महंगाई का मुहाना
कोरोना के बाद अब एक नया संकट सामने आ खड़ा हुआ है- यूक्रेन-रूस के बीच शुरू हुआ युद्ध। इससे भी देश की आर्थिक स्थिति पर काफी असर पड़ने वाला है।
Written by जनसत्ता: कोरोना के बाद अब एक नया संकट सामने आ खड़ा हुआ है- यूक्रेन-रूस के बीच शुरू हुआ युद्ध। इससे भी देश की आर्थिक स्थिति पर काफी असर पड़ने वाला है। यूक्रेन पर रूस के हमले से बने वैश्विक हालात को देखते हुए कच्चे तेल की कीमत पहले नौ वर्षों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। इससे आम जनता को महंगे पेट्रोलियम उत्पादों का बोझ तो उठाना ही पड़ेगा, वित्तवर्ष 2022-23 के लिए महंगाई और घाटे को लेकर सरकार ने जो आकलन किया है वह भी बिगड़ सकता है।
रूस प्रतिदिन पैंसठ लाख बैरल कच्चा तेल निर्यात करता है। दुनिया में कुल गैस का सत्रह फीसद उत्पादन अकेले रूस में होता है। अगर घरेलू स्तर पर इसके असर की बात करें तो आम जनता को महंगे पेट्रोल-डीजल एवं महंगी रसोई गैस के लिए तैयार रहना चाहिए। कमर्शियल सिलेंडर की कीमत एक सौ पांच रुपए प्रति सिलेंडर बढ़ चुकी है।
पांच राज्यों के चुनाव के बाद तुरंत तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल की कीमतें अवश्य बढ़ाएंगी। देखना है कि सारा बोझ एक साथ जनता पर पड़ेगा या दिन प्रतिदिन बढ़ेगी कीमत। सरकार के बजट पर भी यह युद्ध अवश्य असर डालेगा। मगर जिन राज्यों के बजट अभी नहीं आए हैं, वे अवश्य जनता को कुछ राहत दे सकते हैं। पिछले दो सालों से सभी की हालत काफी खराब है।
सरकारों से अपेक्षा है कि वे पुरानी पेंशन का प्रावधान लागू करने की व्यवस्था अवश्य करें, जिसे जनवरी 2022 से पहले से लागू किया जाए, तो काफी कर्मचारियों को लाभ मिलेगा। वर्तमान पेंशन व्यवस्था सभी के लिए काफी दुखदाई है और किसी को भी इससे कोई फायदा नहीं मिल रहा है।