भारत में जब चार करोड़ से भी अधिक लोगों का टीकाकरण हो चुका है, तब लोगों के मन को यह सवाल स्वाभाविक ही मथ रहा है कि आखिर कोरोना टीका कितने समय तक प्रभावी रहेगा? अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने शनिवार को इस सवाल का जवाब देते हुए कहा है कि कोविड-19 टीका आठ से दस महीने और शायद इससे भी ज्यादा समय तक संक्रमण से पूरी सुरक्षा दे सकता है। उन्होंने इससे संबंधित आंकडे़ तो पेश नहीं किए, इसलिए यह मानना चाहिए कि यह एक कयास भर है। अभी दुनिया में किसी भी विशेषज्ञ या वैज्ञानिक ने कोविड-19 के टीके के बारे में ऐसी कोई बात कही नहीं है, इसलिए पूरी दुनिया में डॉक्टर गुलेरिया का संदेश गया है। यह सवाल निश्चित रूप से पूछा जाना चाहिए कि आखिर आठ-दस महीने का अनुमान पेश करने का आधार क्या है? क्या टीका शरीर में जो एंटीबॉडी या रोग प्रतिरोधक क्षमता पैदा करता है, उसकी अवधि महज आठ या दस महीने ही है? वैज्ञानिकों को गहराई से इसका अध्ययन करना चाहिए, लेकिन इसके लिए कम से कम एक या दो साल इंतजार करना पड़ेगा, तभी अनुभव और आंकड़ों के आधार पर तय होगा कि कोरोना का टीका कितने समय तक पूरी तरह कारगर रहता है।
जाहिर है, अगर टीका हमें आठ-दस महीने तक ही सुरक्षा दे सकता है, तो फिर इसका अर्थ है, इतने समय बाद फिर टीका लेने की जरूरत पड़ेगी। क्या तब भी सरकार मुफ्त टीके लगवाएगी? सरकार पर कितना भार आएगा और तब टीके की जायज कीमत क्या होगी? आठ-दस महीने तक कारगर रहने वाले किसी टीके की कीमत क्या होनी चाहिए, यह भी कंपनियों को ध्यान में रखना होगा। हमें ध्यान रखना चाहिए कि कोरोना टीके का प्रयोग सामान्य स्थितियों में नहीं हो रहा है। किसी भी टीके के प्रभाव का आकलन करने में वर्षों लगते हैं। हमें यह उम्मीद करनी चाहिए कि कोई ऐसा टीका भी आएगा, जिसकी एक खुराक से ही जीवन भर कोरोना से बचाव संभव हो सकेगा। अभी अमेरिका में भी तीन टीकों का इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन किसी भी टीके के बारे में यह नहीं कहा गया है कि यह कितने समय तक कारगर रहेगा। वैज्ञानिक इसकी घोषणा के लिए इंतजार करना चाहते हैं। टीके की दुनिया में अभी कई सवाल हैं, जिनका जवाब वैज्ञानिकों को कायदे से देना पड़ेगा। अभी दुनिया में 96 टीके उम्मीदवारी जता रहे हैं। 27 टीके तो परीक्षण के तीसरे चरण में हैं और ज्यादातर देशों में कुल 13 टीकों को ही अभी तक मान्यता दी गई है। दुनिया में अभी तक कोई भी टीका 85 प्रतिशत से ज्यादा कामयाब नहीं माना जा रहा है। मतलब टीका ले रहे 15 प्रतिशत लोगों को फिर कोरोना कभी भी होने की आशंका है और जिन 85 प्रतिशत लोगों में टीका कारगर सिद्ध हो रहा है, उन्हें भी अगर दस महीने बाद फिर टीके की जरूरत पड़े, तो टीकाकरण अभियान कब-कैसे खत्म होगा? अभी हम जिस गति से चल रहे हैं, उसमें सभी को टीका देना आगामी एक वर्ष में संभव नहीं है। चिंता होती है कि अभी कोरोना जाता हुआ नहीं दिख रहा। अगर यह ऐसे ही टिका रहा, तो हर साल भारत में 130 करोड़ लोगों का टीकाकरण कैसे होगा? निस्संदेह, कोरोना से जीतने का एक ही तरीका है सावधानी और जहां तक पुख्ता टीके का सवाल है, तो इंतजार करना पड़ेगा।