेस नेटवर्क, डायनमिक स्पेक्ट्रम शेयरिंग और सस्ते 5जी हैंडसेट्स के साथ शुरुआत हो जाए, पर क्या सच में अगले वर्ष समूचा देश 5जी का उपभोग करने में सक्षम हो पाएगा यानी सभी तक इसकी आसान पहुंच हो पाएगी।
फिलहाल ये सब दावे हैं। निस्संदेह इनका वैज्ञानिक आधार है और तर्क वितर्क पर भी ये खरे उतरते हैं, लेकिन व्यावहारिकता की जमीन पर इनके पांव अभी बहुत मजबूत नहीं दिख रहे हैं। देश की व्यवस्था और कार्यशैली एवं समस्याओं को सामने रखकर देखें तो इसकी डगर कठिन नजर आती है। 5जी तो 2025 तक बड़े शहरों, उसके आसपास के क्षेत्रों तक पहुंच जाएगा, लेकिन जिन अनुप्रयोगों की बात की जा रही है वे अभी दूर की कौड़ी हैं।
5जी के लिए जो मजबूत ईकोसिस्टम और डिजाइन-आधारित विनिर्माण चाहिए, वह बस अगले कुछ माह में तैयार हो जाएगा। स्मार्ट सिटी ही न होंगे तो 5जी वहां क्या करेगा? कुछ चुनिंदा टेलीकाम कंपनियों पर इसका सारा दारोमदार टिका है, पर इनकी कितनी तैयारी है?
सरकार ने अभी तक चीनी कंपनियों से उपकरण खरीदने या स्पेक्ट्रम की बोली लगाने की व्यवस्था को खत्म नहीं किया है, उनकी क्या स्थिति रहेगी यह कब तय होगा?
दावे करने के लिए बयान दिए जा सकते हैं, पर कई बरसों में अभी तक भारत में लगभग एक तिहाई टावरों तक फाइबर आप्टिक्स नेटवर्क जुड़ सका है, कम से कम इतना ही सफर अभी और तय करना है। अगर क्षेत्र विशेष में यह सेवा देनी है तो संभव है, पर देशव्यापी स्तर पर अभी बरसों लगेंगे। महानगरों और बड़े शहरों की गली गली में भारी संख्या में बेस स्टेशन लगाना आसान है, मगर विरल आबादी में यह कैसे होगा? क्योंकि लागत ज्यादा आएगी और उपभोक्ता कम होंगे तो उपकरणों और तकनीक पर भारी खर्चने वाली कंपनियां रुचि नहीं दिखाएंगी।
इंटरनेट प्रदाता के लिए ही नहीं, उपभोक्ता के लिए भी इसका इस्तेमाल फिलहाल महंगा सौदा होगा। सामान्य भारतीय जीवनशैली को अभी इतने तेज इंटरनेट की आवश्यकता नहीं तो वह इसके उपकरणों और सेवा पर अतिरिक्त व्यय क्यों करेगा, जबकि 4जी तब भी मौजूद रहेगा। 5जी पर चलने वाले मोबाइल और अन्य उपकरणों को बेहतरीन प्रोसेसर की जरूरत होती है, जो इनकी लागत ज्यादा कर देती है। अभी एक बहुत बढिय़ा मोबाइल के प्रोसेसर की ताकत सात से आठ जीबी प्रति सेकंड है, जबकि चाहिए 10 से 20 जीबीपीएस। कुछ विशेषज्ञ कहते हैं कि विदेशी तो तैयार हैं, मगर घरेलू टेलीकाम बाजार को 5जी सेवाओं की तैयारी के लिए कम से कम दो तीन साल चाहिए। बेशक डाटा की दर भी मौजूदा से कई गुना बढ़ सकती है।
यह ठीक है कि इससे शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि व्यवस्था सुधरेगी, पर इस सुधार के लिए शिक्षा व्यवस्था, चिकित्सकों की संख्या और किसानों की स्थिति में भी तो पर्याप्त सुधार होने चाहिए। संभव है निकट भविष्य में हम 5जी का ट्रायल करने में पूरी तरह से सफल हो जाएं, लेकिन इसे सभी लोगों तक पहुंचाना फिलहाल आसान काम नहीं दिख रहा। (ईआरसी)

( लेखक विज्ञान और तकनीक के जानकार हैं )
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