पाक में बाढ़ः परीक्षा की घड़ी
पाकिस्तान में अचानक आई बाढ़ ने तबाही मचा रखी है। अब तक की सूचना के मुताबिक 1100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। देश की आबादी का सातवां हिस्सा विस्थापित हो गया है।
नवभारत टाइम्स: पाकिस्तान में अचानक आई बाढ़ ने तबाही मचा रखी है। अब तक की सूचना के मुताबिक 1100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। देश की आबादी का सातवां हिस्सा विस्थापित हो गया है। शुरुआती अनुमान के मुताबिक कम से कम 10 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। संकट की इस स्थिति में स्वाभाविक ही दुनिया भर से मदद की पेशकश आने लगी है। लेकिन जिस तरह की आर्थिक चुनौतियों से पाकिस्तान पिछले कुछ समय से गुजर रहा है, उनके मद्देनजर इस आपदा से उपजी मुश्किलें इन सहायता सामग्रियों से हल होने वाली नहीं हैं। बेशक इनसे तात्कालिक मदद मिल जाएगी, जो अभी जरूरी भी है, लेकिन कठिनाइयां कई स्तरों पर आने वाली हैं। बाढ़ के चलते खेतों में खड़ी फसलें तबाह हो गई हैं। इस लिहाज से कुछ समय बाद वहां खाने-पीने की वस्तुओं की किल्लत हो सकती है। बाढ़ के कारण बलूचिस्तान, सिंध और दक्षिण पंजाब से सब्जियों की सप्लाई बाधित हो गई है और इनकी कीमतें पहले ही आसमान छू रही हैं। ऐसे में पाकिस्तान के वित्त मंत्री का यह बयान महत्वपूर्ण है कि उनकी सरकार सब्जियां और अन्य खाद्य वस्तुएं भारत से आयात करने पर विचार कर सकती है। सर्वविदित है कि भारत और पाकिस्तान के संबंध अरसे से अच्छे नहीं चल रहे हैं। फिर भी भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाढ़ की इस विभीषिका को देखते हुए पाकिस्तान के लोगों के प्रति संवेदना जताई और उम्मीद जताई कि वहां जल्द से जल्द हालात सामान्य हो जाएंगे।
इतना ही नहीं, संकट काल में पाकिस्तान के लिए सहायता की घोषणा करने पर भी विचार चल रहा है। ध्यान रहे, दोनों देशों के बीच रिश्तों में उतार-चढ़ाव का प्रभाव आपसी व्यापार पर भी पड़ा है। फरवरी 2019 में हुए पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान का एमएफएन (मोस्ट फेवर्ड नेशन) का दर्जा समाप्त कर दिया था। उसने पाकिस्तान से होने वाले आयात को बैन तो नहीं किया लेकिन वहां से आने वाले माल पर शुल्क 200 प्रतिशत तक बढ़ा दिया। इसके बाद अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर को अनुच्छेद 370 के तहत मिला विशेष दर्जा खत्म किए जाने पर पाकिस्तान की तत्कालीन इमरान खान सरकार ने भारत से हर तरह के व्यापार को स्थगित कर दिया था। हालांकि उसके बाद से धीरे-धीरे दवाओं और अन्य कई वस्तुओं के व्यापार की इजाजत मिली है, लेकिन फिर भी यह 2019 के सालाना 2.6 अरब डॉलर के स्तर से काफी नीचे है। ऐसे में दोनों देश चाहें तो बाढ़ के रूप में आई इस आपदा को अवसर में बदल सकते हैं। सच है कि दोनों देशों के रिश्तों में सुधार की प्रक्रिया बेहद जटिल है, लेकिन इस जटिलता को एक तरफ करके फिलहाल कम से कम व्यापार को धीरे-धीरे सामान्य रूप देने पर सहमति हो जाए तो वह भी एक उपलब्धि होगी।