आईआईटी से खुशखबरी
देश के आईआईटी संस्थानों से इस बार प्लेसमेंट को लेकर अच्छी खबर आ रही है। महामारी और लॉकडाउन के चलते इंडस्ट्री को मंदी की जो मार झेलनी पड़ी, उसका सीधा असर पिछले साल इन संस्थानों से होने वाले प्लेसमेंट पर दिखा था।
देश के आईआईटी संस्थानों से इस बार प्लेसमेंट को लेकर अच्छी खबर आ रही है। महामारी और लॉकडाउन के चलते इंडस्ट्री को मंदी की जो मार झेलनी पड़ी, उसका सीधा असर पिछले साल इन संस्थानों से होने वाले प्लेसमेंट पर दिखा था। मगर इस बार सूरत पूरी तरह से बदली हुई है। प्लेसमेंट के पहले हफ्ते में ही कई रेकॉर्ड टूट चुके हैं। कई संस्थानों में हजार ऑफरों की संख्या पांचवें-छठे दिन ही पार कर गई। कई आईआईटी में 50 के आसपास स्टूडेंट्स एक करोड़ से ऊपर का पैकेज पाने में सफल रहे। आईआईटी दिल्ली में तो यह संख्या 60 पहुंच गई है। वह भी केवल इंटरनैशनल रोल के लिए नहीं, डोमेस्टिक रोल के लिए भी।
ध्यान रहे, इंटरनैशनल रोल के लिए एक करोड़ से ऊपर के पैकेज पहले भी मिलते रहे हैं, लेकिन घरेलू भूमिका के लिए ऐसा पैकेज पहली बार मिला है। खास बात यह है कि प्लेसमेंट की स्थिति इस साल न केवल पिछले साल के मुकाबले बल्कि पूर्व महामारी यानी 2019 में देखी गई स्थिति से भी बेहतर है। कई मामलों में इसने अब तक के सारे रेकॉर्ड तोड़ दिए हैं। उदाहरण के लिए आईआईटी बॉम्बे में इस बार ग्रैजुएशन बैच ने पहले छह दिनों में ही 1200 जॉब ऑफर पाए, जो अपने आप में एक रेकॉर्ड है। अन्य संस्थान भी पीछे नहीं हैं। आईआईटी रुड़की में इस बैच को अब तक मिले जॉब ऑफर की संख्या 1,171 है, जो पिछले साल दिसंबर में दर्ज किए गए जॉब ऑफर से लगभग दोगुना है।
अब तक के ट्रेंड को देखते हुए जानकारों का कहना है कि प्लेसमेंट प्रक्रिया पूरी होने तक इस साल मिलने वाली नौकरियां पिछले कई वर्षों के मुकाबले ज्यादा होंगी। बेस्ट पैकेज के आंकड़ों से थोड़ा हटकर देखें तो एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि कई इंडिया बेस्ड स्टार्टअप्स और कंपनियां टॉप रिक्रूटर के रूप में उभरी हैं। महामारी शुरू होने के बाद से ही तरह-तरह के निराशाजनक हालात से जूझते यूथ के लिए ये खबरें संजीवनी का काम कर सकती हैं। बेशक यह केवल आईआईटी संस्थानों के प्लेसमेंट से जुड़ी खबरें हैं, जहां तक यूथ की बहुत छोटी सी संख्या पहुंचती है, लेकिन फिर भी यह इंडस्ट्री के बदलते ट्रेंड का संकेत दे रही हैं।
हालांकि कई देशों में कोरोना के नए सिरे से बढ़ते मामले और खासकर इसके नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के बढ़ते केस चिंता का कारण बने हुए हैं, लेकिन फिर भी ऐसा लगता है कि हम इस खतरे के साथ जीना सीख रहे हैं। इसलिए अगर हालात हद से ज्यादा नहीं बिगड़े तो उम्मीद यही है कि इंडस्ट्री का यह ट्रेंड जारी रहेगा। इस लिहाज से आईआईटी संस्थानों के जरिए आई पॉजिटिविटी की यह लहर युवाओं में उत्साह का संचार करते हुए मौजूदा माहौल में एक नए दौर का प्रस्थान बिंदु साबित हो सकती है।