नेपाल में अब देउबा सरकार
नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने भंग प्रतिनिधि सभा को करीब पांच महीने में दूसरी बार बहाल करते हुए प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को बड़ा झटका दिया है,
आदित्य चोपड़ा| नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने भंग प्रतिनिधि सभा को करीब पांच महीने में दूसरी बार बहाल करते हुए प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को बड़ा झटका दिया है, जो सदन में विश्वासमत हारने के बाद अल्पमत सरकार का नेतृत्व कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट ने नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा को प्रधानमंत्री नियुक्त किया है। विश्वासमत हारने के बावजूद राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी द्वारा केपी शर्मा को प्रधानमंत्री बनाना ही लोकतंत्र से एक मजाक साबित हुआ। विपक्ष ने ओली द्वारा संसद भंग करने के मामले में अदालत में चुनौती दी थी और साथ ही संसद के निचले सदन की बहाली और नेपाली कांग्रेस के शेर बहादुर देउबा को प्रधानमंत्री नियुक्त करने का अनुरोध किया था, इस याचिका पर 149 सांसदों के हस्ताक्षर हैं। अंततः सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री ओली के सभी फैसलों को पलट दिया। नेपाल सुप्रीम कोर्ट के फैसले से संविधान की रक्षा हुई है, लोकतंत्र की रक्षा की गई है और संविधान की कानूनी व्याख्या की गई है। जबकि ओली की पार्टी का कहना है कि शेर बहादुर देउबा को प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त करने के सुप्रीम काेर्ट का आदेश संविधान के बुनियादी ढांचे के खिलाफ है। संवैधानिक विशेषज्ञों का कहना है कि नेपाल सुप्रीम कोर्ट के पास प्रतिनिधि सभा की बहाली के लिए पर्याप्त आधार था। अदालत के पास सदन भंग करने के फैसले को उलटने के लिए 23 फरवरी के फैसले में भी मिसाल थी। ओली के 20 दिसम्बर के सदन के विघटन के 23 फरवरी को अदालत ने यह कहते हुए पलट दिया था कि सदन को तब तक भंग नहीं किया जा सकता जब तक वैकल्पिक सरकार बनाने की सम्भावनाएं हैं। शेर बहादुर देउबा काफी लम्बे वक्त से नेपाल की राजनीति में सक्रिय हैं और वो पहले भी नेपाल के प्रधानमंत्री रह चुके हैं और फिलहाल नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष हैं। वे तीन जून 2004 से लेकर एक फरवरी 2005 के बीच प्रधानमंत्री भी रह चुके हैं। वे इस दौरान तीन बार प्रधानमंत्री रह चुके हैं।