यूरोप का दोहरा मानदंड

उनकी शिकायत है कि यूरोप की सरकारों ने खरीद का सौदा करने में देर की और अब उसका दोष वे इस कंपनी पर मढ़ रही हैं।

Update: 2021-01-29 10:21 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। यूरोपीय यूनियन और ब्रिटिश- स्वीडिश कंपनी ऐस्ट्रा-जेनेका में ठन गई है। ईयू के अधिकारियों ने इस कंपनी के यूरोप में उत्पादित वैक्सीन पर के निर्यात पर पाबंदी लगाने की चेतावनी दी है। इस पर इस कंपनी ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उसने इस इल्जाम का खंडन किया कि कंपनी की तरफ से वैक्सीन सप्लाई में देर हो रही है। उनकी शिकायत है कि यूरोप की सरकारों ने खरीद का सौदा करने में देर की और अब उसका दोष वे इस कंपनी पर मढ़ रही हैं। वैसे कारोबार में उदारवादी नीतियों के समर्थक ईयू अगर सचमुच प्रतिबंध लगाता है, तो उसे उसका दोहरा मानदंड ही कहा जाएगा। माना जा रहा है कि ईयू जर्मनी के दबाव में है। जर्मनी के स्वास्थ्य मंत्री जेन्स स्पहन ने कहा है कि यूरोपीय देशों को निर्यात सीमित करने के कदम उठाने चाहिए।


गौरतलब है कि यूरोपीय आयोग हमेशा से व्यापार में प्रतिबंधों और संरक्षणवादी नीतियों का विरोधी रहा है। यूरोपीय मीडिया में छप रही खबरों का कहना है कि ईयू सचमुच वैक्सीन निर्यात पर प्रतिबंध लगा सकता है। इस सिलसिले में ध्यान दिलाया गया है कि पिछले साल ईयू ने ऐसा ही कदम मास्क और अन्य सुरक्षा सामग्रियों के बारे में उठाया था। इसकी शुरुआत जर्मनी ने की थी। इस मामले में जर्मनी ने ईयू के सिंगल मार्केट सिद्धांत का उल्लंघन किया था। इसलिए ईयू ने ये प्रतिबंध हटाने की मांग की थी। लेकिन जर्मनी ने वह प्रतिबंध तभी हटाया, जब ईयू ने खुद ऐसी पाबंदी लगा दी।
इसके बाद यूरोप में मास्क और वायरस संक्रमण से बचाव की अन्य सामग्रियां बनाने वाली कंपनियों के लिए यह अनिवार्य हो गया कि निर्यात के पहले वे अपने देश की सरकारों की इजाजत लें। ऐसा ही वैक्सीन के मामले में हो सकता है। अगर इस कदम के कई खतरे हैँ। ये चेतावनी उचित ही दी गई है कि अगर ईयू ने ऐसा कदम उठाया, तो इससे दुनिया में 'वैक्सीन वॉर' छिड़ सकता है।
तब अमेरिकी या अन्य देश भी ऐसा कदम उठा सकते हैं। आरोप यह लग रहा है कि व्यापार में खुलेपन और उदारवाद की वकालत करने वाले यूरोपीय देश जब खुद पर आपदा आई है, तो अपने ही सिद्धांत का उल्लंघन कर संरक्षणवादी बन रहे हैं। फिलहाल हालत यह है कि धनी देशों में भी इस बात को लेकर लड़ाई छिड़ रही है कि वैक्सीन पहले कौन हासिल करता है। ये अफसोसनाक है।


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