Health Budget: गांवों में मजबूत होगी स्वास्थ्य व्यवस्था, मेडिकल रिसर्च में भी मजबूत होगा भारत

शोध संस्थानों से मेडिकल रिसर्च में मजबूत होगा देश

Update: 2021-02-02 02:57 GMT

सरकार ने एक बार फिर स्वास्थ्य के क्षेत्र में पुरजोर ध्यान दिया है. वित्त मंत्री द्वारा पेश किए गए बजट पर ध्यान दें तो वित्त मंत्री ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में गांव और छोटे शहरों पर बजट निर्गत करने पर फोकस किया है. सरकार ने स्वास्थ्य का बजट 94 हजार करोड़ से बढ़ाकर 2 लाख 23 हजार करोड़ कर दिया है और इसके तहत गांवों के प्राइमरी हेल्थ सेंटर को बहतर बनाने से लेकर 602 जिलों में क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल शुरू करने की योजना है.


मजबूत होगी गांव के स्तर पर स्वास्थ्य व्यवस्था
वित्त मंत्री ने आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना की शुरूआत की घोषणा करते हुए कहा कि इसके मद में 64,180 करोड़ रूपये खर्च करने की योजना है. अगले वित्त वर्ष में सरकार 2,23,846 करोड़ खर्च कर राष्ट्रीय संस्थानों के साथ साथ प्राइमरी और सेकेंड्री हेल्थ केयर की सुविधा पर भी खर्च करने की योजना बनाई है. जाहिर है प्राइमरी और सेकेंड्री हेल्थ केयर पर सरकार का विशेष जोर है. साथ ही जिलों में 602 क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल खोलने की घोषणा कर सरकार की योजना स्वास्थ्य सुविधाओं को गांव और जिले के स्तर पर मजबूत करने की है.


शोध संस्थानों से मेडिकल रिसर्च में मजबूत होगा देश
वित्त मंत्री की घोषणा में प्राइमरी से लेकर उच्च स्तर तक की स्वास्थ्य सेवाएं, 75 हजार ग्रामीण हेल्थ सेंटर, सभी जिलों में जांच केंद्र, नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल, इंटिग्रेटेड हेल्थ इन्फो पोर्टल को मजबूत करना जैसी अहम बातें थी.

इतना ही नहीं निर्मला सीतारमण ने 17 नए पब्लिक हेल्थ यूनिट को चालू करने की बात कह एक बार फिर साफ कर दिया स्वास्थ को आम लोगों तक पहुंचाना सरकार की प्राथमिकताओं में अहम है. वित्त मंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि चार नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी को खोलकर सरकार नई बीमारियों पर रिसर्च कर उस पर गहन नजर रखेगी.

केंद्रीय स्वास्थ मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि इस बजट से गांवों के 17 हजार रूरल हेल्थ सेंटर समेत शहरों के 11 हजार अर्बन हेल्थ और वेलनेस सेंटर को मजबूती मिलेगी. डॉ हर्षवर्धन ने आगे कहा कि साल 2021-22 का बजट हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को जो जबर्दस्त रूप से मजबूत करेगा और इम्यूनाइजेशन के प्रावधान की वजह से हर साल 50 हजार बच्चों को मौत से बचाया जा सकेगा.

पहले इंश्योरेंस कवर और अब इंफ्रास्ट्रक्टर पर जोर
भारत में ऑफ पॉकेट एक्सपेंडीचर की वजह से करोड़ों लोग बीपीएल यानी गरीबी रेखा से नीचे जीवन गुजर-बसर करने को मजबूर होते हैं. सरकार ने पहले 10 करोड़ परिवार को आयुष्मान भारत योजना के तहत इंश्योर किया, जिससे तकरीबन 50 करोड़ लोगों को पांच लाख रुपये की योजना का लाभ हर साल मिल सके.

मोदी सरकार के पिछले छह साल के हेल्थ बजट पर गौर फरमाएं तो साफ पता चलता है कि वर्ष 2015-16 में हेल्थ सेक्टर में 29,653 करोड़, वर्ष 2016-2017 में 37 हजार 62 करोड़, 2017-18 में 47,352 करोड़ का रहा. वर्ष 2018-19 की तुलना में 2019-20 में हेल्थ बजट में 52 फीसदी बढ़ोतरी देखी गई.

लेकिन इस साल के हेल्थ बजट में 137 फीसदी की बढ़ोतरी ने सरकार की मंशा साफ कर दी है सरकार का जोर स्वस्थ भारत और आत्मनिर्भर भारत पर किस कदर बढ़ता जा रहा है. केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्वि​नी चौबे के मुताबिक आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना शुरू होने से गांव में स्वास्थ्य व्यवस्था के बुनियादी ढांचे को मजबूती मिलेगी.


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