नशे का जाल
चंडीगढ़ में शनिवार को मादक पदार्थों की तस्करी और राष्ट्रीय सुरक्षा विषय पर नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो द्वारा आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए गृहमंत्री ने मादक पदार्थों के अवैध कारोबार से अर्जित धन का उपयोग देश-विरोधी गतिविधियों में होने पर चिंता व्यक्त की।
Written by जनसत्ता: चंडीगढ़ में शनिवार को मादक पदार्थों की तस्करी और राष्ट्रीय सुरक्षा विषय पर नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो द्वारा आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए गृहमंत्री ने मादक पदार्थों के अवैध कारोबार से अर्जित धन का उपयोग देश-विरोधी गतिविधियों में होने पर चिंता व्यक्त की। वर्ष 2014 से 2022 तक बीस हजार करोड़ रुपए के मादक पदार्थ जब्त किए गए हैं। अब तक देश में बयासी हजार किलो मादक पदार्थ नष्ट किया जा चुका है।
हमारे देश में मादक पदार्थों की तस्करी जल, थल और वायु सीमाओं से हो रही है। इसलिए केंद्र सरकार को तीनों सीमाओं पर निगरानी के लिए कारगर तंत्र बनाना चाहिए। देश में अराजक, अलगाववादी, आतंकवादी संगठनों के सक्रिय तत्वों को पकड़ने की ओर भी केंद्र और राज्य सरकारों का ध्यान जाना चाहिए। गुप्तचर सेवा को मजबूत बनाने की जरूरत है। हमारे युवाओं में नशे की लत पड़ रही है, जो नशे के लिए हर गलत काम करने को तैयार हो जाते हैं। युवाओं में नशे की लत को रोकने के लिए सीमा पार से आने वाली हर वस्तु की जांच स्कैनर के साथ सुरक्षा कर्मियों द्वारा भी की जाने की व्यवस्था होनी चाहिए।
मुंबई देश की आर्थिक राजधानी है। यहां देश के कोने-कोने से लोग रोजगार ढूंढ़ने पहुंचते हैं। इसे आर्थिक राजधानी बनाने में पूरे देश के नागरिकों की मेहनत लगी है। मगर महाराष्ट्र के राज्यपाल ने एक बयान में कहा कि मारवाड़ियों और गुजरातियों की मुंबई को आर्थिक राजधानी बनाने में अहम भूमिका रही है। इस पर स्वाभाविक ही विवाद छिड़ गया। यह बात अलग है कि राजस्थान और गुजरात के लोग मुख्य रूप से व्यवसाय से जुड़े हुए हैं।
मुंबई में देश की आजादी के पहले राजस्थानियों का आवागमन शुरू हो गया था। गुजरात 1960 तक मुंबई में ही था। महाराष्ट्र में राजस्थानी और गुजराती दूध में शक्कर की तरह घुलमिल कर रहते हैं। मुंबई को राजस्थानी और गुजराती लोगों ने कभी अलग नहीं समझा है। मगर कोश्यारी ने मुंबई की तरक्की को दो राज्यों के लोगों तक ही सीमित रखा, जो कहीं न कहीं भावुकतावश दिया गया बयान था।