कुछ दिनों की राहत के बाद उत्तर व पश्चिम भारत में एक बार फिर गर्म हवाएं चलने का अंदेशा पैदा हो गया है. देश के अन्य हिस्सों में असानी चक्रवात के असर से कुछ राहत है. जहां लू चलने और तापमान बढ़ने की संभावना है, वहां की स्थिति पर मौसम वैज्ञानिकों की नजर है. तापमान में बढ़ोतरी से अनेक तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, इसलिए लोगों की भरसक कोशिश होनी चाहिए कि वे गर्मी से बचाव करें.
बच्चों को लेकर विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है. इस संदर्भ में केंद्र सरकार की ओर से निर्देश जारी किया गया गया है कि स्कूली पोशाक के बारे में नियमों में ढील दी जाये, बाहर की गतिविधियों को कम किया जाये तथा विद्यालय के समय में बदलाव किया जाये. उल्लेखनीय है कि पिछले महीने कुछ राज्यों में स्कूलों में अवकाश घोषित करना पड़ा था. स्कूली समय को भी बदला गया है.
यदि आगामी दिनों में हालात खराब होते हैं, तो अन्य प्रभावित राज्यों में भी ऐसे उपाय करने पड़ सकते हैं. स्कूली बस में अधिक भीड़ न करने तथा साइकिल से या पैदल स्कूल जानेवाले छात्रों को सिर ढकने को कहा गया है. प्रधानमंत्री पोषण योजना के तहत ताजा भोजन देने का भी निर्देश है क्योंकि गर्मी में देर तक रखने से पका हुआ भोजन खराब हो सकता है.
स्कूलों में ओआरएस के पैकेट और प्राथमिक उपचार के सामान रखने की भी हिदायत दी गयी है. स्थानीय स्तर पर अधिकारियों और अभिभावकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इन निर्देशों का ठीक से पालन हो. बच्चों को खूब पानी और अन्य पेय पदार्थ लेना चाहिए तथा खाली पेट बाहर नहीं निकलना चाहिए. अधिक तापमान से बीमार होने का अंदेशा बड़ों को भी है.
जो लोग बाहर अधिक देर तक काम करते हैं तथा जिनके पास गर्मी से बचाव की समुचित व्यवस्था नहीं है, उन्हें अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए. उन्हें कोशिश करनी चाहिए कि बीच-बीच में वे आराम करें ताकि शरीर का तापमान संतुलित बना रहे. चिकित्सक पहले से ही कहते आ रहे हैं कि अधिक आयु के लोगों तथा स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे लोगों को दिन में अनावश्यक बाहर निकलने से परहेज करना चाहिए.
उल्लेखनीय है कि 2022 दुनिया के इतिहास के सबसे गर्म वर्षों में एक हो सकता है. भारत में इस साल के पहले चार महीने ऐतिहासिक रूप से सर्वाधिक गर्म साबित हुए हैं. आम तौर पर हमारे देश के बहुत बड़े हिस्से में गर्मी का मौसम जुलाई के शुरुआती दिनों तक रहता है, जो माॅनसून के देर से आने से बढ़ भी सकता है. इसलिए हमें अभी दो माह तक अत्यधिक तापमान का सामना करना है. जलवायु परिवर्तन के कारण आपदाओं की आवृत्ति भी बढ़ रही है तथा जलीय स्रोतों पर भी दबाव बढ़ता जा रहा है. ऐसे में हमें प्रकृति के प्रकोप के साथ जीने की आदत भी डालनी चाहिए तथा पर्यावरण संरक्षण पर भी प्राथमिकता के साथ ध्यान देना चाहिए.
प्रभात खबर के सौजन्य से सम्पादकीय