एफटीए : मुक्त व्यापार के खुलते दरवाजे, आयात और निर्यात के बीच संतुलन से ही आगे बढ़ेगी अर्थव्यवस्था
भारत द्वारा किया जा रहा एफटीए देश के व्यापार को बढ़ाएगा और उत्पाद निर्यात के आकार को और ऊंचाई मिल सकेगी।
हाल ही में वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि इस समय भारत विदेश व्यापार नीति को नया मोड़ देते हुए दुनिया के प्रमुख देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) की डगर पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। यानी भारत के दरवाजे वैश्विक व्यापार और कारोबार के लिए तेजी से खुल रहे हैं। भारत के द्वारा ऑस्ट्रेलिया और यूएई के साथ एफटीए के बाद अब कनाडा, ब्रिटेन, खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के छह देशों, यूरोपीय संघ, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका और इस्राइल के साथ एफटीए के लिए तेजी से रणनीतिक कदम आगे बढ़ाए जा रहे हैं।
ये ऐसे देश हैं जिनके साथ एफटीए भारत के लिए अधिक लाभप्रद हैं, क्योंकि इन देशों को भारत के गुणवत्तापूर्ण उत्पादों की जरूरत है और ये भारतीय उत्पादों के लिए अपने बाजार खोलने के लिए उत्सुक हैं। इससे भारतीय सामान और सर्विस सेक्टर की पहुंच दुनिया के एक बड़े बाजार तक हो सकेगी। इसी महीने दो अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन की उपस्थिति में केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और ऑस्ट्रेलिया के व्यापार, पर्यटन और निवेश मंत्री डैन तेहान द्वारा 'भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते' पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते की बातचीत के बाद संतुलित और न्यायसंगत अंतरिम व्यापार समझौता भी हुआ है। दोनों देशों के बीच हुए नए मुक्त व्यापार समझौते से वर्तमान द्विपक्षीय व्यापार को करीब 27 अरब डॉलर से बढ़ाकर अगले पांच वर्षों में 45 से 50 अरब डॉलर तक पहुंचाए जाने में मदद मिलेगी। भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए एफटीए से दूरसंचार, कंप्यूटर, यात्रा, अनुसंधान, विकास पेशेवर तथा प्रबंधन परामर्श जैसे सेवा निर्यात मौजूदा 1.9 अरब डॉलर से बढ़कर आगामी पांच वर्ष में पांच अरब डॉलर होने का अनुमान है।
भारत-ऑस्ट्रेलिया एफटीए लागू होने के बाद ऑस्ट्रेलिया को भारत का करीब 96 फीसदी निर्यात और भारत को ऑस्ट्रेलिया का करीब 85 फीसदी निर्यात बगैर शुल्क के किया जा सकेगा। इससे टेक्सटाइल, चमड़ा, कृषि और मत्स्य उत्पाद, इलेक्ट्रिक सामान, आभूषण को ऑस्ट्रेलिया में शुल्क मुक्त पहुंच मिल सकेगी। दूसरी तरफ भारत ने ऑस्ट्रेलिया के लिए जिन सामान पर शून्य शुल्क की पेशकश की है, उनमें मुख्य रूप से कच्ची सामग्री, कोयला, खनिज और मध्यवर्ती सामान शामिल हैं। भारत ने ऑस्ट्रेलियाई शराब पर ड्यूटी कम करने पर सहमति जताई है।
भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच हुआ एफटीए इस वर्ष हुआ भारत का दूसरा एफटीए है। इससे पहले 18 फरवरी को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के साथ भी ऐसा ही समझौता हुआ था। इस एफटीए से भारत और यूएई के बीच वस्तुओं का कारोबार पांच साल में दोगुना बढ़ाकर 100 अरब डॉलर किए जाने का लक्ष्य रखा गया है, जो अभी करीब 60 अरब डॉलर है। निस्संदेह भारत द्वारा ऑस्ट्रेलिया और यूएई के साथ बड़े एफटीए पर हस्ताक्षर सुकूनदेह हैं।
ज्ञातव्य है कि 15 नवंबर, 2020 को अस्तित्व में आए दुनिया के सबसे बड़े ट्रेड समझौते रीजनल कांप्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (आरसेप) में भारत ने अपने आर्थिक व कारोबारी हितों के मद्देनजर शामिल होना उचित नहीं समझा था। फिर आरसेप से दूरी के बाद एफटीए की डगर पर आगे बढ़ने की नई सोच विकसित की गई। भारत द्वारा एफटीए वार्ताओं को तेजी से आगे बढ़ाते समय डेटा संरक्षण नियम, ई-कॉमर्स, बौद्धिक संपदा, किसानों, दुग्ध उत्पादों तथा पर्यावरण जैसे मसलों को ध्यान में रखना होगा।
हमें एफटीए वाले देशों में कारोबार प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए उत्पादों की कम लागत और अधिक गुणवत्ता की बुनियादी जरूरतों पर ध्यान देना होगा। इसके अलावा एफटीए का दूसरे अंतरराष्ट्रीय समझौते से बेहतर तालमेल भी बिठाना होगा। हम उम्मीद करें कि कोविड-19 और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण बदली हुई वैश्विक व्यापार व कारोबार की पृष्ठभूमि में भारत द्वारा किया जा रहा एफटीए देश के व्यापार को बढ़ाएगा और उत्पाद निर्यात के आकार को और ऊंचाई मिल सकेगी।
सोर्स: अमर उजाला