साख पर गहराई आंच

विश्व बैंक के ईज ऑफ डूइंग बिजनेस सूचकांक की साख पर सवाल कुछ वर्ष पहले उठे थे

Update: 2021-09-27 04:16 GMT

अमेरिका सरकार के राजस्व मंत्रालय ने कहा है कि ये निष्कर्ष "गंभीर" हैं। इसके पहले ये खबर आई कि एक जांच रिपोर्ट में ऐसा दावा किया गया है। उसमें कहा गया है कि विश्व बैंक के पूर्व नेताओं ने 2018 में व्यापार करने की रैंकिंग में चीन को मजबूत करने के लिए कर्मचारियों पर अनुचित दबाव डाला था।

विश्व बैंक के ईज ऑफ डूइंग बिजनेस सूचकांक की साख पर सवाल कुछ वर्ष पहले उठे थे। तब ऐसा कहा गया था कि कुछ देशों के दबाव में आकर ये सूचकांक बनाने वाली समिति ने देशों के क्रम में हेरफेर की। दबाव बनाने वाले जिन देशों पर तब शक गया था, उनमें भारत का भी नाम था। अब ताजा रिपोर्ट यह है कि विश्व बैंक की संबंधित समिति चीन के दबाव में आई। अमेरिका सरकार के राजस्व मंत्रालय ने कहा है कि ये निष्कर्ष "गंभीर" हैं और वो इसका विश्लेषण कर रहा है। इसके पहले ये खबर आई कि एक जांच रिपोर्ट में ऐसा दावा किया गया है। उसमें कहा गया है कि विश्व बैंक के पूर्व नेताओं ने 2018 में व्यापार करने की रैंकिंग में चीन को मजबूत करने के लिए कर्मचारियों पर अनुचित दबाव डाला था। इन नेताओं में आईएमएफ की मुखिया भी शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि किम के दफ्तर में वरिष्ठ कर्मचारियों ने चीन के स्कोर को मजबूत करने के लिए "प्रत्यक्ष और परोक्ष दबाव" बनाया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ल्ड बैंक के अधिकारियों ने कर्मचारियों पर दबाव बनाया कि वो "चीन के डेटा बिंदुओं को बदलें" और उसकी रैंकिंग को ऊपर उठाएं। यह सब ऐसे समय पर हो रहा था जब बैंक अपनी पूंजी को बढ़ाने के लिए चीन का समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रहा था।
इस जांच रिपोर्ट में 2019 में छपी "डूइंग बिजनेस 2020" रिपोर्ट के लिए सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और अजरबैजान की रैंकिंग निकालने के लिए डेटा के इस्तेमाल को लेकर दबाव की भी बात की गई है। हालांकि इसमें विश्व बैंक के अध्यक्ष या कार्यकारी बोर्ड के किसी भी सदस्य के शामिल होने का कोई सबूत नहीं मिला है। लेकिन उनकी नाक के नीचे अगर ऐसा हुआ, तो जाहिर है वे अपनी जवाबदेही से नहीं बच सकते। "डूइंग बिजनेस 2020" रिपोर्ट में सऊदी अरब की रैंकिंग 30 पायदान उछल कर 62वें स्थान पर पहुंच गई थी। विश्व बैंक ने अब कहा है- "भविष्य में, हम व्यापार और निवेश के माहौल की समीक्षा के लिए एक नए तरीके पर काम करेंगे।" बहरहाल, पहले का जो तरीका है और उससे जो सूचकांक तैयार हुए, सवाल है कि उसका अब क्या महत्त्व रह गया है। गौरतलब है कि हाल के वर्षों में भारत भी इस सूचकांक पर छलांग लगाता रहा है। 
क्रेडिट बाय नया इण्डिया 
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