शिक्षा का बजट

दिल्ली सरकार के वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने मंगलवार को विधानसभा में वित्त वर्ष 2021-22 के लिए उनहत्तर हजार करोड़ रुपए का जो सालाना बजट पेश किया

Update: 2021-03-10 02:11 GMT

दिल्ली सरकार के वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने मंगलवार को विधानसभा में वित्त वर्ष 2021-22 के लिए उनहत्तर हजार करोड़ रुपए का जो सालाना बजट पेश किया, उसकी बड़ी खूबी यह है कि इसमें शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र को सबसे ज्यादा तवज्जो दी गई है। शिक्षा और स्वास्थ्य की मद में सबसे ज्यादा पैसा आबंटित कर सरकार ने अपनी इस वचनबद्धता को निभाने की कोशिश की है कि आमजन की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में वह कोई कसर नहीं छोड़ेगी।

दिल्ली सरकार ने अब तक के अपने मौजूदा और पिछले कार्यकाल में इन दोनों क्षेत्रों में ठोस काम करके इसे साबित भी कर दिखाया है। शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी जैसे मुद्दों पर बड़ी पहल और उपलब्धियों की बदौलत ही केजरीवाल सरकार को दिल्ली की जनता ने फिर से सत्ता सौंपी। ऐसे में सरकार का यह उत्तरदायित्व और बढ़ जाता है कि वह जनता की उम्मीदों पर खरी उतरे। हालांकि आबादी, क्षेत्रफल, अधिकार, पूर्ण राज्य के दर्जे की स्थिति और अलग प्रशासनिक ढांचे जैसे कारणों से दिल्ली सरकार के बजट की तुलना दूसरे राज्यों सरकारों के बजट से तो नहीं की जा सकती, लेकिन शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में कैसे काम किया जाए, दूसरे राज्य दिल्ली से यह सीख जरूर ले सकते हैं।
दिल्ली सरकार ने शिक्षा की मद में सोलह हजार तीन सौ सतहत्तर करोड़ रुपए रखे हैं। यह रकम कुल बजट राशि की लगभग एक चौथाई बैठती है। आज पूरी दुनिया में जिस तरह से शिक्षा का परिदृश्य बदल रहा है उसे देखते हुए दिल्ली में भी शिक्षा के ढांचे को मजबूत और आधुनिक बनाना जरूरी है। फिर दिल्ली देश की राजधानी है और देश-विदेश से यहां विद्यार्थी पढ़ने के लिए आते हैं। ऐसे में शिक्षा क्षेत्र को बदलते वक्त और वैश्विक जरूरतों के अनुरूप बनाए बिना वैश्विक प्रतिस्पर्धा में नहीं उतरा जा सकता।
इसमें कोई संदेह नहीं कि पिछले सात साल में दिल्ली सरकार ने स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में जिस तरह का काम किया, उसकी देश-विदेश में प्रशंसा हुई और कुछ राज्यों ने यहां के मॉडल को अपने यहां अपनाया भी है। बजट में दिल्ली सरकार ने बेहतर शिक्षक तैयार करने के लिए एक विश्वविद्यालय और एक विधि विश्वविद्यालय खोलने की भी योजना है। सरकार इस बात को समझ रही है कि जब तक हर बच्चे को गुणवत्तापरक शिक्षा नहीं मिलेगी, तब तक अच्छे नागरिक का निर्माण संभव नहीं है।
बजट में शिक्षा के बाद सबसे ज्यादा पैसा नौ हजार नौ सौ चौंतीस करोड़ रुपए स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए आबंटित किया गया है। दिल्ली में आबादी का दबाव जिस तरह से बढ़ता जा रहा है, उसके अनुपात में स्वास्थ्य सुविधाएं आज भी पर्याप्त नहीं हैं। ऐसे में स्वास्थ्य क्षेत्र पर खर्च बढ़ाना अपरिहार्य है। पिछले एक साल में कोरोना महामारी से निपटने के लिए हालांकि सरकार ने प्रयासों में कोई कमी नहीं रखी, लेकिन इस दौर का अनुभव बताता है कि स्वास्थ्य क्षेत्र अगर दुरुस्त होता तो हमें मुश्किलों का सामना कम करना पड़ता। सरकारी अस्पतालों में मुफ्त कोरोना टीके लिए बजट में पचास करोड़ रुपए का प्रावधान है।
दिल्ली में परिवहन, प्रदूषण जैसे मुद्दे भी महत्त्वपूर्ण हैं जो सीधे तौर पर आम आदमी से जुड़े हैं। पर्यावरण को साफ बनाने के लिए बिजली से चलने वाहनों को बढ़ावा देने की नीति पर तेजी से काम होगा। झुग्गी बस्तियों में रह रहे लोगों के लिए फ्लैट बनाने के लिए पांच हजार करोड़ रुपए से ज्यादा रखे हैं। सरकार वर्ष 2047 तक दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय सिंगापुर की प्रति व्यक्ति आय के बराबर ले जाने की इच्छा रखती है। शिक्षा से सरोकार रखने वाली सरकार और समाज के लिए ऐसा लक्ष्य कोई असंभव नहीं है।

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