महंगी उड़ान

हवाई सेवाओं में निजी कंपनियों को इसलिए प्रवेश दिया गया था कि उससे प्रतिस्पर्द्धा बढ़ेगी

Update: 2021-02-13 01:58 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेसक| हवाई सेवाओं में निजी कंपनियों को इसलिए प्रवेश दिया गया था कि उससे प्रतिस्पर्द्धा बढ़ेगी, कीमतें कम होंगी और उसका लाभ उपभोक्ताओं को मिलेगा। ऐसा हुआ भी। अनेक निजी कंपनियों ने अपनी हवाई सेवाएं शुरू कीं और प्रतिस्पर्द्धी दर पर सेवाएं देने की उनमें होड़ लग गई। छोटे शहरों के लिए भी हवाई उड़ानों की बारंबारता बढ़ गई। कई कंपनियां कम भीड़भाड़ वाले मौसम में पहले टिकट खरीदने पर सौ दो सौ रुपए में भी सफर कराने की योजनाएं पेश करती देखी जाने लगीं।

इसका असर यह हुआ कि लंबी दूरी का सफर करने वाले लोगों ने रेल के बजाय हवाई यात्रा का रुख कर लिया। हवाई जहाजों में भी अच्छी-खासी भीड़भाड़ दिखाई देने लगी। क्योंकि रेलें एक तो समय अधिक लगाती हैं और उनमें भी अच्छी गाड़ियों के प्रथम श्रेणी का टिकट हवाई जहाजों के आसपास ही पहुंच गया है। हवाई जहाज से बेशक कुछ अधिक पैसा लगता है, पर समय काफी बच जाता है, इसलिए लोग हवाई यात्रा को प्राथमिकता देते देखे जाते हैं। मगर कोरोना की वजह से बंदी होने के कारण हवाई सेवाओं को काफी घाटा उठाना पड़ा। इसलिए जब बंदी हटी तो राहत देने के मकसद से सरकार ने उन्हें टिकट की दरों में कुछ बढ़ोतरी की इजाजत दे दी। अब हवाई टिकटों में दस से तीस फीसद की बढ़ोतरी हो गई है।
पूर्णबंदी हटने के बाद जब हवाई सेवाएं शुरू हुईं, तो विमानन कंपनियों ने पहले खुद टिकट की दरें तय करना शुरू कर दिया था, जिससे मुसाफिरों की जेब पर भारी बोझ पड़ रहा था। उसे लेकर विवाद शुरू हुआ तो उड्डयन मंत्रालय ने उसमें दखल देते हुए कहा कि टिकटों की दरें विमानन कंपनियां खुद नहीं, बल्कि सरकार तय करेगी। इस तरह उसमें इस बात का ध्यान रखा गया कि कोरोना संक्रमण के बचाव के मद्देनजर दूरी और सुरक्षा इंतजामों आदि को देखते हुए दरें इस तरह बढ़ाई जाएं कि मुसाफिरों की जेब पर अधिक बोझ न पड़े और विमानन कंपनियों को भी नुकसान न हो।


Tags:    

Similar News

-->