रंगों का त्योहार होली इस बार भी कोरोना संकट के साये के चलते सावधानी से मनानी होगी, शारीरिक दूरी का करना होगा पालन
हमारे सारे पर्व जीवन की जड़ता और एकरसता तोड़ते हैं, लेकिन रंगों का त्योहार होली यह काम कहीं अनूठे ढंग से करती है और इसीलिए इसकी प्रतीक्षा रहती है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | हमारे सारे पर्व जीवन की जड़ता और एकरसता तोड़ते हैं, लेकिन रंगों का त्योहार होली यह काम कहीं अनूठे ढंग से करती है और इसीलिए इसकी प्रतीक्षा रहती है। हालांकि पिछली बार की तरह इस बार भी कोरोना संकट के साये के चलते होली सावधानी से मनानी होगी। हम सबको ऐसा कुछ करने से बचना होगा, जिससे कोरोना का संक्रमण बढ़े। चूंकि होली मिलने-जुलने और समूह में एकत्रित होकर आनंद की अनुभूति करने का त्योहार है, इसलिए इस सबसे बचना एक कठिन काम है, लेकिन समय की मांग यही है कि शारीरिक दूरी का यथासंभव पालन किया जाए। इसके बाद भी यह अच्छे से स्मरण रहे कि होली सामाजिक दूरी के निषेध का विशेष संदेश देती है। इस संदेश को ग्रहण करते हुए हमें इस तथ्य को ओझल भी नहीं करना चाहिए कि अतीत में त्योहारों के बाद कोरोना के मरीजों की संख्या में वृद्धि देखने को मिली। ऐसे में यह जरूरी है कि होली अपेक्षाकृत छोटे समूहों में मनाएं। कोरोना ने रंगोत्सव के समक्ष अनचाही बंदिशें अवश्य खड़ी कर दी हैं, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि होली उल्लास, उमंग और अपनत्व का पर्व है। यह हर तरह के भेद मिटाने और सबको अपना बनाने-समझने का त्योहार है। इन भावनाओं के प्रकटीकरण करने में कुछ भी आड़े नहीं आना चाहिए-कोरोना संक्रमण का भय भी नहीं।