जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र की शानदार विजय
जिस जम्मू-कश्मीर में वहां के राजनीतिक दल और दिल्ली में बैठे उनके पुराने आका कुछ अलग ही राग अलापते थे वहां
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जिस जम्मू-कश्मीर में वहां के राजनीतिक दल और दिल्ली में बैठे उनके पुराने आका कुछ अलग ही राग अलापते थे वहां जिला विकास परिषद चुनावों में भाजपा का खड़े होना ही राष्ट्रवाद की मुख्यधारा में एक बड़ी सफलता है। सच बात तो यह है कि कश्मीर जैसे राज्य में चुनावी बयार का बहना भी एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया थी जिस पर लोगों ने मतदान के दौरान ही दमदार वोटिंग से अपना विश्वास व्यक्त किया। हालांकि इन चुनावों में क्षेत्रीय पार्टियों नेशनल कान्फ्रेंस व पीडीपी आदि के गुपकार गठबन्धन को विजय मिली है। इससे यही सन्देश जाता है कि इस राज्य के लोगों के दिल में लोकतन्त्र के लिए उतना ही सम्मान है जितना कि देश के अन्य राज्यों के लोगों के दिल में। भाजपा ने इन चुनावों में 50 से ज्यादा सीटें जीतकर अपने राष्ट्र प्रेम और विकास के एजैंडे की सही तस्वीर पेश करने के लिए प्रत्याशी मुकाबले में उतारे तो इन सबको हराने के लिए गुपकार संगठन, निर्दलीय और कांग्रेस सक्रिय हो गई वहीं दूसरी तरफ फारूक अब्दुल्ला की नेशनल कांफ्रेेंस ऊपरी तौर पर चुनावों से दूर थी लेकिन उसने चहेते प्रत्याशियों को दिल खोलकर समर्थन दिया। गुपकार संगठन ने लगभग 100 सीटें जीती तो वहीं कांग्रेस लगभग 23 सीटों पर बढ़त कायम करने में सफल रही और निर्दलीय 70 सीटें जीतने में सफल रहे। कुल मिलाकर भाजपा ने सबसे बड़ा संदेश उस कश्मीर घाटी में िदया जहां उसे पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस तथा कांग्रेस देखना पसंद नहीं करते थे, वहां खोमोह और बांदीपोरा में भाजपा के प्रत्याशी जीत गए और उन्होंने जीत के साथ ही साथ कहा कि यहां के लोग प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों में यकीन रखते हैं। अगर हम यह कहें कि जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र की यह शानदार विजय है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। लोग सचमुच लोकतंत्र में विश्वास रखते हैं, घाटी के लोगों ने यही संदेश पूरे भारत को दिया है।