अपने मोदी जी अब गिरधर गमांग!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज किस मनोदशा में होंगे?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज किस मनोदशा में होंगे? अपना मानना है गिरधर गमांग की मनोदशा में। सन् 1999 में ओडिसा में आदिवासी गिरधर गमांग मुख्यमंत्री थे। वे भाग्य से सीएम बने लेकिन बुद्धी, समझ में उनका भगवान मालिक! अक्टूबर 1999 में ओडिसा परजबसुपर साइक्लोन की विपदा आई तो उनका उस वक्त इसी उधेडबुन में वक्त गुजरा की करें तो क्या? जैसा राजा वैसे ही उसके चुने हुए अफसर। तभी साईक्लोन के वक्त जिस किंकर्तव्यमूढता में, बेचारगी में गमांग और उनके अफसर एक दूसरे का मुंह देख दिमाग खंपाते हुए थे। . मुख्यमंत्री अफसरों को देखते थे और अफसर उनको। मतलब, जी हुजूर साईक्लोन गुजर जाएगा, कुछ ही समय की बात है। आज नरेंद्र मोदी और उनके अफसर एक-दूसरे को देखते-मूढ भांपते क्या दिमाग लगाते होंगे? …हुजूर हाईकोर्ट-सुप्रीम कोर्ट में झाड पड रही है..हेडलाईने बन रही है… तो क्या हो सकंट का प्रबंधन?…बोल दो वायरस की तीसरी वेव की तैयारी कर रहे है..बनवा दो आज हैडिंग तीसरी वेव आएगी…डराओं। अभी भले लाशे यमुना में बहती मिले लेकिन तीसरी वेव में कहीं बंगाल की खाडी-हिंद महासागर में बहती न मिले। इसलिए जजों-संपादकों को कहों-समझाओं कि गमांग सरकार अगले सुपर साइक्लोन की चिंता में है… लोग मर रहे है तो क्या हुआ दूसरे देशों में भी मर रहे है, आक्सीजन की कमी है तो कहां हैं? हम सब तो हवा से ऑक्सीजन लेते हुए हैं.. गुलेरिया, यह मशीन से हवा लेने की क्या धांधली तुम डाक्टर लोगों ने बनाई है?.. हमने दुनिया को प्राणायाम सीखाया और तुम लोगों ने स्वदेशीपना छोड़ पश्चिम से मशीने मंगा उससे ऑक्सीजन देने का धंधा बना डाला…पहले हवा थी तो अब कहां चली गई… ये अस्पताल वाले चोर है, ये केजरीवाल निकम्मा है। बताओं लोगों को कि हमें क्या पता था कि वायरस वेव, तूफान इतना तगड़ा होगा.. अब आ गया है तो लोग मरेंगे। मरने वालों को नहीं बचा सकते, इनका भाग्य ही ऐसा है। अभी नहीं बचा सकते…पर हां, बताओं अगली वेव, अगले तूफान की हम चिंता-तैयारी कर रहे है .. अभी लॉकाडाउन लगाने से क्या होगा… मरने दो लोगों को! तीसरी वेव आएगी न तब लगाएगे ल़ॉकडाउन…।
क्रेडिट बाय नया इंडिया