भोजन का अपमान
यह सूचना किसी दुख से कम नहीं कि हमारी दुनिया में 17 प्रतिशत भोजन घरों, रेस्तरां और दुकानों में बर्बाद चला जाता है।
जनता से रिश्ता वेबडेसक | यह सूचना किसी दुख से कम नहीं कि हमारी दुनिया में 17 प्रतिशत भोजन घरों, रेस्तरां और दुकानों में बर्बाद चला जाता है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की फूड वेस्ट इंडेक्स रिपोर्ट 2021 से पता चलता है कि कुछ भोजन खेतों पर ही, तो कुछ आपूर्ति के दौरान और एक बड़ा हिस्सा तैयार होने के बाद बर्बाद हो जाता है। कुल मिलाकर, एक तिहाई भोजन खाए जाने से रह जाता है। भोजन बर्बादी के ये आंकड़े बहुत मेहनत से जुटाए गए हैं, जिनका विश्लेषण हमें चौंकाता है और रुलाता भी है। संयुक्त राष्ट्र की एक कार्यकारी निदेशक इंगर एंडरसन कहती हैं कि 'अगर हम जलवायु परिवर्तन, प्रकृति, जैव विविधता के नुकसान और प्रदूषण, कचरे से निपटने के बारे में गंभीर होना चाहते हैं, तो दुनिया भर के व्यवसायों, सरकारों और नागरिकों को भोजन की बर्बादी को कम करने के लिए काम करना पड़ेगा।' अन्न-भोजन की बर्बादी ज्यादातर देशों में समस्याओं को जन्म दे रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी देशों में इस बर्बादी का स्तर आश्चर्यजनक रूप से समान है। न विकसित देशों के लोग आदर्श हैं और न गरीब देशों के लोग। भोजन की बर्बादी कोई ऐसा विषय नहीं है, जिसके बारे में किसी देश में लोग जानते न हों। परंपरागत रूप से दुनिया की ज्यादातर संस्कृतियों और समाजों में भोजन की बर्बादी रोकने के लिए लोगों को पाबंद किया गया है, लेकिन तब भी लोग सुधर नहीं रहे, कम से कम यह रिपोर्ट तो यही गवाही दे रही है।