उत्साहजनक संकेत: कोरोना संकट में भारत की अर्थव्यवस्था बेहतर नतीजे कर सकती है हासिल

कोरोना संकट के इस दौर में उपभोक्ताओं को लेकर किए गए एक सर्वेक्षण के ऐसे निष्कर्ष सकारात्मक वातावरण निर्मित करने वाले हैं

Update: 2020-12-16 02:56 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| कोरोना संकट के इस दौर में उपभोक्ताओं को लेकर किए गए एक सर्वेक्षण के ऐसे निष्कर्ष सकारात्मक वातावरण निर्मित करने वाले हैं कि इस वर्ष अप्रैल की तुलना में नवंबर माह में उपभोक्ता कहीं अधिक आशावादी रहे। यह सर्वे यह भी इंगित करता है कि आने वाले समय में उपभोक्ता खरीदारी को लेकर कहीं अधिक उत्साह दिखाएंगे। नि:संदेह ऐसा होने से न केवल आर्थिक-व्यापारिक गतिविधियों को बल मिलेगा, बल्कि अर्थव्यवस्था को कोरोना के असर से उबारने में मदद भी मिलेगी। इसकी भी अनदेखी नहीं की जा सकती कि अक्टूबर माह में कुछ क्षेत्रों में उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिली। इस वित्तीय वर्ष यह लगातर दूसरा माह रहा जब औद्योगिक उत्पादन में बढ़ोतरी दर्ज की गई। इसके साथ ही बुनियादी ढांचे और ऑटो सेक्टर में भी सुधार के स्पष्ट संकेत दिख रहे हैं। यह भी महत्वपूर्ण है कि अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में अपने अनुमान कोे संशोधित किया है। उसने यह उम्मीद जताई है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अनुमान से बेहतर नतीजे हासिल कर रही है और आने वाले समय में विकास दर में तेजी आएगी।

एक ऐसे समय जब अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर कई सकारात्मक संकेत उभरे हैं तब यह ठीक नहीं कि कई किसान संगठन नए कृषि कानूनों के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं और वह भी तब जब केंद्र सरकार और यहां तक कि प्रधानमंत्री की ओर से बार-बार यह रेखांकित किया जा रहा है कि कृषि में सुधार आवश्यक हैं। इससे बड़ी विडंबना कोई और नहीं हो सकती कि किसान संगठन अपने ही हित वाले कानूनों का विरोध करने में लगे हैं। यह मानने के पर्याप्त कारण हैं कि इस विरोध की एक बड़ी वजह कृषि कानूनों के खिलाफ किया गया दुष्प्रचार ही है। केंद्र सरकार को इस दुष्प्रचार की काट करने के लिए कुछ ऐसे कदम उठाने की आवश्यकता है जिससे किसानों के बीच व्याप्त भ्रम दूर हो और वे यह देख-समझ सकें कि कृषि कानूनों को लेकर जो कुछ कहा और बताया जा रहा वैसा कुछ नहीं है। बेहतर होगा कि नए कृषि कानूनों के तहत विभिन्न क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने आदि की जो बातें की गई थीं उन पर यथाशीघ्र अमल सुनिश्चित किया जाए। इसके लिए सरकार के स्तर पर कोई बड़ी घोषणा भी की जा सकती है। ध्यान रहे कि बात तभी बनेगी जब शहरी अर्थव्यवस्था के साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था कदमताल करती हुई नजर आएगी। यह ठीक है कि आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत कई ऐसे कदम उठाए गए हैं जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल देने वाले हैं, लेकिन इसके साथ ही सरकार को यह भी देखना होगा कि इन उपायों का अधिक से अधिक असर भी हो।


Tags:    

Similar News

-->