बंगाल से केरल तक पांचों राज्यों के विधानसभा चुनावों की स्थिति समझिये, 'सियासी जंग' के क्या हैं मुद्दे और कौन हैं योद्धा
बंगाल: ममता बनाम मोदी का टफ मुकाबला
पश्चिम बंगाल, केरल सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों (5 State Election 2021 Date) की तारीखों का शुक्रवार को ऐलान हो गया है. चुनाव आयोग ने बताया कि पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु, असम और पुडुचेरी सभी जगहों पर 3 मई को वोटों की गिनती होगी. बंगाल में 8 चरणों में मतदान होगा. असम में तीन चरणों में मतदान होगा. वहीं पुडुचेरी, केरल और तमिलनाडु में एक चरण में मतदान होगा. पांचों राज्यों में अलग-अलग मुद्दे हैं और अलग-अलग पार्टियों के बीच टक्कर है. सभी राज्यों में कौन सी पार्टी अभी शासन कर रही है और उनका मुख्य मुकाबला किससे है उस पर एक नजर.
बंगाल: ममता बनाम मोदी का टफ मुकाबला
पश्चिम बंगाल का चुनाव काफी रोचक हो गया है. सबसे टफ लड़ाई यहीं हैं. टीएमसी की प्रमुख और प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को बीजेपी से कड़ा मुकाबला करना पड़ रहा है. बीजेपी ने अभी तक अपना कोई सीएम फेस नहीं चुना है. बीजेपी यहां भी प्रधानमंत्री मोदी को ही फेस बनाकर सत्ता पाने की जुगत में है. पिछले चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने सबसे ज्यादा 211 सीटें पर विजय पाई थीं. कांग्रेस ने 44, लेफ्ट ने 26 और बीजेपी को मात्र तीन सीटों पर पिछले विधानसभा चुनाव में जीत मिल सकी थी. अन्य छोटे दलों ने दस सीट जीतने में सफल हुए थे. 294 सदस्यीय विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 148 सीटें चाहिए. 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने अच्छी बढ़त बना ली थी इसलिए बीजेपी इस बार के विधानसभा चुनावों को लेकर बहुत उत्साहित है.
असम: सीएए के मुद्दे पर है मुकाबला
असम में इस बार सीएए और एनआरसी के मुद्दे पर चुनाव लड़ा जाएगा. यूं समझिए कि सीएए को लेकर एक प्रकार से ये रेफ्रंडम ही होगा इस राज्य में. क्योंकि बीजेपी जहां सीएए लागू करने को लेकरप अटल है वहीं कांग्रेस इसे न लागू कराने को लेकर चुनाव लड़ रही है. 2016 में हुए चुनाव में यहां किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था. असम विधानसभा में कांग्रेस के अभी 25 विधायक हैं. वहीं भारतीय जनता पार्टी के 61 और उसके सहयोगी असम गण परिषद और बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट के कुल 14 और 12 सदस्य हैं. विधानसभा में एआईयूडीएफ (AIUDF) के 13 सदस्य हैं साथ में एक निर्दलीय भी है. असम गण परिषद के 14 और बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट के 12 विधायकों के समर्थन से बीजेपी ने सरकार बनाई है. साथ ही निर्दलीय विधायक का भी समर्थ बीजेपी के पास है.
तमिलनाडुः देखना है कि चिनम्मा को कितना मिलता है समर्थन
तमिलनाडु राजनीति के 2 ध्रुव डीएमके के करुणानिधि और एआईएडीएमके की जयललिता दोनों इस बार चुनावों में नहीं हैं. संयोग से अम्मा की चिनम्मा ( शशिकला) ऐन चुनावों के पहले जेल से बाहर आ गई हैं. बीजेपी भी एआईडीएमके के साथ चुनावी महासमर में जोर-शोर से उतरी हुई है. लगातार बड़े नेताओं का दौरा ये बता रहा है कि बीजेपी तमिलनाडु चुनावों को हल्के में नहीं ले रही है.
तमिलनाडु विधानसभा में 234 सीटें हैं और यहां एआईएडीएमके की सरकार है. पिछले चुनाव में एआईएडीएमके और उसके सहयोगी दलों को 134 सीटों मिली थीं. डीएमके जिसे 98 सीटें प्राप्त कर दूसरे नंबर पर रही थी. डीएमके के साथ कांग्रेस और कई छोटे दल हैं. विधानसभा चुनाव में पीएमके को एक भी सीट नहीं मिली. राज्य में सरकार बनाने के लिए 118 सीटों की जरूरत होगी. बीजेपी की मौजूदगी बहुत अच्छी नहीं है लेकिन पार्टी अच्छी खासी सीट जीतने की उम्मीद किए है.
पुडुचेरी: राज्यपाल की बर्खास्तगी और कांग्रेस सरकार गिरने के बाद अहम हो गया चुनाव
राज्य में पिछले दिनों जबरदस्त राजनीतिक उठापटक के पूरे देश की निगाहें पुडुचेरी पर हैं. यहां की राज्यपाल किरण बेदी को केंद्र ने हटा दिया और दूसरी ओर कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे के चलते अल्पमत में आई कांग्रस सरकार विधानसभा में बहुमत नहीं साबित कर सकी. अब देखना है कि राज्यपाल को हटाकर भारतीय जनता पार्टी को कितना फायदा मिलता है या सरकार गिराने को जनता के बीच कांग्रेस कितना भुना पाती है. पुडुचेरी में 30 सीटों के लिए चुनाव होना है. पिछले चुनाव में यहां की जनता ने कांग्रेस पार्टी को सबसे ज्यादा 15 सीटों पर अपना प्रतिनिधि चुना था. दूसरे स्थान पर यहां एआईएडीएमके को 4 सीट, एआईएनआरसी को 8 सीट, डीएमके को 2 और अन्य को 1 सीटें मिली थीं. यहां कांग्रेस और डीएमके का आपस में गठबंधन है और एआईएडीएमके और एआईएनआरसी विपक्ष में हैं.
केरल: योगी का लव जिहाद फार्मूला कितना काम आएगा
केरल की राजनीति में सीपीआई (एम) और कांग्रेस का दबदबा है. भाजपा बहुत दिनों से यहां मेन स्ट्रीम की राजनीति में आने के लिए व्याकुल है. इस बार बीजेपी बड़े नाम वाले चेहरे जैसे मेट्रोमैन ईश्रीधरन और प्रख्यात अथलीट पीटी ऊषा के सहारे अपनी उपस्थित दर्ज कराने के लिए सक्रिय है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के तूफानी दौरे पर भी बीजेपी को भरोसा है. योगी ने यूपी की तरह केरल में लव जिहाद के खिलाफ राज्य में कानून लाने का वादा किया है. केरल में कुल विधानसभा की 140 सीटों पर चुनाव होना है. यहां सरकार बनाने के लिए 71 सीटों की जीतने की जरूरत होगी. वर्तमान में यहां सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाले लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) की सरकार है. पिछले विधानसभा चुनाव में एलडीएफ 91 सीटे जीतने में सफल हुई थी. कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) को 47 सीटें पर जनता का प्यार मिल सका था.