क्या पंजाब में विपक्ष नई सरकार को राज्य के पुराने विवादों में उलझाना चाहता है
आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने पंजाब के लोगों को विकास का ‘दिल्ली मॉडल’ सफलतापूर्वक बेचा
एस एस धालीवाल
आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने पंजाब के लोगों को विकास का 'दिल्ली मॉडल' सफलतापूर्वक बेचा. दिल्ली के सरकारी स्कूलों और 'मोहल्ला क्लीनिक' के कामकाज के बारे में जो कुछ सुना, उससे मंत्रमुग्ध होकर, पंजाब (Punjab) के लोगों ने अपने राज्य में इसी तरह की सुविधाओं की उम्मीद करते हुए पार्टी के पक्ष में भारी मतदान किया.
बहरहाल, पंजाब में अपने पहले कार्यकाल की शुरुआत में, AAP को चंडीगढ़ का दर्जा (Status) जैसे बेहद संवेदनशील और भावनात्मक मुद्दे से निपटना होगा. राज्य की पारंपरिक पार्टियों ने आप नेतृत्व पर दबाव बनाया और केन्द्र शासित प्रदेश पर मजबूत रुख अख्तियार करते हुए चंडीगढ़ में केंद्रीय सिविल सेवा नियमों को लागू किए जाने का विरोध करने का आग्रह किया. आप को सतर्क रहना चाहिए: विपक्ष की अपनी प्राथमिकताएं हैं – वह नई सरकार को राज्य के पुराने विवादों में उलझाना चाहता है.
एक निरर्थक कवायद
आप, जिसे स्कूली शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार को लेकर किए गए वादों पर ध्यान केंद्रित करना था, उसे चंडीगढ़ को पंजाब में स्थानांतरित करने संबंधी प्रस्ताव पास कराने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाना पड़ा. इसने भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (बीबीएमबी) के प्रबंधन से जुड़े मुद्दे को भी उठाया. बीजेपी को छोड़कर सभी राजनीतिक दलों ने प्रस्ताव का समर्थन किया, जिसे सर्वसम्मति से पारित किया गया, बीजेपी विधायकों ने यह कहते हुए सदन से वॉक आउट किया कि सत्तारूढ़ दल लोगों को चंडीगढ़ के मामले में गुमराह कर रहा है, जो कि पंजाब और हरियाणा की साझा राजधानी है.
चंडीगढ़ को पंजाब को ट्रांसफर करने और बदले में हिंदी भाषी क्षेत्र हरियाणा को देने के लिए बनाए गए कई कमीशनों के सामने पेश हो चुके पूर्व एडवोकेट जनरल मनजीत सिंह खैरा कहते हैं कि मान सरकार की ओर से विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की पूरी कवायद निरर्थक रही, इस प्रस्ताव का कोई कानूनी महत्व नहीं है. पहले भी, इस तरह के प्रस्ताव विधानसभा में पारित किए जा चुके हैं, लेकिन अंत में परिणाम कुछ नहीं निकला. एक ट्वीट में, पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने राज्य सरकार को चेतावनी दी कि अगर नई सरकार की स्थापना के तुरंत बाद विवादास्पद मुद्दों को उठाया जाता है तो अंतरराज्यीय कटुता में वृद्धि की संभावना है.
"पंजाब और हरियाणा के लोगों के बीच सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर (किसानों के आंदोलन के दौरान) सौहार्द और भाईचारा मजबूत हुआ, लेकिन चंडीगढ़ जैसे मुद्दे की वजह से माहौल खराब होगा और सबसे पहले सौहार्द-भाईचारा इसकी भेंट चढ़ जाएगा, क्योंकि हरियाणा ने भी पंजाब को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए विशेष सत्र बुलाया. इस ट्वीट में एक प्रसिद्ध कार्टून भी था, जिसमें दो बिल्लियां भोजन के लिए लड़ रही थीं और एक बंदर उन्हें लड़ते हुए देखकर बहुत मजे ले रहा था. मान को याद रखना चाहिए कि अंतरराज्यीय भावनात्मक मुद्दों को संभालना आसान नहीं है. ये मुद्दे न केवल बहुत अधिक ऊर्जा, समय और पैसा लेते हैं बल्कि खतरनाक परिणामों से भी भरे होते हैं. इन भावनात्मक मुद्दों के कारण पंजाब में 1980 के दशक और 1990 के दशक की शुरुआत में बहुत खून-खराबा हो चुका है.
आप को प्राथमिकता तय करनी होगी
"आप के लिए ये मुद्दे नए हैं, जिनका परिणाम केवल समय और ऊर्जा की बर्बादी ही रहा है. नई सरकार को प्राथमिकता तय करनी होगी कि उसे कहां से और कैसे काम शुरू करना है. रोजगार सृजन और राज्य की वित्तीय हालत में सुधार करना एजेंडे में टॉप पर होना चाहिए," आप के एक नेता ने कहा. इसी तरह, राज्य में स्कूल और उच्च शिक्षा का स्तर खराब है. जिनके पास पैसा है, वे महंगे निजी स्कूलों को पसंद करते हैं. समाज के गरीब और पिछड़े वर्ग के लोग अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजते हैं, जिनकी संख्या लगभग 18,000 है.
ठीक ऐसे ही, सरकारी कॉलेज, पब्लिक सेक्टर के विश्वविद्यालय धन और पर्याप्त स्टाफ की कमी के कारण बड़े संकट का सामना कर रहे हैं. सरकारी कॉलेजों में 23 साल से शिक्षकों की भर्ती नहीं हुई है. बहुत से पद खाली पड़े हैं. आप को वोट देने वाले उम्मीद करते हैं कि सरकारी कॉलेजों में गेस्ट टीचर्स या पार्ट टाइम फैकल्टी के इंतजाम तात्कालिक तौर पर कर दिए जाएं. स्वास्थ्य सेवा के मोर्चे पर, पंजाब में अच्छा बुनियादी ढांचा होने के बावजूद, राज्य को टेक्निकल और मेडिकल स्टाफ की कमी का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीण इलाकों में तो स्थिति और भी खराब है. हालांकि नए स्वास्थ्य मंत्री विजय सिंगला ने स्वास्थ्य व्यवस्था को ठीक करने के लिए कई बयान दिए हैं, लेकिन यह आसान काम नहीं है. उन्होंने घोषणा की है कि आप सरकार जल्द ही दिल्ली की तर्ज पर राज्य में 16,000 क्लीनिक स्थापित करने के अपने वादे को पूरा करेगी.
इसके बाद, निश्चित रूप से, राज्य में बड़े पैमाने पर कृषि संकट है, जो मुख्य रूप से किसानों की आय में सुधार के विचार के बिना किसानों की ऋण माफी की श्रृंखला के कारण है. ऐसे में जब मान प्रधानमंत्री के पास एक लाख करोड़ रुपये के विशेष वित्तीय पैकेज की मांग करने गए तो उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि लोकलुभावन एजेंडा चुनावी रूप से फायदेमंद हो सकता है, लेकिन लंबे समय में यह राज्य की आर्थिक रीढ़ को नष्ट कर देता है. और दशकों पुराने विवादास्पद मुद्दों को फिर से लाने का मतलब होगा कि आप ने "औरों से अलग" राज्य को शासित करने का एक शानदार अवसर गंवा दिया.