हैल्थ सैक्टर का विस्तार

पिछले दो वर्षों से पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है। इसका सामना करते हुए न केवल लोगों को इससे बचाने के लिए निरंतर शोध का काम चल रहा है

Update: 2021-10-01 02:33 GMT

आदित्य नारायण चोपड़ा: पिछले दो वर्षों से पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है। इसका सामना करते हुए न केवल लोगों को इससे बचाने के लिए निरंतर शोध का काम चल रहा है, बल्कि बचाव के जरूरी उपायों के साथ जनजीवन को सामान्य बनने के प्रयास भी किए जा रहे हैं। करीब 6 माह बाद कोविड-19 के नए मामलों की संख्या 20 हजार से कम दर्ज की गई है और अब देश में संक्रमण के कुल सक्रिय मामले भी तीन लाख से कम रह गए हैं। यद्यपि केरल, महाराष्ट्र और मिजोरम में आ रही खबरें चिंता जरूर पैदा करती हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि देशभर में कोविड टीकाकरण अभियान तेजी से चल रहा है। इस अभियान की सफलता ने विकसित देशों को भी चौंकाया है। देश में कुछ ऐसे स्वर भी उठे थे जिसमें टीकाकरण अभियान की बेवजह आलोचना की जा रही थी लेकिन अब ऐसे स्वर भी खामोश हो चुके हैं।बुधवार की रात तक भारत में 23.6 करोड़ लोगाें काे पूरी तरह टीका लगाया जा चुका है। 40.9 करोड़ लोगों को वैक्सीन की एक खुराक प्राप्त हो चुकी है। 68.7 प्रतिशत पात्र आबादी को कम से कम एक खुराक दिए जाने के बाद पहली खुराक की मांग कम हो जाएगी। अब तो एक दिन में एक करोड़ लोगों को टीका लगाया जा रहा है। शुरूआती तौर पर टीकाकरण अभियान में कुछ व्यवस्था गत खामियां जरूर दिखाई दी थीं। अब न तो वैक्सीन की कमी है, सप्लाई चेन भी काफी मजबूत है। अभी भारत की प्राथमिकता है की वह अपनी व्यस्क आबादी का टीकाकरण पूरा करें और 12 से 18 वर्ष के बच्चों का टीकाकरण शुरू करें। अब तो बच्चों को टीका लगाने की घोषणा का ही इंतजार है। अब तो बूस्टर डोज की चर्चाएं भी आरम्भ हो चुकी हैं। कोरोना महामारी ने हमें बहुत कुछ सिखाया है। मोदी सरकार चुनौतीपूर्ण स्थितियों से निकल कर स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार करने में जुट गई है। प्रधानमंत्री ने देश में हैल्थ मिशन के विस्तार के रूप में प्रत्येक नागरिक को डिजिटल स्वास्थ्य आईडी प्रदान करने वाली महत्वाकांक्षी योजना की शुरूआत की है जो उपचार के वक्त हर व्यक्ति के रोग व उपचार का विवरण एक क्लिक में सामने ले आएगी। साथ ही देश में कहीं भी और किसी भी डाक्टर द्वारा उसे देखा जा सकेगा। इसमें जारी जानकारी का डाटा संरक्षित किया जा सकेगा। कोरोना महामारी के दौरान एक सकारात्मक पहलू यह भी है कि घर से बाहर निकलने की बाधाओं के दौरान टेलीमेडिकल का क्षेत्र उभरा है। सरकार द्वारा डिजिटल प्रणालियों का विस्तार तेजी से हुआ है। कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए टीकाकरण अभियान में डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल प्रमुखता से किया गया। स्मार्ट फोन के जरिये बड़ी संख्या में लोगों ने संक्रमण संबंधी सलाह लेने के साथ-साथ अन्य रोगों के उपचार हासिल किए। सेहत की जन्मकुंडली यानी हैल्थ आईडी की योजना असाधारण पहल है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्वकांक्षी आयुष्मान भारत योजना के तहत 50 करोड़ गरीब और निम्न आय वर्गीय आबादी को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिल रहा है। गम्भीर बीमारियों का इलाज कराना दिन-प्रतिदिन बेहद महंगा होता जा रहा है। अब गरीबों को इलाज की सुविधा मौजूद है। संपादकीय :पंजाब प्रयोगशाला नहीं!सिद्धू की 'कामेडी' में पंजाब!उरी पार्ट-2 की साजिशएक अक्टूबर को हम 18वें साल में प्रवेश कर रहे हैंएंजेला मर्केल की विदाईकन्हैया, मेवानी और सिद्धूयह दुनिया की सबसे बड़ी सरकारी बीमा योजना है। इसके तहत तीन वर्षों में सवा दो करोड़ लोग लाभान्वित हो चुके हैं। देशभर में मेडिकल कालेज और एम्स जैसे अस्पतालों का निर्माण किया जा रहा है। भारत उन देशों में शामिल है जो स्वास्थ्य मद में अपने सकल घरेलू उत्पादन का बहुत मामूली हिस्सा खर्च करते हैं। कुछ वर्षों में सरकार ने इसे बढ़ाकर 2.5 फीसदी या इससे और बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।यह सही है कि हैल्थ सैक्टर में तकनीक का विस्तार हो रहा है लेकिन हम हैल्थ सैक्टर में तब तक क्रांतिकारी बदलाव नहीं ला सकते जब तक हैल्थ सैक्टर में ढांचागत सु​धार नहीं होता। ​विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार जहां एक हजार की आबादी पर एक डाक्टर होना चाहिए, वहां भारत में डेढ़ हजार से अधिक लोगों पर एक डाक्टर है। जहां तीन सौ लोगों पर एक नर्स होनी चाहिए वहीं भारत में यह अनुपात 670 है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो यह कमी और भी ज्यादा है। नई तकनीक के ​प्रयोग के साथ-साथ देश के हर जिले में एक मेडिकल कालेज और अस्पताल के लक्ष्य को हासिल करना बहुत जरूरी है। हैल्थ सैक्टर को नया जीवन देने के लिए निजी सैक्टर को भी अपना चेहरा मानवीय बनाना होगा। यह अच्छी बात है कि डिजिटल आईडी के जरिये देश के सभी अस्पताल आपस में रोगियों से जुड़ी जानकारी हासिल कर सकेंगे। जरूरत इस बात की है कि मेडिकल सुविधाओं का विस्तार हो और उन तक मरीजों की पहुंच सहज हो।

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