गुदड़ी के 'लाल' मोदी
आज देश में भाजपा या मोदी प्रशासन को पूरे आठ वर्ष पूरे हो गये और इस दौरान सरकार का नेतृत्व करने वाले प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी ने समूचे भारत की राजनीति के आन्तरिक अवयवों व ज्योमितीय अंकों को इस प्रकार बदला कि पूरा देश नये सामाजिक व आर्थिक चक्र में घूमने लगा।
आदित्य चोपड़ा: आज देश में भाजपा या मोदी प्रशासन को पूरे आठ वर्ष पूरे हो गये और इस दौरान सरकार का नेतृत्व करने वाले प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी ने समूचे भारत की राजनीति के आन्तरिक अवयवों व ज्योमितीय अंकों को इस प्रकार बदला कि पूरा देश नये सामाजिक व आर्थिक चक्र में घूमने लगा। मोदी की पिछले आठ वर्षों में सबसे बड़ी सफलता यह रही कि उन्होंने भारतीय समाज की राष्ट्रीय चेतना के उस सोये हुए अर्ध चेतन अंग को झकझोरा जो यथा स्थिति को अपनी नियति मान बैठा था। मगर इससे भी वही उपलब्धि श्री मोदी की यह रही कि उन्होंने समाज के वंचित व दीन-हीन लोगों के बीच लोकतन्त्र में सरकार की सक्रियता को स्थापित किया और उनके दुख-दर्द करने के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं शुरू कीं। निश्चित रूप से यह गांधीवादी नजरिये का अनुपालन ही था क्योंकि गरीबों को आवास उपलब्ध करानी की महत्ती योजना का कार्यान्वयन केन्द्र-राज्य की आपसी क्रियान्वयन प्रणाली के उलझाव में आसान काम नहीं कहा जा सकता। इसी प्रकार छोटे किसानों से लेकर गरीब कल्याण मदद योजनाएं ऐसी थीं जिनके क्रियान्वयन के लिए दोषरहित तन्त्र की स्थापना जरूरी थी जिसका हल उन्होंने डायरेक्ट बैंक खाता डिलीवरी में ढूंढा। अतः अपनी सरकार के प्रथम चरण में उन्होंने गरीबों के जो जन-धन बैंक खाते खुलवाये थे उनकी उपयोगिता बड़ी सरलता से सिद्ध हो गई। लोकतन्त्र में सरकार की आलोचना करना विपक्षी राजनीतिक पार्टियों का धर्म कहा जाता है मगर जब इस आलोचना की जमीन की कसौटी पर हम परख करते हैं तो यह निर्विवाद रूप से निषिद्ध पाई जाती है। लोकतन्त्र में जमीन की कसौटी केवल चुनाव होते हैं जिनमें प्रत्येक वयस्क मतदाता अपनी पसन्द के अनुसार वोट डालता है। पिछले आठ वर्षों में भाजपा ने लोकसभा चुनाव समेत विभिन्न राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में 90 प्रतिशत से अधिक सफलत प्राप्त की है। अतः स्पष्ट है कि श्री मोदी की सरकार की नीतियों के प्रति आम जनता में विश्वास जमा हुआ है। लोकतन्त्र में हालांकि राजनीतिक पार्टी की नीतियों का विशेष महत्व होता है और जनता उन्हीं नीतियों के प्रति आकृष्ठ होकर किसी भी राजनीतिक दल को सत्ता सौंपती है मगर राजनीतिक दल का नेतृत्व करने वाले नेता का इन नीतियों को जनता तक पहुंचाने में विशेष योगदान होता है जिसकी वजह से वह नेता कहलाता है। इसके साथ ही लोकतन्त्र में वही नेता होता है जिसका अनुसरण जनता करती है क्योंकि इस प्रणाली में जनता ही नेता को बनाती है। अतः लोकतन्त्र में वही व्यक्ति नेता कहलाने का अधिकारी होता है जिसके गले से निकली भाषा में जनता अपनी आवाज महसूस कर सके। इस सम्बन्ध में 'गालिब' का यह शे'र श्री मोदी पर सटीक बैठता है,''देखना तकरीर की 'लज्जत' कि जो उसने कहा संपादकीय :यासीन के गुनाहों का हिसाबकर्नाटक में भी 'ज्ञानवापी'क्वाड में मोदी का विजय मन्त्रमदरसों के अस्तित्व पर सवालहिंद प्रशांत क्षेत्र का आर्थिक गुटगर्मी की छुट्टियां सुरक्षित रहकर सुखपूर्वक मनायेंमैंने ये जाना कि गोया ये भी मेरे 'दिल' में है।''किसी भी जनतन्त्र या लोकतन्त्र में नेता की पहचान की इससे बड़ी कोई दूसरी कसौटी नहीं हो सकती जिस पर श्री मोदी आज की तारीख तक पूरे उतरते हैं परन्तु मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचना भी विपक्षी दलों विशेष कर कांग्रेस द्वारा बहुत तल्खी के साथ होती रहती है। इसके पक्ष में कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ताओं ने उनके शासन के आठ वर्ष पूरे होने पर भी बहुत से आंकड़े पेश किये हैं। मैं उन आंकड़ों में नहीं जाना चाहता हूं क्योंकि स्वतन्त्रता के बाद से देश की बढ़ती आबादी के अनुपात में हर पांच साल बाद बेरोजगारी के आंकड़े बढे़ ही हैं। इसके प्रमाण में इतना ही कह सकता हूं कि साठ के दशक के अन्त में स्वतन्त्र पार्टी के कद्दावर नेता आचार्य एन.जी. रंगा ने नारा दिया था कि 'नेहरू का समाजवाद दम तोड़ रहा है'। आचार्य रंगा हालांकि नब्बे के दशक में अपने जीवन के अन्तिम काल में बाजार मूलक अर्थव्यवस्था का चक्र शुरू होने पर कांग्रेस में ही शामिल हो गये थे परन्तु वह पं. नेहरू की समाजवादी नीतियों के कटु आलोचक थे और कहा करते थे कि नेहरू व इंदिरा गांधी के शासन के दौरान गरीब और गरीब हुआ है और अमीर और अमीर हुआ है। यह ऐसा जुमला है जो हर लोकसभा चुनाव के दौरान हमें विपक्षी नेताओं के मुंह से सुनने को मिलता है चाहे सरकार किसी भी राजनीतिक दल की हो। मगर श्री मोदी ने कोरोना संक्रमण के दो वर्षों के दौरान देश की अर्थव्यवस्था को जिस तरह संभाले रखा उसकी मिसाल भी हमें दुनिया के बहुत कम देशों में मिलती है। बल्कि श्री मोदी ने विपक्ष की लाख आलोचनाओं और छींटाकशी के बावजूद भारत में ही पूर्णः देशी कोरोना वैक्सीन तैयार करने की योजना को अपना जुनून बना कर सिद्ध कर दिया कि भारत के लोगों में वह शक्ति है कि वे किसी भी मुसीबत का धैर्य के साथ मुकाबला कर सकते हैं। दूसरी सबसे बड़ी उपलब्धि श्री मोदी की यह है कि उन्होंने एक साधारण से परिवार में जन्म लेकर भारत की लोकतान्त्रिक पद्धति के पहिये पर ही घूमते हुए देश के शीर्ष पद पर पहुंच कर यह सिद्ध कर दिया कि 'गुदड़ियों में ही लाल' छिपे रहते हैं।