ग्रामोफोन कंपनी

लिवरपूल के रहने वाले चित्रकार फ्रांसिस बैरौड के एक भाई थे, जिनका नाम था मार्क। मार्क दुनिया छोड़ गए। फ्रांसिस के पास एक पुश्तैनी फोनोग्राफ प्लेयर था, जिसमें मार्क की आवाजें दर्ज थीं।

Update: 2022-06-12 04:05 GMT

पी. चिदंबरम: लिवरपूल के रहने वाले चित्रकार फ्रांसिस बैरौड के एक भाई थे, जिनका नाम था मार्क। मार्क दुनिया छोड़ गए। फ्रांसिस के पास एक पुश्तैनी फोनोग्राफ प्लेयर था, जिसमें मार्क की आवाजें दर्ज थीं। मार्क के पास एक छोटा-सा कुत्ता था, जिसका नाम था निपर। जब भी फ्रांसिस फोनोग्राफ चलाते, तो निपर उसके पास आ जाता और ध्यान से सुनता और यह समझने की कोशिश करता लगता था कि आवाज आ कहां से रही है। फ्रांसिस ने उस दृश्य का चित्र बनाया और उसे नाम दिया था "हिज मास्टर्स वायस'। सन 1899 में द ग्रामोफोन कंपनी ने सौ पाउंड में इस चित्र को खरीद लिया था। यह लोगो इतना लोकप्रिय हुआ कि आठ साल बाद कंपनी ने अपना नाम बदल कर एचएमवी रख लिया था। साल 2014 में लंदन में अपने नीले फलक से निपर को अमर बना दिया गया।

पिछले हफ्ते जब मैंने यह पढ़ा कि भाजपा के दो प्रवक्ताओं पर अनुशासनात्मक कार्रवाई हुई है (नूपुर शर्मा को निलंबित किया गया और नवीन कुमार को पार्टी से बाहर कर दिया गया) तो मुझे निपर की कहानी याद आ गई। बिना किसी अपमान के भाव के आगे मैं दोनों के लिए नूपुर और नवीन लिखूंगा। नूपुर को जो पत्र मिला, वह इन शब्दों से शुरू होता है, 'आपने कई मुद्दों पर पार्टी के नजरिए के विपरीत विचार व्यक्त किए हैं' इसने मुझे हैरत में डाल दिया कि मुसलमानों और ईसाइयों, जो भारत के नागरिक हैं, से संबंधित मामलों में भाजपा का नजरिया आखिर है क्या?

नूपुर और नवीन भाजपा के वफादार पैदल सैनिक हैं और वे अपने नेताओं को गौर से सुनते हैं। आप जैसे बहुत से लोगों की तरह नूपुर और नवीन भी गौर करते हैं, पढ़ते हैं और सुनते हैं। उदाहरण के लिए, 2012 में गुजरात की चुनावी रैली में उन्होंने नरेंद्र मोदी को यह कहते हुए सुना- 'अगर हम पांच करोड़ गुजरातियों का आत्म सम्मान और मनोबल बढ़ाते हैं तो अली, मली और जमाली की योजनाएं हमें कोई नुकसान नहीं पहुंचा पाएंगी।' उन्हें आश्चर्य हुआ होगा कि ये अली, मली, जमाली कौन हैं और 'हम' कौन हैं और अलियों, मलियों और जमालियों ने ऐसी योजनाएं क्यों बनाई होंगी जो 'हमें' नुकसान पहुंचाएंगी?

साल 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री ने अपने यादगार भाषण में 'सबका साथ, सबका विकास' के विचार को रखा था- 'अगर आप एक गांव में एक कब्रिस्तान बनाते हैं तो एक श्मशान भी बनाना चाहिए। इसमें कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।'


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