Vijay Garg: अभी एक स्टूडेंट हैं या फिर चाहे स्कूल-कालेज में पढ़ रहे हाँ या किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हों। सभी को कुछ बुनियादी बातों की जानकारी होना बहुत जरूरी है। यदि विद्यार्थी की बात करें, तो वह दीपावली में जलते हुए एक दीपक की तरह होता है, जो लगातार अपने अध्ययन के प्रकाश के द्वारा अपनी अज्ञानता की कालिमा के विरुद्ध जूझता रहता है। इस तरह से देखा जाए, तो आप एक योद्धा भी हैं। आपको अपनी इस पहचान को हमेशा याद रखना चाहिए। यदि आप इसे याद रखे रहेंगे, तो इतना करने भर से आपके मन में उत्साह बना रहेगा। आप निराश और उदास नहीं होंगे आपके शरीर को आलस्य जकड़ नहीं पाएग आपका दिमाग एक सैनिक की तरह हमेशा सतर्क और चौकन्ना रहेगा। वह तरोताजा बना रहेगा। ऐसे मन, ऐसे शरीर और ऐसे दिमाग से जो पढ़ाई होगी, वह कमाल की होगी। आप यह कमाल केवल इस छोटे से वाक्य को याद रखकर कर सकते हैं कि 'मैं एक ज्ञान योद्धा हूं।'
दूसरा तत्व है सफाई का हमारा घर चाहे जैसा भी हो, दीपावली पर हम उसकी सफाई करते ही हैं। इससे घर के कबाड़ से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही हमें स्वच्छता का भी अनुभव होता है। महान वैज्ञानिक आइंस्टीन ने एक बहुत बड़ी उपयोगी और व्यावहारिक बात कही थी। उनका कहना था कि जहाँ भी कूड़ा-कर्कट, सड़ी-गली और बेकार की वस्तुएं पड़ी रहती हैं, उस स्थान से बड़ी मात्रा में नकारात्मक ऊर्जा निकलती है। इसके ठीक विपरीत जो स्थान जितना अधिक साफ-सुथरा होगा, प्रकाशवान होगा, वहाँ की ऊर्जा उतनी ही अधिक सकारात्मक होगी। इसलिए दीपावली के दिन तक हम सभी अपने-अपने घरों की साफ-सफाई, लिपाई पुताई करके उसे सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र बना देते हैं। कितनी अच्छी बात है न यह। मैंने इससे पहले आपसे कहा है कि यदि आप स्टूडेंट हैं, तो आप एक 'ज्ञानवीर' हैं, ज्ञान के योद्धा हैं। आप विचार कीजिए कि एक योद्धा को कितनी अधिक सकारात्मक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। नकारात्मक ऊर्जा हमें भगोड़ा बनाती है। यह हमारे मन को ही दुखी नहीं करती, बल्कि हमारे शरीर को भी बीमार करती है।
जब कोई आपसे आपके बारे में निगेटिव बात कहता है, तो आपको कैसा लगता है इसका अनुभव आपको है क्या आप ऐसे निगेटिव लोगों के साथ रहकर अपनी पढ़ाई अच्छे से कर पाते हैं, निश्चित रूप से आपका उत्तर होगा कि मुझे ऐसे लोग पसंद नहीं आते। उनकी बातों मेरा मनोबल कम होता है। मैं तनाव में चला जाता हूं। मैं ऐसे लोगों के साथ रहना नहीं चाहूंगा। आपका उत्तर होना भी यही चाहिए। यह तो हुई लोगों की बात स्थानों के बारे में आपकी राय क्या है, आपको चाहिए कि आप अपनी पढ़ाई-लिखाई वाले स्थान को साफ-सुथरा रखें। उसे व्यवस्थित रखें। वहां हवा और प्रकाश आने दें। अपनी आलमारी और दराज से फालतू की चीजों को हटाते रहें और यह भी देखते रहें कि आपकी टेबल और किताबों पर धूल जमने न पाए, यानी झाड़-पोंछ भी करते रहें।
साथ ही खुद को भी साफ-सुथरा रखें। कपड़े धुले हुए हों। जूतों में पालिश होती रहे। नहाकर पढ़ने बैठने से एक अलग ही तरह की ताजगी का एहसास होता है। ऐसा करके आप अपनी सकारात्मक ऊर्जा को काफी बढ़ा सकते हैं। यह सकारात्मक ऊर्जा हमारे मस्तिष्क की ग्रहण शक्ति को काफी बढ़ा देती है। दरअसल, मुश्किल यह है कि स्टूडेंट्स को लगता है कि हमारा काम केवल पढ़ाई करना है और वे इस काम में दिन रात लगे भी रहते हैं। लेकिन जब उन्हें अपनी उम्मीद के अनुसार परिणाम नहीं मिलता, तो वे निराश हो जाते हैं। आपको इसी निराशा को संभालने का गुर सीखने की जरूरत है। फिर देखिए, कामयाबी कैसे नहीं आपको मिलती है। इससे जीवन में जो सकारात्मकता आएगी, सो अलग।
विजय गर्ग सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य शैक्षिक स्तंभकार मलोट