टीकाकरण से जुड़ी है आर्थिक प्रगति

हमारे माननीय बहुत खुश हैं कि देश के नागरिक कोरोना रोधी टीके की 100 करोड़ से ज्यादा डोज़ पार कर रहे हैं

Update: 2021-10-26 19:07 GMT

हमारे माननीय बहुत खुश हैं कि देश के नागरिक कोरोना रोधी टीके की 100 करोड़ से ज्यादा डोज़ पार कर रहे हैं। भारत में टीकाकरण अभियान शुरू होने के सिर्फ नौ महीने के अंदर ही इस उपलब्धि को हासिल कर लिया गया। 100 करोड़ का आंकड़ा पार कर जाने पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक ने वैज्ञानिकों, स्वास्थ्यकर्मियों और भारत के लोगों को कोविड-19 से संवेदनशील आबादी की रक्षा करने और टीकों के समतामूलक वितरण के लक्ष्यों को प्राप्त करने के प्रयासों के लिए बधाई दी। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार देश में टीकाकरण के पात्र वयस्कों में से करीब 75 प्रतिशत लोगों को कम से कम एक खुराक लग चुकी है, जबकि करीब 31 प्रतिशत लोगों को टीके की दोनों खुराक लग चुकी हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार देश में टीकाकरण मुहिम शुरू होने के 85 दिन बाद तक 10 करोड़ खुराक लगाई जा चुकी थीं। इसके 45 और दिन बाद भारत ने 20 करोड़ का आंकड़ा छुआ और उसके 29 दिन बाद यह संख्या 30 करोड़ पहुंच गई। देश को 30 करोड़ से 40 करोड़ तक पहुंचने में 24 दिन लगे और इसके 20 और दिन बाद छह अगस्त को देश में टीकों की दी गई खुराकों की संख्या बढ़कर 50 करोड़ पहुंच गई। इसके बाद उसे 100 करोड़ के आंकड़े तक पहुंचने में 76 दिन लगे। टीकाकरण मुहिम की शुरुआत 16 जनवरी को हुई थी और इसके पहले चरण में स्वास्थ्यकर्मियों को टीके लगाए गए थे। इसके बाद दो फरवरी से अग्रिम मोर्चे के कर्मियों का टीकाकरण आरंभ हुआ था। टीकाकरण मुहिम का अगला चरण एक मार्च से आरंभ हुआ, जिसमें 60 साल से अधिक आयु के सभी लोगों और गंभीर बीमारियों से ग्रस्त 45 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को टीके लगाने शुरू किए गए। देश में 45 साल से अधिक आयु के सभी लोगों का टीकाकरण एक अप्रैल से आरंभ हुआ था और 18 साल से अधिक आयु के सभी लोगों का टीकाकरण एक मई से शुरू हुआ। अब 100 करोड़ डोज़ दी जा चुकी हैं, लेकिन इसको लेकर कई तरह की भ्रांतियां लोगों में फैली या फिर कम ज्ञान के चलते फैलाई गई। सबसे पहले यह कि वैक्सीन लेने से आप नपुंसक हो जाएंगे। फिर कोरोना वैक्सीन लेने के बाद भी संक्रमण हो रहे हैं।

कोविड वैक्सीन लेने के बाद ब्लड क्लॉटिंग और हृदय रोग संबंधी मुश्किलें शुरू हो सकती हैं। हम विचारें करें कि कभी वैक्सीन की कमी, टीकाकरण में देरी, आलोचना और कोरोना की घातक दूसरी लहर के बीच ऐसा क्या हुआ, जिसने देश को दोबारा मजबूत स्थिति में ला दिया। इसका जवाब है एक सटीक एक्शन प्लान, जो महामारी में देश का रक्षक बनकर सामने आया। भारत ने इस साल जनवरी में टीकाकरण की शुरुआत की थी। उस समय के डेटा के हिसाब से यह तय किया गया कि कोविशील्ड और कोवैक्सीन के जरिए चरणबद्ध तरीके से टीकाकरण किया जाएगा। जब ये फैसले लिए जा रहे थे, तब दूसरी लहर का अनुमान नहीं लगाया गया था क्योंकि तब का डेटा इस प्रकार की किसी भी आशंका के संकेत नहीं दे रहा था। इस दौरान संकोच जैसी परेशानियां सामने आईं। केवल 10 महीनों में तैयार हुई वैक्सीन पर सवाल उठने लगे। ऐसे में आबादी का एक बड़ा हिस्सा टीकाकरण के पक्ष में नजर आया। जनवरी और फरवरी के बीच भारत सरकार ने 3 करोड़ लाभार्थियों के लिए 6.6 करोड़ वैक्सीन डोज का ऑर्डर दिया। इनमें कोविशील्ड की संख्या 5.6 करोड़ और कोवैक्सीन एक करोड़ थी। मार्च में लाभार्थियों की संख्या बढ़कर 30 करोड़ पर पहुंच गई। 16 लाख 39 हजार 246 डोज प्रतिदिन की औसत के साथ मार्च में 5.08 करोड़ वैक्सीन लगाई गई। उसी महीने सरकार ने 12 करोड़ डोज का ऑर्डर दिया। इस बार कोविशील्ड की संख्या 10 करोड़ थी, जबकि कोवैक्सीन का आंकड़ा दो करोड़ था। अप्रैल में अगले चरण की शुरुआत हुई और 34.51 करोड़ और लोगों को भी इसमें शामिल किया गया। इसी महीने देश में कोविड की दूसरी लहर का कहर भी बढ़ा। अप्रैल में 66 लाख से ज्यादा मामले मिले और 45 हजार 882 लोगों की मौत हुई। इन बढ़ते आंकड़ों के साथ देश में मई में पूरी वयस्क आबादी के लिए टीकाकरण शुरू हो गया। अप्रैल से मई में वैक्सीन के लिए लक्षित आबादी 2.7 गुना तक बढ़ गई थी, जबकि देश में उत्पादन की क्षमता उतनी ही रही यानी 7 से 8 करोड़ डोज प्रति माह। मई में वैक्सीन की कमी के कारण देश की रफ्तार धीमी हुई।
कमी को पूरा करने के लिए विदेश का रुख भी किया गया, लेकिन पहले ही बुकिंग होने के कारण वहां भी असफलता मिली। इसके बावजूद कोरोना टीकाकरण की जंग में हम सबके हौसले हिमालय से ज्यादा ऊंचे थे और ऐसी अनेक मुश्किलों की मौजूदगी के चलते कोरोना टीकाकरण का 100 करोड़ का लक्ष्य प्राप्त करना एक बड़ी चुनौती थी। इसके लिए सभी को बराबर का आभार मिलना चाहिए। एक सफल टीकाकरण अभियान ने न केवल लोगों, व्यापार और उद्योग जगत का विश्वास बढ़ाया है, बल्कि विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा सकारात्मक आर्थिक अनुमान भी जताए गए हैं। कोरोना टीकाकरण आर्थिक प्रगति का आधार बन सकेगा। टीकाकरण की इस कामयाबी का असर देश के आर्थिक परिदृश्य के लिए गेम चेंजर साबित होगा। इन पंक्तियों के लिखे जाने के वक्त खबरें आ रही हैं कि दुनिया के कई देशों में एक बार फिर कोरोना संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है। रूस, चीन और अमेरिका सहित कुछ देशों में कोरोना महामारी ने फिर भयावह रूप लेना शुरू कर दिया है। रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में केस बढ़ने के बाद एक फिर लॉकडाउन लगाने का ऐलान किया गया है। शहर में रेस्तरां, कैफे और अन्य गैर जरूरी श्रेणियों की दुकानें, प्रतिष्ठान और संस्थान 30 अक्तूबर से 7 नवंबर तक बंद रहेंगे। रूस में पिछले 24 घंटों के दौरान कोरोना के 35660 नए मामले सामने आए, जबकि एक दिन में 37678 मामले दर्ज किए गए। इसके अलावा चिली में भी जुलाई के बाद से एक दिन में सबसे अधिक 2056 नए मामले दर्ज किए गए हैं। देश में टीकाकरण के बावजूद कोरोना से जुड़े खतरे खत्म नहीं हुए हैं। सभी से गुजारिश है कि कोरोना टीकाकरण के जश्न के साथ कोरोना से जुड़े सभी संभावित खतरों को लेकर हम कोई भी लापरवाही न बरतें। देश के कुछ हिस्सों में कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं। इसे लेकर सभी स्तर पर पूर्ण सजगता की जरूरत है। यह जिम्मेवारी प्रशासनिक स्तर पर और आम जनता की की तरफ से बराबरी से निभाई जानी चाहिए।
डा. वरिंदर भाटिया
कालेज प्रिंसीपल
ईमेल : hellobhatiaji@gmail.com


Tags:    

Similar News

-->