कैसे रुके जंग

रूस-यूक्रेन के बीच चल रही जंग को ढाई महीने से ज्यादा हो चुके हैं। लेकिन अभी तक ऐसा कोई संकेत नहीं दिखा है जिससे लगे कि अब युद्ध खत्म हो जाएगा। जंग खत्म करवाने के लिए पिछले कई दिनों से शांति वार्ताओं के प्रयास भी हुए।

Update: 2022-05-10 03:30 GMT

Written by जनसत्ता: रूस-यूक्रेन के बीच चल रही जंग को ढाई महीने से ज्यादा हो चुके हैं। लेकिन अभी तक ऐसा कोई संकेत नहीं दिखा है जिससे लगे कि अब युद्ध खत्म हो जाएगा। जंग खत्म करवाने के लिए पिछले कई दिनों से शांति वार्ताओं के प्रयास भी हुए। तुर्की जैसे देश ने यूक्रेन और रूसी पक्ष को वार्ता की मेज पर लाने में भूमिका भी अदा की। पर अब तक नतीजा कुछ नहीं निकला। इससे यह तो साफ हो चला है कि हाल-फिलहाल जंग थमने के आसार दिख नहीं रहे। बल्कि सोमवार को मास्को में विजय दिवस के मौके पर राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपनी ताकत का प्रदर्शन करते हुए जो कुछ कहा, उससे यह आशंका और गहराती लग रही है कि रूस युद्ध की नई इबारत लिखने की दिशा में बढ़ रहा है।

पुतिन ने चुनौती भरे अंदाज में कहा कि यूक्रेन पर हमला पश्चिमी देशों की नीतियों का नतीजा है। पुतिन पहले से कहते रहे हैं कि यूक्रेन रूस पर हमला करने की तैयारी में था, इसलिए बचाव के लिए उन्होंने यूक्रेन पर धावा बोला। पर इस जंग से यह तो साफ हो चुका है कि यूक्रेन पर हमलों के जरिए रूस अमेरिका और पश्चिम देशों को बड़ा संदेश दे रहा है कि वे हद में रहें और नाटो जैसे संगठन के जरिए रूस पर हमले के बारे में न सोचें।

गौरतलब है कि रूस को सबक सिखाने के लिए अमेरिका और पश्चिमी देशों ने उस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाने का एलान किया। विदेशों में रूसी अमीरों की संपत्तियां जब्त करने से लेकर रूसी बैंकों से कारोबार पर पाबंदी जैसे कदम इसमें शामिल रहे। इसके अलावा अमेरिका भारत जैसे अपने सहयोगी देशों पर रूस से तेल नहीं खरीदने के लिए दबाव बनाए हुए है। पश्चिमी खेमे का मानना है कि इस तरह के कदमों से रूस में आर्थिक संकट खड़ा होगा और वह दबाव में आ जाएगा।

पर इन सबका अभी तक तो कोई बहुत ज्यादा असर होता दिखा नहीं है। अब समूह सात (जी-7) के देशों ने रूस से तेल खरीदने पर पूरी तरह पाबंदी लगाने का फैसला किया है। सवाल तो इस बात का है कि क्या पश्चिमी देश रूस से तेल और गैस लेना बंद कर सकते हैं? अगर ऐसा संभव था तो यूक्रेन के साथ खड़े देशों को ऐसा करके दिखाना चाहिए था। पर नहीं किया। हकीकत सब जान रहे हैं। यूरोप के ज्यादातर देश अपनी र्इंधन और ऊर्जा संबंधी जरूरतों के लिए रूस पर निर्भर हैं। अगर रूस आज यूरोपीय देशों को प्राकृतिक गैस देना बंद कर दे, तो हाहाकार मचते देर नहीं लगेगी। क्यों नहीं अमेरिका ने पूरी तरह से रूसी तेल के आयात पर पाबंदी लगा दी?

अभी सबसे बड़ा सवाल है कि युद्ध रुके तो कैसे? अब अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन जैसे देश खुल कर यूक्रेन को सैन्य मदद दे रहे हैं। हाल में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो कीव के दौर पर गए और यूक्रेन को सैन्य मदद जारी रखने का एलान किया। अमेरिका पहले से ही यूक्रेन को जंग के मैदान में डटे रहने के लिए युद्ध के साजो-सामान दे रहा है।

इसका मतलब क्या यह नहीं कि रूस विरोधी खेमा जंग चलने में अपने हित देख रहा है? पश्चिम की इस रणनीति से भी रूस बौखलाया हुआ है। देखा जाए तो रूस अब जंग यूक्रेन के साथ नहीं, बल्कि उसकी आड़ में अमेरिका और पश्चिमी देशों से लड़ रहा है। मास्को के विजय दिवस से ठीक पहले रूस ने यूक्रेन पर हमले और तेज कर दिए। यह सिर्फ यूक्रेन के लिए ही नहीं, पश्चिम और पूरी दुनिया के लिए खतरे का संकेत है।


Tags:    

Similar News

-->