जानलेवा ब्रेन स्ट्रोक

Update: 2023-10-11 17:12 GMT

पक्षाघात या ब्रेन स्ट्रोक दिल के दौरे की ही तरह मौत का एक बड़ा कारण है. लेकिन यह होता क्या है और कितना गंभीर है, इसका अंदाजा कम ही लोगों को होता है. प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल लांसेट ने ब्रेन स्ट्रोक पर एक रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि वर्ष 2050 तक विश्व में इससे हर वर्ष एक करोड़ लोगों की मौत होने लगेगी. यानी 30 वर्ष के भीतर लकवा से होनेवाली मौतों की संख्या में 50 फीसदी की वृद्धि हो जायेगी. दक्षिण-पूर्व एशिया में भारत की स्थिति सबसे गंभीर है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में हर वर्ष लगभग 13 लाख लोगों को ब्रेन स्ट्रोक हो रहा है. इनमें 18 से 42 प्रतिशत लोगों की एक महीने के भीतर ही मौत हो जाती है. बहुत सारे लकवाग्रस्त लोग सामान्य जीवन नहीं जी पाते.

सामान्य भाषा में कहें, तो ब्रेन स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क तक रक्त की आपूर्ति में बाधा पहुंचती है. इससे ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और मस्तिष्क को क्षति पहुंचती है. रिपोर्ट में एक महत्वपूर्ण पक्ष पर ध्यान दिलाया गया है कि ब्रेन स्ट्रोक से होनेवाली आधी से ज्यादा मौतों की वजह मस्तिष्क में रक्तस्राव होना है, ना कि रक्त के थक्कों का बनना. इससे यह अंदाजा मिलता है कि लकवे का संबंध, जीवनशैली की वजह से होनेवाली बीमारियों से जुड़ा हुआ है. मौजूदा समय में हाइपरटेंशन, डायबिटीज, मोटापा, अधिक कोलेस्ट्रॉल आदि की दिक्कतें बढ़ने से ब्रेन स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ रहा है. पहले की तुलना में अब कम उम्र में भी लोग इसका शिकार हो रहे हैं.

दक्षिण-पूर्व एशिया में 45 वर्ष से कम उम्र के लोगों में ब्रेन स्ट्रोक सामान्य होता जा रहा है और इसकी वजह जीवनशैली है. भारत में स्ट्रोक के 30 फीसदी मामलों में हाइपरटेंशन, यानी अत्यधिक तनाव बड़ी वजह थी. जानकार इससे बचने के उपाय भी सुझाते हैं, जिनमें कुछ बातें सामान्य और महत्वपूर्ण हैं. स्ट्रोक को रोकने के लिए ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और उच्च कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करना जरूरी है. यह बहुत कुछ जीवनशैली को व्यवस्थित करने से संभव है. खान-पान में नियंत्रण, नियमित व्यायाम और मोटापे से बचने से काफी फर्क पड़ता है. पर स्ट्रोक को लेकर एक बड़ी चुनौती इसके बारे में जानकारी का अभाव है. स्ट्रोक के लक्षणों को नहीं पहचान पाना, और इलाज में देरी मरीज के लिए प्राणघातक हो सकता है. ऐसे में ब्रेन स्ट्रोक के लक्षणों के बारे में जागरूकता बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए.


प्रभात खबर के सौजन्य से सम्पादकीय 

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