देश के 6.56 करोड़ ग्रामीण आवासों तक नल से पेय जल पहुंचाया जा चुका
बचपन में मैंने राजस्थान में माताओं-बहनों को सिर पर मटकी उठाए कोसों दूर चलकर पानी लाते देखा है। तब सोचता था कि इस देश में वह दिन कब आएगा, जब देश के हर घर में नल की व्यवस्था होगी। मैंने कभी नहीं सोचा था कि जिन परिस्थितियों को मैं देखता आया हूं, उन्हें दूर करने में मेरा भी योगदान होगा। प्रधानमंत्री ने 2019 में अपने दूसरे कार्यकाल में जलशक्ति मंत्रालय की नींव रखी और मुझे इस मंत्रालय का दायित्व सौंपा। कोविड-19 महामारी के बावजूद बीते एक वर्ष में हमने देश के 3.34 करोड़ ग्रामीण परिवारों को पाइपलाइन के जरिये नल कनेक्शन प्रदान किए हैं, जबकि आजादी के बाद अगस्त 2019 तक 3.23 करोड़ ग्रामीण परिवारों को ही पानी के कनेक्शन उपलब्ध कराए गए थे। 1 फरवरी 2021 तक देश के 6.56 करोड़ ग्रामीण आवासों तक नल से जल पहुंचाया जा चुका है। प्रतिदिन दो लाख से अधिक घर जल जीवन मिशन से जुड़ रहे हैं।
पहाड़ी राज्यों में भी घरों तक पाइपलाइन से पानी पहुंचाने का काम हुआ
जम्मू-कश्मीर के पहाड़ों पर बने घर हों या फिर हिमाचल प्रदेश में तिब्बत सीमा से महज 10 किमी की दूरी पर दुनिया का सबसे ऊंचा (15,256 फीट) मतदान केंद्र टशीगंग। राज्य सरकारों के सहयोग से हमारी सरकार ने वहां भी घरों तक पाइपलाइन से पानी पहुंचाने का काम किया है। अब लोगों को मीलों का पैदल सफर तय नहीं करना पड़ता है। टशीगंग जैसे ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हर घर में जल पहुंचना सबसे चुनौतीपूर्ण था, लेकिन ग्रामीणों के सहयोग से हमारे विभाग ने इसे कर पाने में सफलता प्राप्त की है।
गोवा और तेलंगाना ने हर घर नल से जल के लक्ष्य को हासिल कर लिया
गोवा और तेलंगाना ऐसे राज्य हैं, जिन्होंने जल जीवन मिशन योजना के अंतर्गत सौ प्रतिशत कवरेज हासिल कर लिया है। आज देश के 52 जिलों, 660 ब्लॉकों, 39317 ग्राम पंचायतों और 73890 गांवों में हर घर नल से जल के लक्ष्य को हासिल कर लिया गया है। प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में हमने इन राज्यों में स्वच्छ पेयजल पहुंचाने का जो सपना देखा था, उसे समय से पहले ही साकार कर लिया गया है।
2024 तक देश के सभी ग्रामीण आवास नल कनेक्शन से जुड़ जाएंगे
बिहार, पुडुचेरी ने 2021, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, मेघालय, पंजाब, सिक्किम, उत्तर प्रदेश ने 2022, अरुणाचल, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, नगालैंड, त्रिपुरा, छत्तीसगढ़ ने 2023 और असम, आंध्र प्रदेश, झारखंड, केरल, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल ने 2024 तक सभी ग्रामीण आवासों तक नल से जल पहुंचाने का संकल्प लिया है। इस तरह 2024 तक देश के सभी 19.04 करोड़ ग्रामीण आवास नल कनेक्शन से जुड़ जाएंगे।
जल जीवन मिशन के अंतर्गत बस्तियों में पीने योग्य पानी की आपूर्ति सबसे बड़ी प्राथमिकता
जल जीवन मिशन के अंतर्गत खराब गुणवत्ता वाले जल से प्रभावित बस्तियों में पीने योग्य पानी की आपूर्ति सबसे बड़ी प्राथमिकता है, ताकि फ्लूरोसिस और आर्सेनिकोसिस के दुष्प्रभावों में कमी लाई जा सके। पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए हर कनेक्शन की जिओ-टैगिंग हो रही है। कनेक्शन को परिवार के मुखिया के आधार कार्ड से जोड़ा जा रहा है। जिला स्तर पर मिशन की प्रगति का संकेत देने वाला डैशबोर्ड तैयार किया गया है। यह मंत्रालय की वेबसाइट पर मौजूद है। अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति बहुल गांवों, आकांक्षी जिलों, सूखा प्रभावित और रेगिस्तानी क्षेत्रों और पानी की खराब गुणवत्ता वाली बस्तियों को वरीयता दी जा रही है।
बजट में पेयजल के लिए 50,000 करोड़ रुपये, स्वच्छता के लिए 10,000 करोड़ रुपये आवंटित
पिछले वर्ष के बजट में जलशक्ति मंत्रालय के लिए 30,478 करोड़ रुपये आवंंटित हुए, जिसमें से 21,500 करोड़ रुपये स्वच्छ पेयजल आपूर्ति और स्वच्छता के लिए थे। जल जीवन मिशन के लिए 11,500 करोड़ रुपये का अलग से आवंटन किया गया था। इस बजट में पेयजल के लिए 50,000 करोड़ रुपये और स्वच्छता के लिए 10,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इस तरह से शुद्ध पेयजल के लिए बजट आवंटन 450 प्रतिशत तक बढ़ा है। जलशक्ति मंत्रालय के लिए कुल बजट में भी 180 प्रतिशत की वृद्धि की गई है, जो जल से जुड़े विषयों पर सरकार की गंभीरता को प्रदर्शित करता है।
बजट 2021-22 में जल जीवन मिशन (शहरी) शुरू करने की घोषणा
ग्रामीण परिवारों तक जल जीवन मिशन के आशाजनक परिणामों को देखने के बाद ही सरकार ने बजट 2021-22 में जल जीवन मिशन (शहरी) शुरू करने की घोषणा की है, जिससे 4,378 शहरी स्थानीय निकायों में 2.68 करोड़ शहरी परिवारों को पाइपलाइन से पीने योग्य पानी की आर्पूित की जाएगी। इस पर 5 साल की अवधि में 2.87 लाख करोड़ रुपये का कुल खर्च आएगा। वास्तव में आम बजट जनता की आवश्यकताओं के अनुरूप और समग्र विकास को प्रोत्साहित करने वाला है। आत्मनिर्भर भारत को सशक्त करने वाले इस बजट का लक्ष्य आखिरी पंक्ति के आखिरी व्यक्ति की मूलभूत समस्याओं का समाधान तलाशना है।