निजता के लिए

आज के समय में निजता की रक्षा सबसे जरूरी है और किसी भी कंपनी या संस्थान को यह रियायत नहीं मिलनी चाहिए कि वह किसी की निजी सूचनाओं का उपयोग करे।

Update: 2021-07-10 04:00 GMT

आज के समय में निजता की रक्षा सबसे जरूरी है और किसी भी कंपनी या संस्थान को यह रियायत नहीं मिलनी चाहिए कि वह किसी की निजी सूचनाओं का उपयोग करे। निजता-नीति पर जारी विवाद के बीच वाट्सएप ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा है कि वह अपनी निजता-नीति पर रोक लगा चुका है। वाट्सएप ने लगे हाथ दिल्ली हाईकोर्ट को यह भी बताया है कि जब तक डाटा संरक्षण विधेयक प्रभाव में नहीं आ जाता, तब तक वह उपयोगकर्ताओं (यूजर्स) को नई निजता-नीति अपनाने के लिए बाध्य नहीं करेगा और इस नीति पर अभी रोक लगा दी गई है। एक बड़ी चिंता यह थी कि वाट्सएप की निजता-नीति को न मानने वाले यूजर्स को कुछ सुविधाओं से वंचित किया जाएगा। ऐसा अक्सर सोशल मीडिया कंपनियां करती हैं, यूजर्स से ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाकर उसका व्यावसायिक उपयोग नई बात नहीं है। जैसे-जैसे यूजर्स अपनी सूचनाएं साझा करता है, वैसे-वैसे उसकी सुविधा बढ़ाई जाती है। लेकिन यह अच्छी बात है कि वाट्सएप ने अदालत के समक्ष यह भी साफ कर दिया है कि इस बीच वह नई निजता-नीति को नहीं अपनाने वाले यूजर्स के लिए उपयोग के दायरे को सीमित नहीं करेगा।

हालांकि, इसका सीधा संकेत है, भविष्य में यूजर्स को उतनी ही छूट मिलेगी, जितनी सूचना वे साझा करेंगे। सोशल मीडिया मंचों पर यह स्वाभाविक चलन है। कई सोशल मंच तो भरपूर सूचनाएं लेने के साथ ही यूजर्स का प्रत्यक्ष आर्थिक दोहन भी करते हैं या दोहन के बारे में सोचते हैं। आम लोगों व अदालतों को भी सजग रहना होगा कि आने वाले समय में कोई ऐसी चालाकी न हो कि यूजर्स चौतरफा ठगे जाएं। बहरहाल, अदालत में वाट्सएप के रुख का नरम पड़ना कुछ उत्साहजनक है। वाट्सएप की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा है कि हम स्वत: ही इस (नीति) पर रोक लगाने के लिए तैयार हो गए हैं। हम लोगों को इसे स्वीकारने के लिए बाध्य नहीं करेंगे। वैसे वाट्सएप इसके बावजूद अपने यूजर्स के लिए अपडेट का विकल्प दर्शाना जारी रखेगा। मतलब, निजता की रक्षा की लड़ाई लंबी चलने वाली है। सोशल मीडिया कंपनियां बहुत मजबूत हो गई हैं और अपनी मनमानी आसानी से नहीं छोड़ेंगी। गौरतलब है कि अदालत फेसबुक और उसकी सहायक कंपनी वाट्सएप की अपीलों पर सुनवाई कर रही है, जो वाट्सएप की नई निजता-नीति के मामले में जांच के भारतीय प्रतिस्पद्र्धा आयोग के आदेश पर रोक लगाने से इनकार के एकल पीठ के आदेश के विरुद्ध दाखिल की गई हैं।
केंद्र सरकार को पूरी तरह से सतर्क रहना होगा। ये सोशल मीडिया कंपनियां इस कोशिश में हैं कि सरकार द्वारा डाटा संरक्षण विधेयक को लागू करने से पहले ही वे अपनी व्यावसायिक सुरक्षा का इंतजाम कर लें। अगर इन कंपनियों ने यूजर्स से पहले ही निजता संबंधी समझौता कर लिया, तो फिर सरकार का डाटा संरक्षण संबंधी कानून निरर्थक हो जाएगा। आज सजग नागरिकों पर सर्वाधिक जिम्मेदारी है। निजता को जिस तरह की सुरक्षा अमेरिका या यूरोपीय देशों में हासिल होती है, वैसी ही सुरक्षा भारतीयों को भी हासिल होनी चाहिए। भारत एक विशाल बाजार है, हम अपना डाटा आसानी से या मुफ्त में किसी को हाथ लगने नहीं दे सकते। सरकार को पूरी तेजी के साथ जरूरी कदम उठाने चाहिए, ताकि निजता संबंधी विवाद का पटाक्षेप जल्द से जल्द हो।


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